एक फूंक ने बताया लंग्स की सेहत का हाल
- वर्ल्ड नो टोबैको डे पर आई नेक्स्ट ने कराया 'पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट'
GORAKHPUR : 'मेरे 'लंग्स पूरी तरह ठीक है और तुम्हारे?' 'यार मुझे तो लंग्स में प्रॉब्लम बताई है डॉक्टर ने.' 'कहा था सिगरेट और गुटखा खाना छोड़ दो। नहीं माने ना। अब भी समय है, टोबैको छोड़ने के साथ इलाज भी शुरू कर दो.' 'भाई तुम्हारे मुंह और गले में तो कोई प्रॉब्लम नहीं निकली। मैं तो पूरी तरह फिट हूं। बस वेट अधिक होने से डॉक्टर ने थोड़ा पैदल चलने का कहा है.' ये बात आई नेक्स्ट की ओर से वर्ल्ड नो टोबैको डे पर आयोजित 'पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट' में लोग कर रहे थे। आई नेक्स्ट की ओर से शहर के पांच फेमस प्लेस पर इस टेस्ट का आयोजन किया गया। जहां पीएफटी मशीन से लोगों का फ्री टेस्ट कराया गया। जहां इस टेस्ट के अलावा डेंटल सर्जन, ईएनटी सर्जन और फिजीशियन ने भी चेकअप किया। डॉक्टर्स ने टोबैको से अफेक्टेड होने वाले सभी बॉडी पार्ट्स का चेकअप कर लोगों को एडवाइस देने के साथ दवा भी लिखी। डॉक्टर के पास चेकअप करा कर लौट रहे कुछ लोगों के चेहरे पर मुस्कुराहट थी तो कुछ के चेहरे पर टेंशन की लकीरें। कैंप में आए 80 परसेंट लोग टोबैको के लती मिले, जिसमें अधिकांश को प्रॉब्लम महसूस हो रही थी। टोबैको के इफेक्ट से सिर्फ पुरुष नहीं बल्कि महिलाएं भी अफेक्टेड नजर आई। डॉक्टर ने टोबैको के खतरनाक इफेक्ट को भी बताया। आई नेक्स्ट के इस प्रयास की सभी ने जमकर सराहना की। साथ ही कैंप में चेकअप कराने के बाद कई लोगों ने आई नेक्स्ट के साथ गुटखा और सिगरेट छोड़ने की शपथ भी ली।
फैक्ट फाइल टेस्ट में फेल हुए पुरुष - 35 से 40 फीसदी टोबैको के शिकार लोग - 80 फीसदी टेस्ट में फेल हुई महिलाएं - 8 से 12 फीसदी फेफड़े की बीमारी के शिकार - 15 से 20 फीसदी स्मोकिंग करने वालों की कॉमन एज - 18 से 40 साल बच्चों में सांस की दिक्कत - 5 से 10 फीसदी अब भी संभल जाओ - लगातार 8 घंटे तक स्मोकिंग न करने से बॉडी में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ जाती है। साथ ही कार्बन मोनो आक्साइड कम हो जाता है। - 24 घंटे तक स्मोकिंग न करने से हार्ट अटैक का खतरा कम हो जाता है। - लगातार दो सप्ताह तक स्मोकिंग न करने से ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है। - तीन महीने तक स्मोकिंग न करने से फेफड़े का फंक्शन बेहतर हो जाता है।- नौ माह तक स्मोकिंग न करने से खांसी, सांस फूलने और कमजोरी की प्रॉब्लम खत्म हो जाती है।
- स्मोकिंग छोड़ने से हार्ट डिजीज तथा लंग्स कैंसर का खतरा 50 परसेंट कम हो जाता है। टोबैको बॉडी के कई पार्ट्स को डेमेज करता है। गुटखा, सिगरेट मुंह और गले के साथ फेफड़े को बुरी तरह प्रभावित करती है। अगर इसे न छोड़ा जाए तो कैंसर होने की संभावना काफी बढ़ जाती है। आई नेक्स्ट के इस कैंप से कई लोग अवेयर हुए हैं, उन्होंने गुटखा, स्मोकिंग न करने का फैसला लिया है। डॉ। रामरतन बनर्जी, होम्योपैथी चिकित्सक कैंप में टोबैको से प्रभावित लोगों की संख्या काफी अधिक थी। अधिकांश लोग गुटखा और सिगरेट के लती मिले जिन्हें उनके शरीर की हालत से रूबरू करा दिया गया है। अगर फिर भी वे नहीं चेते तो उन्हें कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से नहीं बचाया जा सकता। डॉ। रचना बनर्जी, होम्योपैथी चिकित्सक अवेयरनेस की कमी के चलते टोबैको से होने वाली बीमारी का प्रकोप बढ़ रहा है। लगातार अवेयरनेस कैंप लगने चाहिए। जब लोगों को अपने शरीर के बारे में जानकारी होगी, तो वे खुद इलाज कराएंगे। आई नेक्स्ट का प्रयास सराहनीय है। डॉ। वीएन अग्रवाल, चेस्ट स्पेशलिस्टटोबैको खाने का मतलब है मौत को दावत। जो लोग समझते हैं कि उन्हें कुछ नहीं होगा, वे गलतफहमी में रहते हैं। अगर वे टाइम पर चेकअप कराएं तो उन्हें असलियत पता चल जाएगी। जैसे आई नेक्स्ट के कैंप में लोगों को अपने गले के बारे में हुई।
डॉ। पीएन जायसवाल, ईएनटी सर्जन गुटखा खाने से कैंसर के चांसेज काफी बढ़ जाते हैं, मगर लोग लापरवाही में इससे अनजान बने रहते हैं। जब पूरी तरह कैंसर हो जाता है, तब डॉक्टर के पास पहुंचते हैं। टोबैको से सिर्फ नुकसान होता है, इसलिए इसे छोड़ देना ही बेहतर है। डॉ। गिरीश चंद्र द्विवेदी, डेंटल सर्जन कैंप में गुटखा खाने वालों की संख्या काफी अधिक रही। अधिकांश लोगों के मुंह में प्रॉब्लम होना शुरू हो गई है जिन्हें एडवाइस दी गई है। आई नेक्स्ट के इस कैंप ने अवेयर करने के साथ टोबैको यूज कर रहे लोगों को होने वाली प्रॉब्लम से भी अवगत कराया। डॉ। परवेज इकबाल, डेंटल सर्जनटोबैको का यूज करने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। इससे कैंसर का प्रकोप भी बढ़ रहा है। इस मौत के सामान पर रोक लगाने के लिए अवेयरनेस प्रोग्राम की बहुत जरूरत है जिसकी स्टार्टिग आई नेक्स्ट ने कर दी है।
डॉ। जेपी नारायन, फिजीशियन यूथ टोबैको की गिरफ्त में है। जानलेवा होने के बावजूद यूथ धड़ल्ले से टोबैको का यूज कर रहे हैं। अगर अवेयरनेस न फैलाई गई तो नेक्स्ट जनरेशन पूरी तरह टोबैको की गिरफ्त में होगी। ऐसे कैंप लगातार लगते रहने चाहिए। डॉ। संजीव गुप्ता, फिजीशियन आई नेक्स्ट का प्रयास सराहनीय है क्योंकि इस जानलेवा टोबैको को खत्म करने के लिए ऐसे ही प्रयास की जरूरत है। वरना देश की नेक्स्ट जनरेशन टोबैको की गिरफ्त में होगी, फिर विकास और तरक्की के बारे में सोचना भी बेमानी होगा। डॉ। संतोष शंकर रे, ईएनटी सर्जन कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी का मुख्य कारण टोबैको है। यह जानने के बावजूद यूथ का क्रेज बढ़ता जा रहा है। इसे रोकने के लिए अवेयरनेस कैंप की बहुत जरूरत है। साथ ही टोबैको के खतरे से लोगों को अवगत कराना होगा। डॉ। अनुराग श्रीवास्तव, डेंटल सर्जन टोबैको के कारण अब 20 साल के लड़के को भी फेफड़े की प्रॉब्लम हो रही है, सांस फूल रही है। जबकि ये बीमारी 50 साल के बाद होती थी। अगर ऐसे ही रहा तो कॉमनमैन की एवरेज एज ही कम हो जाएगी। स्वस्थ समाज बनाने के लिए अवेयरनेस कैंप बहुत जरूरी है। डॉ। नदीम अरशद, चेस्ट स्पेशलिस्ट टोबैको को यूथ ने अपनी हर टेंशन का इलाज मान लिया है। इस सोच को बदलना बहुत जरूरी है। वरना जिस एज में वह देश के बारे में सोचता है, उस टाइम वह डॉक्टर की क्लीनिक में इलाज कराने जाएगा। इस सोच को बदलने के लिए अवेयरनेस कैंप लगना जरूरी है। डॉ। एस श्रीवास्तव, फिजीशियन शौक से शुरू हुआ टोबैको आदत बन जाता है। खतरनाक है ये, जानने के बावजूद यूथ इसकी गिरफ्त में फंसते जाते हैं। इससे न सिर्फ अपना शरीर बर्बाद करते हैं बल्कि इलाज में लाखों रुपए भी खर्च करते हैं। यूथ को टोबैको से बचाने के लिए अवेयरनेस जरूरी है। डॉ। नितिन मिश्रा, डेंटल सर्जन टोबैको के कारण कैंसर के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। वैसे तो टोबैको पर बैन कर देना चाहिए। अगर नहीं भी हो रहा है तो पब्लिक को अवेयर करने की बहुत जरूरत है। आई नेक्स्ट का यह प्रयास अच्छा है। डॉ। शार्दुलम श्रीवास्तव, चेस्ट स्पेशलिस्ट आई नेक्स्ट के इस कैंप जैसे कैंप हर माह लगने चाहिए क्योंकि टोबैको के प्रकोप को रोकने के लिए सबसे अच्छा साधन अवेयरनेस ही है। जब पब्लिक को पता चलेगा कि उसकी बॉडी को कितना इफेक्ट पड़ रहा है, तब वह कुछ अवेयर होगी। डॉ। बीके सुमन, फिजीशियन इन प्लेस पर हुआ पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट 30 मई - एलआईसी ऑफिस, पार्क रोड - गुरुकुल सीए/सीएस, गैस गोदाम गली - एरिना एनिमेशन, गांधी गली 31 मई -संतोष होम्यो सेवाश्रम, दीवान बाजार -नवीन कृषि उपज मंडी, ट्रांसपोर्ट नगर सबसे अधिक इसमें होती है परेशानी लंग्स में प्रॉब्लम - 40 परसेंट मुंह में प्रॉब्लम - 30 परसेंट पेट में प्रॉब्लम - 10 परसेंट अस्थमा की प्रॉब्लम - 20 परसेंट आई नेक्स्ट की ओर से मंडी में कैंप लगा था। आई नेक्स्ट का यह प्रयास सराहनीय है। अगर ऐसे कैंप लगते रहे तो लोग अवेयर होंगे और टोबैको छोड़ेंगे। सुभाष यादव, मंडी सचिव टोबैको का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। आई नेक्स्ट की ओर से ब्रांच में कैंप लगाया गया था। कैंप में सभी कर्मचारियों के साथ पब्लिक ने भी डॉक्टर से चेकअप कराया। आई नेक्स्ट का यह प्रयास सराहनीय है। संजय, मैनेजर, एलआईसी ब्रांच पार्क रोड