अगर यही हाल रहा तो सब हो जाएंगे बहरे
- सिटी के विभिन्न एरियाज में न्वॉयज पॉल्यूशन का बढ़ रहा है खतरा
द्दह्रक्त्रन्य॥क्कक्त्र: सिटी में न्वॉयज पॉल्यूशन का खतरा दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। इसकी मेन वजह है बेतहाशा बढ़ती गाडि़यों की संख्या और उनसे होने वाला शोर। न्वॉयज पॉल्यूशन पर वर्क करने वाले एक्सपर्ट की मानें तो अगर समय रहते न्वॉयज पॉल्यूशन पर कंट्रोल नहीं किया गया तो आने वाले दिनों में गोरखपुराइट्स को बहरेपन जैसी गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है। डीडीयूजीयू के पर्यावरण विभाग के अनुसार, गोरखपुर महानगर में न्वॉयज पॉल्यूशन की मात्रा हर जगह 100 डेसीबल तक पहुंच चुकी है। वहीं वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के मानकों के अनुसार, यह 120 डेसीबल से ऊपर नहीं होना चाहिए। पर्यावरण विभाग की मानें तो अगर इसी तरह से न्वॉयज पाल्यूशन बढ़ता रहा तो आने वाले दिनों में गोरखपुराइट्स डब्ल्यूएचओ के मानक को भी पार कर जाएंगे। ऐसी स्थिति में उनको तमाम बीमारियां अपने चपेट में ले सकती हैं। हाल ही में सिटी के पॉश एरियाज जैसे गोलघर, रेती रोड, बक्शीपुर, विजय चौक और घंटाघर में पॉल्यूशन के स्तर को मापा गया तो काफी चौंकाने वाले आंकड़े सामने आएं, जो इस प्रकार हैं।
सिटी के पॉश एरियाज में न्वॉयज पॉल्यूशन की मात्राप्रो। गोविंद पांडेय ने बताया कि एक सामान्य इंसान 35-40 डेसीबल पर बात करता है। जिसे आसानी से कोई भी सुन सकता है। लेकिन जब ट्रैफिक वाले एरिया में कोई बात करें तो 70-90 डेसीबल तक पहुंच जाता है। उन्होंने बताया कि न्वॉयज पाल्यूशन के मानक में वृद्धि पर ही डिपेंड करता है कि उस क्षेत्र में रहने वाले किस मानक पर और कितने डेसीबल पर आपस में बात करते हैं।
गोलघर - 95 डेसीबल रेती रोड - 97 डेसीबल बक्शीपुर - 95 डेसीबल विजय चौक - 100 डेसीबल घंटाघर - 97 डेसीबल तो हो जाएंगे बहरेपन के शिकारवहीं सिटी की महेवा चुंगी के पास बनाए गए दो ट्रांसपोर्ट नगरों के कारण प्रतिदिन लगभग से सात सौ से आठ सौ ट्रक आते व जाते हैं। इसके कारण आस-पास के आवासीय एरियाज के लोगों को न्वॉयज से जूझना पड़ता है। पॉल्यूशन पर काम करने वाले एक्सपर्ट जितेंद्र द्विवेदी बताते हैं कि निरंतर बढ़ती वाहनों की संख्या और उनसे उत्पन्न शोर के कारण महानगर के आंतरिक क्षेत्रों सहित बाहरी क्षेत्र प्रभावित हो रहे हैं। अगर यही हाल रहा तो आने वाले दिनों में लोगों को कान से संबंधित कई बीमारियों से ग्रसित होना पड़ सकता है। ईएनटी के डॉ। पीएन जायसवाल की मानें तो अगर न्वॉयज पाल्यूशन यूं ही बढ़ता रहा तो इंसान आगामी दस वर्षो में बहरेपन का शिकार हो जाएगा।
न्वॉयज पॉल्यूशन से होने वाली बीमारियां बेचैनी, मानसिक तनाव, अनिद्रा, सिरदर्द, थकान, कार्य क्षमता में कमी, बहरापन, हृदय की धड़कन का स्लो होना, हाई ब्लड प्रेशर, चिड़चिड़ापन, गैस्ट्रिक अल्सर आदि न्वॉयज पाल्यूशन के मेन कारण - वाहन, जनरेटर, इनवर्टर, व्यावसायिक एवं वाणिज्यिक क्षेत्र सर्वे के मुताबिक सिटी में वर्तमान न्वॉयज पॉल्यूशन क्षेत्र दिन रात औद्योगिक क्षेत्र 75 70 वाणिज्यिक क्षेत्र 65 55 आवासीय क्षेत्र 55 45 शांत क्षेत्र 50 40नोट - ये आंकड़ें डेसीबल में हैं।
न्वॉयज पॉल्यूशन की समस्या निरंतर बढ़ती ही जा रही है, जो बेहद गंभीर है। इसलिए आवश्यक है कि न्वॉयज पाल्यूशन को कंट्रोल करने के लिए इसके मानकों का कड़ाई से पालन आवश्यक हो। इसके साथ ही साथ जनता में चेतना की भी बहुत आवश्यकता है। प्रो। गोविंद पांडेय, एन्वॉयरमेंटल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट, एमएमएमयूटी