इंडियन सोसाइटी या विदेशों में आमतौर पर हमेशा महिलाओं के हितों और उनके अधिकारों की बात की जाती है. मगर पुरुषों की लाइफ में चल रही प्रॉब्लम्स को लेकर कभी कोई बात नहीं करता. वूमेंस डे की तरह ही समाज में पुरुषों की अहमियत और योगदान को सेलिब्रेट करने के लिए हर साल 19 नवंबर को 'इंटरनेशनल मेन्स डेÓ सेलिब्रेट किया जाता है.


गोरखपुर (निखिल तिवारी)।इसको पुरुषों की भलाई और स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता फैलाने के लिए मनाया जाता है। हम आपको गोरखपुर के कुछ ऐसे पुरुषों के बारे में बताएंगे जिन्होंने अपने दम पर समाज में अपनी एक अलग पहचान बनाई। साथ ही उनकी सकारात्मक सोच से गोरखपुर बढ़ भी रहा है। योगी आदित्यनाथ


18 जनवरी 1935 को गोरखपुर के हरनही गांव में जन्में वीर बहादुर सिंह 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन से जुड़े रहे। वह 1967 में यूपी विधानसभा के पनियारा निर्वाचन क्षेत्र निर्वाचित हुए थे। इसके बाद 1969, 1974, 1980 और 1985 तक 5 बार वो एमएलए रहे। 1988 से 1989 तक वो राज्य सभा के सदस्य भी रहे। 1985 में 24 सितंबर से 24 जून, 1988 तक यूपी के सीएम का पदभार संभाला। वीर बहादुर सिंह ने रामगढ़ ताल परियोजना, बौद्ध परिपथ, सर्किट हाउस, सड़कों का चौडीकरण, विकास नगर, राप्तीनगर में आवासीय भवनों का निर्माण, पर्यटन विकास केंद्र की स्थापना, तारामंडल का निर्माण और कई पार्कों का सुंदरीकरण कराने का काम करवाया था। उनके कार्यकाल में हुए विकास कार्यों की वजह से उनको विकास पुरुष के नाम से भी जाना जाता है। सांसद रविकिशन शुक्ल

हिंदी साहित्य में सबसे ज्यादा पढ़े जाने वाले लेखकों में से एक मुंशी प्रेमचंद ने अपने साहित्य जीवन में लगभग डेढ़ दर्जन उपन्यास और लगभग 300 से अधिक कहानियां लिखीं। ऐसा भी कहा जाता है कि जब तक देश और विश्व में हिंदी साहित्य बना रहेगा, मुंशी प्रेमचंद का नाम सदा अमर रहेगा। उनकी कई कहानियां जैसे बड़े भाई साहब, ईदगाह, कफन आदि आज भी जीवंत हैं। धनपत राय 'मुंशी प्रेमचंदÓ का गोरखपुर से गहरा नाता रहा है। यह उनकी कर्मभूमि भी कही जाती है। फिराक गोरखपुरीसौरभ शुक्ला एक बॉलीवुड एक्टर, थियेटर आर्टिस्ट, टेलीविजन एक्टर, डायरेक्टर और स्क्रीनराइटर हैं। वे सत्या, बर्फी, जॉली एलएलबी, किक और पीके जैसी फिल्मों में निभाए गए अपने रोल की वजह से जाने जाते हैं। वह मूल रूप से गोरखपुर के रहने वाले हैं। 2014 में उन्हें जॉली एलएलबी में निभाए गए रोल के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।जिम्मी शेरगिल

सैयद अली सईद वो नाम हैं, जो 1964 के टोक्यो ओलंपिक में हॉकी की गोल्डन टीम का हिस्सा रहे। पाकिस्तान को फाइनल में रौंदने में इस आउट साइड लेफ्ट खिलाड़ी का अहम योगदान रहा। गोरखपुर जैसे छोटे शहर से निकल एक प्लेयर ने इंडिया को गोल्ड मेडल दिलाया तो देश के साथ ही गोरखपुर का नाम भी रौशन हुआ। उनसे इंस्पायर होकर गोरखपुर के बहुत सारे प्लेयर्स हॉकी में देश को रिप्रेजेंट करने का सपना देख रहे हैं।

Posted By: Inextlive