भगवान 'बेदर्द', न जान पाए उसका दर्द
- जिला महिला अस्पताल में 9 घंटे दर्द से कराहती रही प्रेगनेंट महिला, नहीं मिला बेहोशी का डॉक्टर
- कर दिया बीआरडी रेफर, एंबुलेंस नहीं मिलने पर गंभीर पेशेंट को ऑटो से ले गए घर वाले GORAKHPUR: जिला महिला अस्पताल में एक प्रेगनेंट महिला 9 घंटे तक दर्द से कराहती रही लेकिन जिम्मेदारों का दिल नहीं पसीजा। जैसे-जैसे समय बीत रहा था, पेशेंट का दर्द बढ़ता जा रहा था और साथ आए घर वालों की सांस अटकती जा रही थी लेकिन जिम्मेदार बेपरवाह बने रहे। इतने बड़े अस्पताल में एनेस्थिसिया नहीं मिला कि पेशेंट का ऑपरेशन किया जा सके। दर्द की इंतेहा झेल रही महिला को डॉक्टर ने बीआरडी रेफर कर दिया। इतना ही नहीं, बीआरडी जाने के लिए भी एंबुलेंस नहीं मिला तो परिजन ऑटो से ले गए। यह कैसी व्यवस्था?सिद्धार्थनगर जिले के उस्का बाजार निवासी सोनू वर्मा की पत्नी सीमा वर्मा (26) सिटी के गीता प्रेस स्थित अपने मायके में आई हुई थीं। सोमवार की सुबह उनको लेबर पेन शुरू हुआ तो परिजन जिले में महिलाओं के सबसे बड़े अस्पताल- जिला महिला अस्पताल में ले गए। सोमवार को सुबह छह बजे पेशेंट को इमरजेंसी में एडमिट कराया। डॉक्टर ने प्रेग्नेंट महिला को वार्ड में शिफ्ट कर दिया। परिजनों का आरोप है कि इतने बड़े अस्पताल में पेशेंट दर्द से तड़पती रही लेकिन उसका इलाज नहीं हुआ। लेबर रूम में महिला को नौ घंटे तक रखा गया। दोपहर 2:30 बजे उसकी हालत बहुत खराब हो गई।
बोले, बेहोशी का डॉक्टर नहीं है महिला की हालत बिगड़ती देख परिजनों ने दबाव बनाना शुरू किया तो डॉक्टर्स व हेल्थ एंप्लाइज ने कहा कि अभी बेहोशी के डॉक्टर नहीं हैं। यह कहते हुए डॉक्टर ने पेशेंट को मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया। परिजनों का आरोप है कि डॉक्टर ने बिना बेहोश किए ही ऑपरेशन करने की कोशिश की। महिला को छोटा चीरा भी लगाया गया लेकिन हालत बिगड़ गई तो छोड़ दिया। एंबुलेंस तक नहीं आई गवर्नमेंट के लाखों-करोड़ों रुपए खर्च होने वाले इस अस्पताल में पेशेंट की दुर्दशा यही खत्म नहीं हुई। रेफर होने के बाद जब फैमिली मेंबर्स एंबुलेंस ढूंढने निकले तो उन्हें एंबुलेंस नहीं मिली। टोल फ्री नंबर 108 पर कॉल कर पेशेंट की हालत बिगड़ने की सूचना दी और एंबुलेंस मांगा लेकिन सूचना के डेढ़ घंटे बाद भी एंबुलेंस नहीं पहुंची। इस बीच हेल्थ कर्मी प्रेग्नेंट महिला को वार्ड से बाहर लेकर चले गए और एंबुलेंस का वेट करने लगे। देखा न गया दर्दबेहोशी का डॉक्टर मुहैया नहीं करा पाने वाली व्यवस्था, पेशेंट को एंबुलेंस देने में भी नाकाम रही। इस बीच पेशेंट का दर्द बढ़ता ही जा रहा था। परिजनों को नहीं देखा गया तो उन्होंने बाहर से एक ऑटो मंगाया। गंभीर हालत में पेशेंट को ऑटो में ले जाना खतरनाक हो सकता है, यह जानते हुए भी एंबुलेंस नहीं आने के कारण परिजन ऑटो में ही उसे मेडिकल कॉलेज ले गए।
वर्जन इस मामले की जानकारी नहीं है। इसकी जांच कराई जाएगी। जो भी दोषी होगा उस पर कार्रवाई होगी। डॉ। एके गुप्ता, एसआईसी, जिला महिला अस्पताल