Heat Wave : बढ़ती गर्मी से मिलेगी राहत, क्लाइमेट सेल करेगा हीट वेव से प्रोटेक्ट
गोरखपुर (ब्यूरो)।गोरखपुराइट्स को हीट वेव से राहत देने के लिए तैयारी शुरु हो गई है। तपती धूप या गर्म हवाओं से आपको प्रोटेक्ट करने के लिए जिला प्रशासन ने 'क्लाइमेट सेलÓ का गठन किया है। इस हीट वेव से निजात दिलाने के लिए जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की ओर से कार्ययोजना बनाई जा रही है। पिछले साल तैयार की गई कार्ययोजना को प्रदेश स्तर से प्रशंसा भी मिल चुकी है। इसको केस स्टडी के रूप में केंद्र सरकार के पास भी भेजा गया है। तालाब-पोखरों में भरवाया जाएगा पानी
हीट वेव को ध्यान में रखते हुए गोरखपुर में 'हीट वेव एक्शन प्लानÓ तैयार किया जा रहा है। जिला आपदा विशेषज्ञ गौतम गुप्ता ने बताया कि शहर ही नहीं छोटे-छोटे कस्बे और गांवों में भी लोगों को पीने का शुद्ध और ठंडा पानी उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जा रही है। तालाबों और पोखरों को पानी से भरवाया जाएगा। इसके अलावा जगह-जगह छांव की व्यवस्था की जा रही है जिससे लोगों को थोड़ी राहत मिल सके। उन्होंने बताया कि जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण गोरखपुर में यूनिसेफ उत्तर प्रदेश के सहयोग से जिले में हीट वेव एक्शन प्लान तैयार कर रहा है। इसके लिए नगर निगम, हेल्थ डिपार्टमेंट, पशुपालन विभाग, जलकल, पंचायती राज, लघु सिंचाई आदि विभागों की भी जिम्मेदारी तय की जा रही है। इसके लिए लखनऊ में मंगलवार को वर्कशॉप भी होगी। इसमें हीट वेव मैनेजमेंट के गुर बताए जाएंगे। क्या है हीट वेव जब किसी जगह का टेंप्रेचर वहां के ऐतिहासिक औसत से अधिक हो जाता है तो उसे हीट वेव या लू कहते हैं। आईएमडी के अनुसार जब मैदानी इलाकों का अधिकतम 40 डिग्री सेल्सियस तक और पहाड़ी क्षेत्रों का तापमान 30 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है तो लू चलने लगती है। यदि तापमान 47 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है तो इसे खतरनाक लू की श्रेणी में रखा जाता है। तटीय क्षेत्रों में जब तापमान 37 डिग्री सेल्सियस हो जाता है तो हीट वेव चलने लगती है। स्वास्थ्य के लिए खतरनाक
हीट वेव या लू की घटनाएं मानव और पशु जीवन को नुकसान पहुंचाती है। हीट वेव आमतौर पर शरीर में पानी की कमी, थकावट होना, कमजोरी आना, चक्कर आना, सिरदर्द, मतली, उल्टी, मांसपेशियों में ऐंठन और पसीना होना और लू लगना, हीट स्ट्रोक आदि शामिल हैं। हीट वेव की वजह से मानसिक तनाव भी हो सकता है। लूह लगने के लक्षणों में गर्मी में शरीर में अकडऩ, सूजन, बेहोशी और बुखार भी आ सकता है। यदि शरीर का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस या इससे अधिक होता है तो दौरे पडऩे लगते हैं, इंसान कोमा में भी जा सकता है। हीट स्ट्रोक से बचने के उपाय - अधिक से अधिक पानी पीएं - हल्के रंग के चश्मे, छाता, टोपी व चप्पल का प्रयोग करें- अगर खुले में काम करते हैं तो बॉडी को कवर करें - लू से प्रभावित व्यक्ति को छाया में लिटाकर सूती गीले कपड़े से पोछे अथवा नहलाएं और चिकित्सक से संपर्क करें- ट्रेवल करते समय पीने का पानी साथ ले जाएं- ओआरएस, घर में बने हुए पेय पदार्थ जैसे लस्सी, चावल का पानी, नीबू पानी, छाछ आदि का उपयोग करें- कार्य स्थल पर ठंडे पीने का पानी रखें- सीधे सूरज की रोशनी से बचने के लिए सावधान रहें- घर के बाहर होने की स्थिति में आराम करने की समयावधि और आवृत्ति को बढ़ाएं- गर्भस्थ महिला कर्मियों तथा रोगग्रस्त कर्मियों पर अतिरिक्त ध्यान देना चाहिए। क्या न करेंजानवरों और बच्चों को कभी भी बंद/खड़ी गाडिय़ों में अकेला न छोड़ेअधिक प्रोटीन तथा बासी एवं संक्रमित खाद्य एवं पेय पदार्थों का प्रयोग न करें। अल्कोहल, चाय व काफी पीने से परहेज करेंबनाया गया क्लाइमेट सेल
गोरखपुर में बढ़ते तापमान, असमय बारिश, हवा की स्पीड आदि के पूर्वानुमान की गणना और स्टडी के लिए क्लाइमेट सेल की स्थापना कर ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन स्थापित किया गया है। इस सेल में भारत मौसम विभाग, गोरखपुर, एमएमएमयूटी, डीडीयूजीयू का डिफेंस डिपार्टमेंट, जिला सूचना विज्ञान विभाग और प्रदूषण एवं पर्यावरण विभाग के प्रतिनिधियों को शामिल करते हुए पायलट प्रोजेक्ट के रूप में क्रियान्वित किया गया है। हर साल हीट वेव के दिनों की संख्या बढ़ रही है। आने वाले दिनों में संकट और बढ़ सकता है। ऐसे में पहले सभी तैयारियां की जा रही हैं। जिला प्रशासन की तरफ से हीट वेव प्लान बनाया जा रहा है। इसके लिए लखनऊ में एक वर्कशॉप भी है। गौतम गुप्ता, जिला आपदा विशेषज्ञ