आवक बढ़ने से घटे आलू के भाव
- मंडी में आलू की आवक प्रतिदिन आठ से नौ ट्रक
- मंडी में बिक रहा है 15 से 20 टन आलू - आलू की बिक्री नहीं होने से शॉप ओनर्स की बढ़ी परेशानीGORAKHPUR: मंडी में आलू की डिमांड अचानक घटने से भाव में गिरावट आई गई है। पिछले वर्ष जून माह में आलू के रेट 20 से रुपये प्रतिकिलो तक पहुंच गए थे। वहीं इस वर्ष आलू के भाव में लगातार गिरावट आने से आलू सात से आठ रुपये प्रतिकिलो के हिसाब से बिक रहा है। उधर, व्यापारियों द्वारा आलू का अधिक स्टाक करने की वजह से बड़ी मात्रा में आलू सड़ने की कगार पर आ गया है। आलू की आवक अधिक है लेकिन उठान कम है। इससे शॉप ओनर्स की लागत निकल पाना मुश्किल हो गया है। वहीं मुनाफे की आस में कोल्ड स्टोरेज में आलू रखने वाले किसानों को भी इस बार नुकसान होने की संभावना है।
आलू की स्थिति भयावहआलू की बिक्री कम होने से व्यापारी मुश्किल में पड़ गए है। उनका कहना है कि यही स्थिति रही तो व्यापारियों के साथ किसानों को भी घाटा उठाना पड़ सकता है। मंडी में सफेद आलू का भाव सात से आठ और लाल आलू का भाव नौ से दस रुपये पर आ चुका है। जिससे व्यापारियों की लागत नहीं निकल पा रही है। जिससे बिक्री पर भी असर पड़ गया है। अभी बार के स्टोर का आलू कोल्ड स्टोरेज में डंप पड़ा है। मंडी में आलू की आवक अधिक होने से आलू के सड़ने की आशंका ज्यादा बढ़ गई है।
आलू की आवक पूर्वाचल की सबसे मंडी में आलू पर संकट मडराने लगा है। आलू की बिक्री नहीं होने से व्यापारी परेशान हैं। फल-सब्जी विक्रेता एसोसिएशन के महामंत्री फिरोज अहमद राइन ने बताया कि कन्नौज, बिल्लौर, बागरमऊ, मलावा, आगरा, फरूखाबाद, बारबंकी, कानपुर, शहजहापुर समेत कई जिलों के कोल्ड स्टोर से आलू मंगवाए जाते हैं। अभी इन स्टोरों में काफी आलू स्टाक है। कोल्ड स्टोर के आलू को यदि दो-चार दिन के अंदर नहीं बेचा गया तो वह सड़ जाते हैं। जिसका नुकसान शॉप ओनर को उठाना पड़ता है। सड़ रहें पर कम मूल्य पर नहीं बेच रहे आलूडिमांड कम होने के कारण मंडियों में आलू सड़ रहे हैं लेकिन थोक विक्रेता उनको कम रेट में बेचने की बजाए सड़ाना पसंद कर रहे हैं। जिससे आलू कारोबारी और ग्राहक दोनों को नुकसान उठाना पड़ रहा हैं। अगर मंडी में अधिक आलू आ गया तो कारोबारियों को भी चाहिए कि आलू के मूल्य में कुछ कमी कर दें जिससे शॉप आनर्स और कस्टमर दोनों को फयादा होगा। सपोज करिए एक दुकाददार के पास दो किलो आलू है। अगर वह उसे ऊंचे मूल्य में बेचता है तो उसका एक किलो बिक गया और एक किलो बचा हुआ आलू सड़ने लगता है जिससे न तो शॉप आनर को कोई फायदा हुआ न कस्टमर को।