रंगोत्सव का पर्व धूमधाम से मनाने के लिए गोरखपुराइट्स ने तैयारियां शुरू कर दी हैैं. बच्चे बूढ़े युवा महिलाएं सभी अपने समूहों में होली सेलिब्रेट करने की तैयारी कर रहे हैैं. घरों में महिलाएं जहां जमकर मस्ती करने के मूड में हैैं.


गोरखपुर (ब्यूरो)। बच्चों ने घरों की छतों पर चढ़कर गलियों और सड़कों पर घूम रहे होरियारों पर पिचकारी और बाल्टी से रंग डालने के लिए अबीर-गुलाल के साथ-साथ रंगों की खरीदारी शुरू कर दी है। कुछ स्थानों पर एक-दूसरे पर गुब्बारों में रंग भरकर होली खेलने के लिए प्लेसेज भी डिसाइड किए जा रहे रहे हैैं। होली पर शहर में बैंड बाजों और डीजे की बुकिंग भी शुरू हो गई है।सड़कों पर घूमते है होरियार


दरअसल, होली का नाम आते ही मस्ती छा जाती है। इसका असली मजा उन लोगों के लिए होता है जो होली पर शहरभर में निकाले गए जुलूस में शामिल होते हैैं। सड़कों पर घूम कर होरियार करते हैैं। इस परंपरा को जिंदा रहने का काम करते हैैं। साथ ही एक दूसरे पर रंग गुलाल लगाने के साथ ही डीजे और बैंडबाजे की धुन पर होली गीत पर झूम उठते हैैं। होली के इस पावन पर्व पर एक दूसरे से बैर भाव भुलाकर लोग रंग लगाते हैैं। होली पर जात-पात, ऊंच-नीच आदि भुलाकर लोग एक दूसरे को रंग गुलाल लगाते हैैं।

मै पिछले 12 साल से होरियार कर रहा हूं। इसके लिए होली पर्व के सुबह ढोल-बाजा के साथ झाल बजाते हुए एक दूसरे के घर हम लोग जाते हैैं। एक दूसरे को अबीर-गुलाल लगाने के साथ-साथ जोगीरा-सारा-रा रा करते हुए कारवां बढ़ता जाता है। इस बार भी इसकी तैयारी है।नवल कुमार, बिजनेसमैन होरियार की शुुरुआत 17 साल पहले की गई। हमने घर से इसकी शुरुआत की। होली के पर्व को रंगोत्सव के रूप में मनाने के साथ-साथ एक दूसरे को अबीर-गुलाल लगाने का काम करते हैैं। अपने मोहल्ले के गली में लोगों के घर जाते हैैं, मिलन समारोह करते हैैं। भाईचारे का संदेश देते हैैं।गोपाल वर्मा, बिजनेसमैन रंगोत्सव के दिन हम सभी एक दूसरे को अबीर-गुलाल लगाते हुए नरसिंह यात्रा में शामिल होते हैैं। जुलूस निकला जाता है। उसमें शामिल होते हैैं। होरियार का चलन 20 वर्ष से हैैं। जिसके जरिए हम एक दूसरे को साधने का प्रयास करते हैैं। भाईचारे का संदेश देते हुए रंगोत्सव को मनाते हैैं।विकास जालान, थोक कारोबारीबाक्स में 17 मार्च को होलिका दहन व 19 को होगी रंगभरी होली

रंगोत्सव के पर्व को उल्लास के साथ मनाने की तैयारियां शुरू हो गई है। पं। शरद चंद्र मिश्रा ने बताया कि 17 मार्च दिन गुरुवार को सूर्योदय 6 बजकर 3 मिनट पर होगा। चतुर्दशी तिथि का मान दिन में 1 बजकर 2 मिनट तक होगा। इसके बाद पूरे दिन और रात्रि पर्यन्त पूर्णिमा है। यह पूर्णिमा दूसरे दिन 18 मार्च को दिन में 12 बजकर 52 मिनट तक रहेगा। 17 मार्च को भद्रा है। जो दिन में 1 बजकर 2 मिनट से रात को 12 बजकर 57 मिनट तक है। पूर्णिमा तिथि के पूर्वाद्र्ध में भद्रा का निवास होता ही है, इसलिए होलिका दहन के विषय में लिखा गया है कि होली, भद्रा रहित पूर्णिमा के रात में ही किया जाय। दिन में, चतुर्दशी या प्रतिपदा में होलिका दहन का निषेध है। इसलिए इस वर्ष होलिका दहन 17 मार्च की रात्रि में 12 बजकर 57 मिनट के बाद और 18 मार्च को सूर्योदय 6 बजकर 2 मिनट से पहले ही मान्य रहेगा। उन्होंने बताया कि रंग भरी होली चैत्र कृष्ण सूर्योदय व्यापिनी प्रतिपदा में आयोजित होगा। यह 19 मार्च को है। इस दिन प्रतिपदा दिन में 12 बजकर 13 मिनट तक है। धूलिवंदन और राग रंग के दिन यह दिन प्रशस्त है। रंग भरी होली 19 मार्च को पूरे दिन मनाई जाएगी।

Posted By: Inextlive