गर्मी में प्यासा मारने की तैयारी
- कार्यकारिणी ने खराब हैंडपंप्स की मरम्मत का लिया था निर्णय
- एक माह बाद भी नहीं शुरू हो सका कार्य - जलकल अफसरों की लापरवाही पड़ रही पब्लिक को भारीGORAKHPUR: पानी की किल्लत झेल रहे शहरवासियों को जलकल विभाग से राहत की उम्मीद थी, लेकिन जिम्मेदार अफसर इसके उलट उनकी मुश्किलें बढ़ाने की तैयारी में लगे हैं। शहर में बंद पड़े हैंडपंप्स के लिए नगर निगम कार्यकारिणी ने मार्च माह में रिबोर योजना स्वीकृत की थी। इसके बावजूद एक माह बीत जाने पर भी जलकल अफसर इसका पालन करते नजर नहीं आ रहे। हाल ये है कि अब तक एक भी हैंडपंप को रिबोर करने का काम अब तक नहीं शुरू हो सका है। बता दें कि यहां लगे 30 प्रतिशत हैंडपंप बंद पड़े हैं, जिस कारण हजारों लोगों को शुद्ध पेयजल नहीं मिल पा रहा है। इसमें सबसे अधिक दिक्कत शहर के बाहरी एरियाज में हो रही है।
लगभग 500 हो जाते सहीजलकल अगर प्रत्येक वार्ड में पांच हैंडपंप रिबोर का कार्य शुरू कर देता तो शहर में लगभग 500 हैंडपंप सही हो जाते। जलकल के सहायक अभियंता रामकैलाश गुप्ता ने बताया कि कार्यकारिणी के आदेशानुसार देखा जाए तो कुल 70 वार्ड हैं, जहां कार्य होना है। एक वार्ड में अगर पांच हैंडपंप रिबोर किए जाते तो कुल 350 हैंडपंप सही होते। साथ ही उन्होंने बताया कि अमूमन रिबोर करने गई टीम लिस्ट के अलावा एक या दो और हैंडपंप सही कर देती है। इससे ये आंकड़ा 500 तक पहुंच जाता।
1100 से अधिक हैंडपंप खराब शहर में पानी सप्लाई के लिए दो तरह की व्यवस्था है। यहां के 68 प्रतिशत एरिया में पाइप लाइन से पानी सप्लाई होती है, जबकि 32 प्रतिशत एरिया में पानी के लिए इंडियामार्का हैंडपंप लगे हुए हैं। जलकल के आंकड़ों पर नजर डालें तो कुल 3975 इंडियामार्का हैंडपंप लगाए गए हैं। इनमें वर्तमान समय में कुल 1100 खराब पड़े हैं। सबसे अधिक समस्या शहर के बाहरी एरियाज में हैं। करीम नगर में लगे पांच हैंडपंप में से दो बंद पडे़ हैं। यही हाल नंदानगर, इंजीनियरिंग कॉलेज के सामने, इंडस्ट्रियल एरिया, नया गांव, विकास नगर सहित एक दर्जन इलाकों के हैंडपंप्स का भी है। शहर में हैंडपंप मरम्मत का कार्य पार्षद के कहने पर किया जाता है। जिस पार्षद से जलकल को कंप्लेन मिल रही है, उसकी सूची तैयार की जा रही है। अभी हैंडपंप रिबोर का कार्य शुरू नहीं हुआ है, लेकिन इस माह के मध्य तक शुरू कर दिया जाएगा। रामकैलाश गुप्ता, सहायक अभियंता, जलकल