लहू के दो रंग
-जिला महिला अस्पताल की पैथोलॉजी में हुआ कारनामा
- एक ही महिला की ब्लड रिपोर्ट में दो अलग-अलग ग्रुप बता दिया GORAKHPUR: एक आम आदमी का बड़ा सहारा होता है जिला अस्पताल। तमाम जगहों से उम्मीदें हारकर लोग यहां पहुंचते हैं मुफीद और सटीक इलाज मिलेगा। लेकिन क्या हो, जब जिला महिला अस्पताल में जांच के नाम पर खेल होने लगे। ऐसा ही एक वाकया सामने आया है, जिसमें एक प्रेगनेंट महिला की दो ब्लड रिपोर्ट में उसका ब्लड ग्रुप भी दो बता दिया गया। यह दोनों जांचें जिला महिला अस्पताल की पैथलैब में ही हुई थीं। अब ये तो संयोग अच्छा था कि महिला का दूसरी बार ब्लड टेस्ट कर लिया गया, वरना महिला की तो जान पर ही बन आती। जब इसकी जानकारी प्रेग्नेंट महिला के परिजनों को लगी तो वे हक्का-बक्का रह गए। यह है पूरा मामलासहजनवां एरिया के छपिया के रहने वाले हीरा मणि यादव की 23 वर्षीय पत्नी निशा यादव को प्रसव पीड़ा हो रही थी। परिजनों ने उसे चार दिसंबर को जिला महिला अस्पताल में एडमिट करवाया। यहां डॉक्टर ने पहले नॉर्मल डिलीवरी की कोशिश की। लेकिन सफलता नहीं मिली तो सिजेरियन की सलाह दी गई। महिला के परिजनो ंसे उसका ब्लड ग्रुप लाने को कहा। परिजनों का कहना है कि पहले सामान्य पैथॉलोजी में ब्लड की जांच कराई गई तो वहां ब्लड ग्रुप बी पॉजिटिव बताया। डॉक्टर ने रिपोर्ट देखी तो दोबारा जांच के लिए लिख दिया। दूसरी जांच इमरजेंसी की पैथोलॉजी में हुई और हैरानी की बात यह रही कि इसमें ब्लड ग्रुप ओ पॉजिटिव आया। यह देखकर सभी हैरान हो गए। परिजनों ने डॉक्टर के मुताबिक इमरजेंसी के लिए ओ पॉजिटिव ब्लड उपलब्ध करवाया। हालांकि इस दौरान ब्लड चढ़ाने की जरूरत नहीं पड़ी। प्रेगनेंट महिला ने ऑपरेशन के दौरान एक बच्चे को जन्म लिया।
और बीएचटी में काट दिया पेशेंट की बीचएटी (बेड हेड टिकट) पर पहले बी पॉजिटिव ही दर्ज था। लेकिन बाद में दूसरी रिपोर्ट ओ पॉजिटिव मिलते ही पहले लिखे गए बी पॉजिटिव को काटकर वहां ओ पॉजिटिव लिख दिया गया। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां पर क्या चल रहा है। दो पैथोलॉजी है गौरतलब है कि जिला महिला अस्पताल में दो पैथॉलोजी हैं। एक सामान्य तो दूसरी इमरजेंसी। ओपीडी के दौरान सामान्य पैथोलॉजी 2 बजे तक खुलती है। वहीं इमरजेंसी पैथॉलोजी दो बजे के बाद खुलती है। यहां पर गर्भवती महिलाओं की जांच कराई जाती है। इतने आते हैं पेशेंट-300 से 400 पेंशेंट्स आते हैं हर रोज
-2-4 महिलाओं की होती है सिजेरियन डिलीवरी -5-10 महिलाओं की हर रोज होती है नॉर्मल डिलीवरी गलत ब्लड चढ़ाने से जा सकती है जान इस बारे में आई नेक्स्ट ने स्त्री व प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सुधीर गुप्ता से बात की। उन्होंने बताया कि गलत ग्रुप का ब्लड चढ़ाने से बच्चा और बच्चे को खतरा होता है। इससे मां की भी जान जा सकती है। वर्जन यह बड़ी चूक है इसकी जांच कराई जाएगी। जांच रिपोर्ट आने के बाद संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। -डॉ। एके गुप्ता, एसआईसी, महिला अस्पताल