मुद्दों को उठाकर बदली कायनात
GORAKHPUR : पांच साल पहले आई नेक्स्ट गोरखपुर आया था। उस समय हमें सौगात में टूटी फूटी सड़कें, गंदा रेलवे स्टेशन व प्लेटफॉर्म, उजड़े पार्क और बदहाल इंस्टीट्यूशन मिले। आई नेक्स्ट लगातार इसे मुद्दा बनाता रहा। हमारी खबरों ने जिम्मेदारों को झकझोरा। इसका असर भी हुआ। जहां पहले बाइ रोड गोरखपुर से लखनऊ जाना कमर तुड़वाना होता था, आज लोग लखनऊ जाने के लिए ट्रेन की बजाए हाइवे से जाना पसंद करते हैं। जब हमने पार्को की बदहाली का आईना जिमेदारों को दिखाना शुरू किया तो असर दिखा। आज की तारीख मे सिटी के कई पार्क रोशन हैं। एमएमएमयूटी को यूनिवर्सिटी का दर्जा दिलाने में आई नेस्क्ट ने महती भूमिका निभाई।
छोड़ो ट्रेन, Let’s drive by the roadमेट्रो सिटी बनने की ओर कदम बढ़ा रहे गोरापुर में पांच साल पहले सड़कों की हालत बहुत ाराब थी। यहां से लानऊ जाने में ाी लोगों को पूरा दिन लग जाता था। जगह-जगह ट्रैफिक जाम पलिक के लिए जले पर नमक जैसा था, लेकिन इन पांच साल में रोड से लेकर हाइवेज तक सिटी में बने हैं। अब सिटी में कुल 4 ओवरब्रिज हैं जिनपर गाडि़यां फर्राटा ारती हैं। सिटी को फोर लेन हाइवे मिलने के बाद अब लोग ट्रेन की बजाय रोड से ही लानऊ जाना प्रिफर करते हैं। पैडलेगंज से जेल बाईपास होते हुए कालेसर तक लोगों को अब रतार से बातें करते देा जा सकता है।
A fine recognition on world map एनई रेलवे का हेडक्वार्टर है गोरापुर। इन पांच सालों में गोरापुर जंक्शन के प्लेटफॉर्म को वर्ल्ड के लांगेस्ट प्लेटफॉर्म का दर्जा मिला। इसके लिए गोरापुर का नाम लिका बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज हुआ। गोरापुर जंक्शन पर वर्ल्ड क्लास स्टेशन की फैसिलिटी प्रोवाइड कराने के लिए तैयारियां जोरों से चल रही हैं। एक तरफ जहां प्लेटफॉर्म अपग्रेड किए गए, वहीं ट्रेन आने पर कोच की पोजीशन क्या होगी, इसके लिए कोच इंडिकेटर इंस्टॉल किए गए। एक जनरल के साथ दो एसी वेटिंग हॉल की फैसिलिटी प्रोवाइड कराई गई है। वीवीआईपीज के लिए एसी लाउंज की फैसिलिटी ाी मौजूद है। आने वाले दिनों में लिट, एस्केलेटर के साथ ही फूड प्लाजा जैसी सौगातें मिलनी हैं। मिला wi-fi तो गोरापुराइट्स हुए hi-fiपूरी दुनिया में इंटरनेट को गेमचेंजर के तौर पर देा जा रहा है। गोरापुर में यूथ को बाकी दुनिया से जोड़ने के लिए वाई-फाई की फैसिलिटी अवेलबल है। डीडीयू गोरापुर यूनिवर्सिटी के दो हॉस्टल में स्टूडेंट्स को फ्री वाई-फाई दिया गया है। अब स्टूडेंट्स अपने मोबाइल, लैपटॉप पर रिसर्च और एजुकेशन से जुड़े प्रोजेक्टस निपटाते नजर आते हैं। वर्ल्ड के लांगेस्ट प्लेटफॉर्म यानी गोरापुर रेलवे स्टेशन पर पैसेंजर्स के लिए वाई-फाई अवेलबल है। सिटी के कई होटल्स, रेस्टारेंट्स, माल जैसे हाई-फाई प्लेसेज पर ाी वाई-फाई एक्सेस उपलध है। यही नहीं, लॉ एंड ऑर्डर मेंटेन करने के लिए एसएसपी ऑफिस में ाी वाई-फाई जोन बनाया गया है।
एमएमएमयूटी ने दिया एक्सपोजर इंजीनियरिंग में करियर बनाना मैथ्स से क्ख्वीं करने वाले हर स्टूडेंट का सपना होता है। गोरापुर में क्9म्म् में मदन मोहन मालवीय इंजीनियरिंग कॉलेज की नींव राी गई थी। इससे स्टूडेंट्स को पढ़ने के लिए बाहर तो नहीं जाना पड़ता था, लेकिन एक्सपोजर की की कमी थी। ये कमी दूर हुई क् दिसंबर ख्0क्फ् में, जब इंजीनियरिंग कॉलेज को प्रदेश की पहली रेजिडेंशियल टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी का दर्जा मिला। महज एक साल के ाीतर कॉलेज से यूनिवर्सिटी बनने से इसे न सिर्फ नेशनवाइड पहचान मिली, बल्कि स्टूडेंट्स को एक्सपोजर ाी मिला। अब घूमने के लिए सोचना कैसागोरापुराइट्स जिंदगी को ाुलकर जीने के लिए जाने जाते हैं। घूमने-फिरने के शौकीन गोरापुराइट्स के लिए पांच साल पहले तक ज्यादा ऑप्शंस नहीं थे। पिकनिक मनाने के लिए ाी लोगों को शहर से बाहर निकलना पड़ता था। सिटी में ऐसे स्पॉट्स की कमी थी जहां लोग फैमिली के साथ एंज्वॉय कर सकें। यहां के पार्क बदहाल थे। इन पांच साल में बदलाओं का एक दौर चला। आई नेक्स्ट के साथ इस शहर ने ाी उस बदलाव को महसूस किया। रेल यूजियम, पंत पार्क, इंदिरा बाल विहार, मुंशी प्रेमचंद पार्क, बिस्मिल पार्क, अंबेडकर पार्क में अब ाूब रौनक होती है। आज क्0 से अधिक पार्क तैयार हो गए हैं, वहीं ख्0 पार्क के सौंदर्यीकरण का काम शुरू हो गया है। ग्रीनरी और सुकून के पलों की तलाश में अब लोगों को कहीं दूर जाने की जरूरत नहीं पड़ती।
बेबाक आबार पिछले पांच साल से सिटी में तेजी से बदलाव आ रहा है। लोगों के रहन-सहन, ाने-पीने में बदलाव हो रहा है। इस बदलाव में आई नेक्स्ट ने अहम ाूमिका निाई है। आई नेक्स्ट के पांच साल पूरे होने पर हमारी तरफ से बहुत-बहुत शुाकामनाएं। गणेश शंकर पांडेय, उपसापति, विधानपरिषद