बिना डॉक्टर्स के ही रहीं गोला की तीन पीएचसी
- गोला क्षेत्र के तीनों प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र डॉक्टर विहीन
- मजबूरी में लोग झोलाछाप डॉक्टरों से करा रहे इलाज GOLA BAZAR: स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर प्रदेश सरकार भले ही करोड़ों खर्च कर रही हो, लेकिन डॉक्टर्स से खाली अस्पताल इस पूरी कवायद पर पानी फेरने में लगे हैं। गोला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से जुड़े गांवों में बनाए गए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की हालत तो खुद सरकार को भी हैरान कर देगी। इन अस्पतालों में लंबे समय से कर्मचारियों की भारी कमी चल रही है। इस कारण ग्रामीणों को मजबूरन झोलाछाप डॉक्टरों से इलाज कराना पड़ रहा है। समस्या के समाधान के लिए लगातार जिम्मेदारों के चक्कर काट रहे लोग अब हताश होने लगे हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नेवाईजपारयहां कुल सात पद हैं। इनमें फार्मासिस्ट राधेश्याम दुबे, लैब असिस्टेंट धर्मेद्र कुमार, वार्ड ब्वॉय अरविंद और एएनएम पुष्पा की तैनाती है। बाकि डॉक्टर के दो, एक सुपरवाइजर व चौकीदार का पद खाली है। एक साल पहले यहां तैनात रहे डॉ। राजेश कुमार को गोला अटैच कर दिया गया। तबसे यह अस्पताल फार्मासिस्ट के भरोसे ही चल रहा है। इसके अलावा यहां अन्य समस्याएं भी हैं। यहां लगा इनवर्टर कई वर्ष से खराब पड़ा है। साथ ही सफाई के अभाव में यहां जगह-जगह गंदगी भी फैली हुई है।
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पकड़ी
अति पिछड़े इस क्षेत्र मे जब अस्पताल बना तो लोगों को लगा कि इलाज के लिए दूर नहीं जाना पड़ेगा। लेकिन उनकी उम्मीदें पूरी नहीं हो सकीं। यहां जो भी डॉक्टर आता है कुछ ही दिनों में अपना ट्रांसफर करा लेता है। यहां भी सात पदों में सिर्फ फार्मासिस्ट सतेन्द्र मणि त्रिपाठी व वार्ड ब्वॉय सीताराम को छोड़ सभी पद खाली हैं। ग्रामीणों का कहना है कि फार्मासिस्ट कभी-कभी ही आते हैं। वहीं वार्ड ब्वॉय सुबह 10 बजे से दोपहर दो बजे तक ही ड्यूटी कर चले जाता है। अभी तक अस्पताल में बिजली कनेक्शन तक नहीं है। परिसर में पेयजल की भी कोई व्यवस्था नहीं है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चिलवा इस अस्पताल को तो देखकर यकीन ही नहीं होता कि यहां अस्पताल भी है। यहां केवल डॉ। प्रशांत सिंह व फार्मासिस्ट राजेश कुमार की तैनाती है मगर एक महीने पहले डॉक्टर का तबादला हो गया। साथ ही रखरखाव के अभाव में बिल्डिंग भी पूरी तरह खंडहर हो चुकी है। कहां जा रहा बजटप्रत्येक वर्ष सभी स्वास्थ्य केंद्रों के मेंटेनेंस के लिए बजट दिया जाता है। लेकिन अस्पतालों की स्थिति देखकर नहीं लगता कि इसमें कहीं कोई बजट खर्च किया गया है। नेवाईजपार गांव के प्रधान प्रतिनिधि रिंकू यादव का कहना है कि डॉक्टर ना होने से लोग परेशान हैं। इसके लिए सीएमओ के यहां पत्र भेजकर डॉक्टर नियुक्त किए जाने की मांग की गई थी। वहीं, इधर अस्पताल के मेंटेनेंस के लिए काफी बजट भी आया था। इसके बावजूद कोई कार्य नहीं हुआ। इस संबंध में भी जांच होनी चाहिए।
दवा तक नहीं होती नसीब प्रत्येक अस्पताल पर सरकार दवाएं भी उपलब्ध करवाती है। वैसे बताया जाता है कि फार्मसिस्ट आंकड़ों को दुरुस्त रखते हैं। लेकिन क्षेत्र के स्वास्थ्य केंद्रों में ऐसा नहीं हो रहा। ग्रामीणों का कहना है कि इन केंद्रों में दवा तक उपलब्ध नहीं कराई जा रही है। वहीं, जिम्मेदार इस पर कोई साफ जवाब नहीं दे रहे। झोलाछापों के भरोसे जिंदगीस्वास्थ्य केंद्रों पर चल रही डॉक्टरों की कमी के चलते क्षेत्र के लोगों को मजबूरन झोलाछाप डॉक्टर्स के पास जाना पड़ रहा है। लोगों का कहना है कि छोटी सी बीमारी होने पर बी मजबूर होकर झोलाछाप डाक्टरों के पास जाना पड़ता है। सबसे अधिक समस्या रात में होती है। वहीं, इस पर ना किसी जनप्रतिनिधि और ना ही किसी अधिकारी का ध्यान है। अशोक, मनोज, अजित, दीपू, राजेश, रामाज्ञा यादव, शिवशंकर चंद, लक्ष्मी नारायण आदि ग्रामीणों ने जिम्मेदारों से इस समस्या को दूर करवाने की मांग की है।
पूरे जिले में डॉक्टरों की भारी कमी है। जब कोई डॉक्टर आए तभी तो नियुक्त किया जा सकता है। - डॉ। रविन्द्र कुमार, मुख्य चिकित्साधिकारी