तमंचों के खिलाड़ी
- अमरजीत और चंदन सिंह गैंग खूब बेचे असलहे
- एसपी सिटी की स्पेशल टीम को मिली बड़ी कामयाबी GORAKHPUR: आजमगढ़ जिले के भमौर में बने देसी तमंचे बेचने वाले दो बदमाश पकड़े गए। दियारा के डॉन अमरजीत यादव और शातिर चंदन सिंह के गैंग से जुड़े लोगों को यह गैंग असलहे सप्लाई करता था। एसपी सिटी की स्पेशल टीम और सिकरीगंज पुलिस घेराबंदी करके असलहों के सौदागरों को दबोचा। उनके पास से सात देसी तमंचे और कारतूस बरामद हुए। पुलिस की कामयाबी पर एसएसपी दिलीप कुमार ने शाबाशी दी। भैंसा बाजार में पहलवान को देने जा रहे थे असलहेहाल के दिनों में पकड़े बदमाशों ने मुंगेरी असलहों के साथ आजमगढ़ में बने असलहों के बारे में जानकारी दी। पुलिस टीम ने देसी तमंचा के कारोबारियों को घेरने की योजना बनाई। एसपी सिटी सतेंद्र कुमार की टीम में शामिल कांस्टेबल जमील खां, रणविजय सिंह, राजीव शुक्ला और दिनेश सिंह ने सिकरीगंज पुलिस ने मदद मांगी। थर्सडे को एसओ मिथिलेश राय, कांस्टेबल चंद्रेश यादव और अमित कुमार के साथ तरैना पुल पर चेकिंग करने पहुंचे। तभी पुलिस ने बाइक सवार लोगों को रोका। दोनों ने भागने की कोशिश की तो पुलिस ने घेर लिया। तलाशी के दौरान के उनके पास से सात देसी तमंचे बरामद हुए। दोनों की पहचान आजमगढ़ जिले के महराजगंज, कोड़ई निवासी जंगल बहादुर और बसंतपुर निवासी रामसुख के रूप में हुई। दोनों असलहे लेकर भैंसा बाजार में पहलवान को देने जा रहे थे। वह अमरजीत गैंग से जुड़ा बताया जाता है।
तीन हजार रेट, दो हजार से ज्यादा बेचे असलहे चमचमाते हुए असलहे देखकर पुलिस की आंखों में चमक आ गई। पूछताछ में दोनों ने बताया कि वह लोग भमौर में असलहे बनवाते हैं। इसके बाद कस्टमर खोजकर उनको असलहे बेचते हैं। तमंचों को बनाने में पांच से सात सौ रुपए का खर्च आता है। बेचने पर तीन हजार से अधिक की रकम मिल जाती है। आसानी से मिलने की वजह से लोग इनको खरीद लेते हैं। तीन चार साल के भीतर दो हजार से अधिक तमंचे बेच चुके हैं। पुलिस का कहना है कि मुंगेर के चक्कर में लोग देसी कारोबार को भूल गए। इससे जुड़े अन्य लोगों की तलाश की जा रही है। असलहों की तस्करी करने वाले दो लोगों को पुलिस ने अरेस्ट किया। असलहों की सप्लाई लेने वाले बदमाशों की तलाश की जा रही है। तस्करों को पकड़कर पुलिस टीम ने बड़ी कामयाबी हासिल की है। दिलीप कुमार, एसएसपी