बसें तो कुछ हद तक हटी, लेकिन टैक्सियां डटी
- टैक्सियों पर पुलिस का लोगो और राजनैतिक दलों के लगे हैं झंडे
- डग्गामार बसों पर अंकुश का फायदा उठा सवारी भर रहीं टैक्सियां - दबंग डग्गामारों पर नहीं पड़ता आरटीओ और पुलिस का कोई असरGORAKHPUR: डग्गामारी के खिलाफ आई नेक्स्ट की तरफ से चल रहे अभियान 'सब पर भारी, डग्गेमारी' का असर से काफी हद तक डग्गामार बसों पर अंकुश लगा है। लेकिन इस गोरखधंधे को पूरी तरह से खत्म नहीं कराया जा सका है। कुछ दबंग किस्म के डग्गामार बस संचालक अभी भी रोडवेज और रेलवे स्टेशन से खुलेआम सवारियां भर रहे हैं। इनकी सेहत पर आरटीओ और पुलिस का कोई असर नहीं पड़ता नजर आ रहा है। इसके साथ ही रोडवेज बस स्टेशन पर एक नया खेल सामने आ रहा है। अभियान के बाद से यहां से बसें तो काफी हद तक हट गई हैं, लेकिन इन बसों की जगह भारी संख्या में टैक्सियां डटी नजर आ रहीं हैं।
तो पुलिस की हैं ज्यादातर टैक्सियांगौरतलब है कि कार्मल रोड से लेकर रोडवेज बस स्टेशन पर करीब 200 टैक्सियां रोज लग रहीं है, लेकिन क्या इसमें ज्यादातर टैक्सियां पुलिस व राजनैतिक पार्टियों के नेताओं की हैं। इन टैक्सियों पर या तो पुलिस का लोगो लगा है, या तो फिर किसी राजनैतिक पार्टी का झंडा। डग्गमारों पर अंकुश का फायदा उठाकर अब यह टैक्सियां रोडवेज बस स्टेशन की ओर बढ़ती जा रहीं है। साथ ही यहां आने वाले पैसेंजर्स को बाहर से ही अपनी गाडि़यों में बैठा ले रहीं है।
ट्रैवलर लगा रही चपतऐसे तो गोरखपुर से लखनऊ और दिल्ली रूट पर ज्यादातर पैसेंजर्स वॉल्वो और स्कैनिया बसों को ही पसंद करते हैं, लेकिन इन दिनों रोडवेज बस स्टेशन से चलने वाली प्राइवेट ट्रेवलर रोडवेज की वॉल्वो और स्कैनिया को चूना लगा रही है। यह ट्रैवलर बसें भी बिल्कुल वाल्वो की तरह फुल एसी मिनी बस है। इसी का नतीजा है कि यहां से चलने वाली रोडवेज की ज्यादातर एसी बसें खाली ही जा रहीं हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि रोडवेज बसें बस स्टेशन के अंदर से अपने निर्धारित समय पर ही चलती हैं, लेकिन ट्रैवलर बसों के साथ ऐसा कुछ भी नहीं है। जब भी उनकी सीटें फुल होती हैं, वह डेस्टिनेशन की ओर कूच कर देते हैं। इसके साथ ही यह चौबीस घंटे बसे स्टेशन, रेलवे स्टेशन और यूनिवर्सिटी चौक से अपके लिए उपलब्ध हैं। इन ट्रैवलर बसों पर भी अगर आरटीओ की कार्रवाई होने लगे तो इससे पैसेंजर्स को राहत तो मिलेगी ही साथ ही रोडवेज की अर्निग भी बढ़ेगी।