Gorakhpur News : मुखबिरी तो दूर, अभी वालंटियर नहीं तलाश सका स्वास्थ्य विभाग
गोरखपुर (ब्यूरो)।साल बीत जाने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग को अब तक मुखबिर नहीं मिल सका है। वालंटियर न मिलने के कारण पीसीपीएनडीटी सलाहकार समिति की मीटिंग में तेरह नवीनीकरण और सात नए रजिस्ट्रेशन की पत्रावलियां रखी गईं, जिसके बाद सदस्यों ने नवीनीकरण और पंजीकरण करने की संतुति कर दी। हालांकि उन्होंने चेतावनी जरूर दी है कि यदि कोई एक्ट का उल्लंघन करता है तो उसपर तत्काल कार्रवाई की जाएगी। खुद ही दर्ज कराए 32 मुकदमे
स्वास्थ्य विभाग को भले ही वालंटियर नहीं मिले हैं, लेकिन विभाग ने खुद ही औचक निरीक्षण और मरीजों के बयान के आधार पर 32 लोगों के खिलाफ कन्या भ्रूण हत्या के मामले में केस दर्ज कराया है। स्वास्थ्य विभाग को इसके लिए थोड़ा मेहनत करनी पड़ी है, लेकिन उन्हें कामयाबी जरूरी मिली है। हालांकि यह ऐसे केस हैं, जिसमें विभाग ने नियम तोडऩे वालों को पकड़ा है। वहीं एक फर्म ने इसके लिए इंटरेस्ट दिखाया था, लेकिन उसने भी हाथ पीछे खींच लिए हैं। अगर वालंटियर्स मिलने लगें तो ऐसा करने वाले पकड़े जाएंगे और कन्या भू्रण हत्या पर काफी हद तक रोक लग सकेगी। इनाम के बाद भी पहल नहीं
मुखबिर स्कीम के लिए घोषित किए गए इनाम के बाद भी लोग इस ओर नहीं आ रहे हैं। भ्रूण हत्या को उकसावा देने वाले अल्ट्रासाउंड सेंटर्स और नर्सिंग होम्स की सही सूचना देने वाले मुखबिर को पहली किस्त केस दर्ज होने पर 20 हजार, दूसरी किस्त कोर्ट में बयान देने पर 20 हजार और तीसरी किस्त कोर्ट केस फाइनल होने पर 20 हजार रुपए दिए दिए जाने का प्रावधान है। वहीं अगर प्रेग्नेंट लेडी की सूचना पर केस दर्ज किया जाता है तो 30 हजार पहली किस्त, कोर्ट में बयान देने पर 30 हजार और केस फाइनल होने पर 30 हजार रुपए दिए जाते हैं। यदि अटेंडेेट बनकर जाने वाला व्यक्ति सूचना देता है तो केस दर्ज होने पर 10 हजार, कोर्ट में बयान देने पर 10 हजार और कोर्ट में केस फाइनल होने पर 20 हजार रुपए देने का प्रावधान है। ऐसे वर्क करेगी मुखबिर स्कीम
इस स्कीम के तहत राज्य या केंद्र सरकार की सेवाओं में कार्यरत व्यक्ति या प्रेग्नेंट लेडी को मिथ्या ग्राहक बनने वाली प्रेग्नेंट लेडी को शपथ पत्र देना होता है। मुखबिर मिथ्या ग्राहक या सहायक बनने के लिए सीएमओ से संपर्क किया जा सकता है। ये लोग उन अल्ट्रासाउंड सेंटर्स और नर्सिंग होम्स की जानकारी स्वास्थ्य विभाग को देंगे जहां भ्रूण परीक्षण होता मिलेगा। अपराधियों का आसानी से पता लगाने लिए ये लोग रासायनिक नोट से पेमेंट करेंगे। इस तरह से अपराधियों को पहचान लिया जाएगा। मुखबिर की सूचना पर पुलिस और हेल्थ डिपार्टमेंट की टीम बताए गए पते पर छापा मारेगी। इसके बाद संबंधित अल्ट्रासाउंड सेंटर और नर्सिंग होम के खिलाफ कार्रवाई की जाती है। यह है कार्रवाईपीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत लिंग परीक्षण करवाने एवं जांच करवाने वाले दोनों के खिलाफ सजा का सख्त प्रावधान है। दोषी पाए जाने पर एक लाख रुपए का जुर्माना एवं पांच साल तक की सजा हो सकती है। वहीं सेंटर का लाइसेंस भी जब्त हो जाएगा। एक प्राइवेंट एजेंसी आई थी। जिसने मुखबिरी की जिम्मेदारी ली थी, लेकिन अभी तक वह नहीं आई है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन अभी तक मुखबिर नहीं मिले हैं। - डॉ। एके सिंह, डिप्टी सीएमओ