मोबाइल की वजह से आजमगढ़ के स्कूल में पढऩे वाली छात्रा ने सुसाइड जैसा घातक कदम उठाया. यह बातें पुलिस की तफ्तीश में सामने आई हैं. अब ऐसी घटना दोहराई ना जाएं इसके लिए अब स्कूल और पैरेंट्स दोनों को ही सावधान होने की जरूरत है.


गोरखपुर (ब्यूरो)। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट टीम ने इसको लेकर पैरेंट्स और स्कूलों से बातें की। स्कूल इसको लेकर कुछ नए कदम भी उठा रहा है। पढि़ए स्पेशल रिपोर्टमोबाइल पर होमवर्क ना भेजें स्कूल
आजमगढ़ की घटना पर गोरखपुर के पैरेंट्स ने दुख जताया। वहीं पैरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अनुराग त्रिपाठी ने बताया कि बच्ची की प्रॉपर कांउसिलिंग हुई होती तो शायद उसकी जान बच सकती थी। अब ऐसी घटना दोबारा ना हो इसके लिए स्कूल के साथ ही पैरेंट्स की जिम्मेदारी और बढ़ी है। पैरेंट्स अपने बच्चे को स्कूल भेज कर निश्चिंत नहीं होना चाहिए बल्कि उन्हें भी बच्चों के साथ अपना समय खर्च करना होगा। स्कूल के लिए ये बहुत जरूरी है कि कोविड खत्म हो चुका है, कोरोना से पहले जिस तरह बिना मोबाइल के पढ़ाई होती थी। उसी तरह पढ़ाई हो। अधिकतर स्कूल अभी भी होम वर्क और प्रोजेक्ट वर्क मोबाइल पर भेज रहे हैं, इसे बंद करें। पैरेंट्स भी दें ध्यान


स्कूलों ने बताया कि आजमगढ़ की घटना बहुत ही दुखद है। इससे हर किसी को सबक लेने की जरूरत है। पैरेंट्स को घर पर बच्चे की प्रॉपर काउंसिंिलंग करनी होगी। उन्हें बच्चे का दोस्त बनना होगा। सब कुछ स्कूल ही नहीं सीखा सकता है। पैरेंट्स का बहुत अहम रोल होता है। उन्हें बच्चे को मोबाइल तय समय के लिए देना चाहिए। अगर बच्चा मोबाइल पर टाइम पास कर रहा है तो ये गलत है। यूपी बोर्ड स्कूल- 489सीबीएसई स्कूल- 125आईसीएससीई स्कूल-25बच्चे मोबाइल लिमिट में यूज करें यह जिम्मेदारी मां-बाप की है। बच्चा अगर अकेले स्कूल जाता है। तो बच्चे को कई बार चेक भी करना होगा। स्कूल में मोबाइल बैन है। टीचर बैग की चेकिंग भी करते रहते हैं।विवेक श्रीवास्तव, डायरेक्टर, रैंपसये बात पैरेंट्स को समझनी होगी आखिर मोबाइल बच्चे के लिए क्यों जरूरी है। बेसिक फोन से भी तो काम चल सकता है। बच्चे की जानकारी लेने के लिए हर पैरेंट्स के पास टीचर के नंबर मौजूद है।डॉ। सलिल के श्रीवास्तव, जेपी एजुकेशन एकेडमीयह आरोप प्रत्यारोप का समय नहीं है। स्कूल और पैरेंट्स दोनों को ही सामंजस बैठाकर मोबाइल से बच्चों को दूर करने का प्लान बनाना होगा। टीचर्स पैरेंट्स मीटिंग में इस मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिए।अजय शाही, अध्यक्ष, स्कूल एसोसिएशन गोरखपुरबच्चों को सही गलत की पहचान नहीं होती है। ये जरूरी है कि सोशल मीडिया के अच्छी बातें और गलत चीजों के बारें में उन्हें अवेयर किया जाए। स्कूल और पैरेंट्स दोनों की ये जिम्मेदारी है।

रीमा श्रीवास्तव, डायरेक्टर, स्पिं्रगर लोरेटो स्कूल
कोविड खत्म हो गया। स्कूल अभी भी मोबाइल पर वर्क भेज रहे हैं। स्कूल की डायरी का महत्व खत्म होता जा रहा है। स्कूल डायरी में होमवर्क दें या फिर बहुत जरूरी हो तब पैरेंट्स को भेजें।अनुराग त्रिपाठी, अध्यक्ष, पैरेंट्स एसोसिएशनस्कूल ढेर सारे चल रहे हैं, लेकिन काउंसलर की भूमिका नहीं के बराबर है। जबकि स्कूल में बच्चों की काउंसिलिंग होना बहुत जरूरी है। बड़े देशों में नियमित बच्चों की काउंसिलिंग होती है। पूर्णेन्दु शुक्ला, काउंसलर

Posted By: Inextlive