सपने में आई माई तो बना काली मंदिर
- डेली हजारों की संख्या में दर्शन करने आते हैं श्रद्धालु
- नवरात्र में देर रात तक नहीं टूटता श्रद्धालुओं का तांता GORAKHPUR : गोरखपुर रेलवे स्टेशन से लगभग डेढ़ किमी दूर स्थित गोलघर काली मंदिर शहर के सबसे मशहूर मंदिरों में से एक हैं। जहां रोज हजारों लोग माता के दर्शन करने आते हैं। वहीं चैत्र और शारदीय नवरात्र में मंदिर में श्रद्धालुओं की जबरदस्त भीड़ जुटती है। श्रद्धालुओं को विश्वास है कि यहां मन से मांगी गई मनोकामना काली माता जरूर पूरी करती हैं। आई नेक्स्ट आज आपको इसी मंदिर की महत्ता बताने जा रहा है। स्वप्न में आई थी माईमंदिर के रखरखाव के लिए श्रीमाता महाकाली मंदिर समिति, पटेल चौक का गठन किया गया है। समिति के संरक्षक सुरेंद्र जायसवाल का कहना है कि यहां देवी का रूप गोरखपुर के इतिहास के पहले से है। उनके दादा लाला रामअवतार शाह ने बहुत पहले यहां पर पांच फीट मंदिर का निर्माण कराया था। मंदिर के बारे में किंवदंती है कि यहां पर एक नीम का पेड़ था। इसी पेड़ के नीचे एक पिंड हुआ करता था। जिस पर कोई मंदिर नहीं था, लोग इस पिंड की पूजा करते थे। लाला रामअवतार शाह को एक स्वप्न आया कि यहां पर एक मंदिर का निर्माण कराएं। उसके बाद लाला रामअवतार शाह ने नीम के पेड़ के नीचे एक छोटे मंदिर का निर्माण कराया। मंदिर बनने के बाद पूजा वह खुद करते थे और मंदिर की साफ-सफाई की जिम्मेदारी घर का माली करने लगा।
बढ़ता गया मंदिर का प्रताप सुरेंद्र जायसवाल ने बताया कि लाला जी के साथ रहते-रहते माली पूरी तरह से पुजारी हो गया। लाला के निधन के बाद माली ही मंदिर के पुजारी बन गए और मंदिर की देखरेख करने लगे। 1972 में लाला रामअवतार शाह के पुत्र जंगीलाल जायसवाल ने एक भव्य मंदिर का निर्माण कराया। उसके बाद धीरे-धीरे मंदिर का स्वरूप बढ़ता गया।