संसाधनों की कमी से प्यासा है आधा गोरखपुर
- हैंडपंप हैं सहारा, लेकिन वो भी नहीं हुए रिबोर
GORAKHPUR : सिटी में पानी सप्लाई करने के लिए नगर निगम ने बाकायदा एक पूरा विभाग (जलकल) बना रखा है। इस विभाग के कर्मचारियों के वेतन, भत्तों पर हर महीने लाखों रुपये खर्च होते हैं, उसके बावजूद आधा गोरखपुर प्यासा है। सिटी की वाटर सप्लाई को दुरुस्त करने के लिए जलकल को करोड़ों रुपए का बजट मिलता है, लेकिन फिर भी संसाधनों की कमी का रोना रोया जाता है। स्थिति यह है कि सिटी के 4 लाख लोगों को आज भी शुद्ध पानी नहीं मिल पा रहा है। पद स्वीकृत पद तैनात आवश्यकता महाप्रबंधक 1 1 1सहायक अभियंता 1 1 2
जूनियर इंजीनियर 2 8 10इलेक्ट्रिशियन 1 1 8
फीटर 4 3 8 पंप आपरेटर 44 40 441 ट्यूबवेल की कमी से नहीं बुझती प्याससिटी के 68 प्रतिशत एरिया में पानी सप्लाई करने के लिए कुल 132 बड़े और मिनी ट्यूबवेल लगाए गए हैं। यह ट्यूबवेल 10 प्रतिशत लोगों को भी पानी मुहैया कराने में नाकाम हैं। ट्यूबवेल कम होने के कारण सिटी के कई हिस्से में पानी सप्लाई तो होती है, लेकिन प्रेशर इतना कम होता है कि एक बाल्टी पानी भरने में घंटों लग जाते हैं। जलकल जेई पीएन मिश्रा का कहना है कि अगर सप्लाई वाले एरिया में 25 और ट्यूबवेल लगा दिए जाएं तो स्थिति सुधर जाएगी। हुमायूंपुर, हाल्सीगंज और गोलघर काली मंदिर के पीछे वाले हिस्से में तो दो मंजिला बिल्डिंग पर सप्लाई का पानी चढ़ ही नहीं पाता है। वहीं रुस्तमपुर, महुईसुघरपुर, आजाद चौक और रानीबाग एरिया में नियमित पानी सप्लाई ही नहीं हो पाती है। इन एरियाज में अक्सर पाइप फट जाते हैं।
सिटी में डेली लगभग 42 लाख लीटर पानी की कमी सिटी में पानी सप्लाई के लिए जलकल ने बड़े और मिनी ट्यूबवेल विभिन्न एरिया में लगा रखे हैं। इन ट्यूबवेलों से डेली 90 मिलियन लीटर पर डे सप्लाई होती है, जबकि सिटी में प्रतिदिन कम से कम 135 एलपीसीडी (लीटर पर कैपिटा पर डे) पानी की आवश्यकता होती है। जलकल के आंकड़ों की मानें तो सिटी के लगभग 4 लाख लोगों को आज भी शुद्ध पानी नहीं मिल पा रहा है। हैंडपंप के भरोसे है 32 परसेंट पब्लिकसिटी के 32 प्रतिशत एरिया की प्यास इंडिया मार्का हैंडपंप से बुझती है। इन एरिया में जलकल की ओर से कुल 3975 हैंडपंप लगाए गए हैं। जिनकी मरम्मत और रखरखाव की पूरी जिम्मेदारी जलकल की है। नगर निगम कार्यकारिणी ने प्रस्ताव पास किया था कि गर्मी से पहले शहर के अंदरूनी वार्डो में दो और बाहरी वार्डो में पांच हैंडपंप रिबोर किये जाएंगे, लेकिन जलकल अफसरों की तानाशाही के कारण एक भी हैंडपंप रिबोर नहीं किया गया है। जलकल के आंकड़ों की ही मानें तो वर्तमान समय में सिटी में कम से कम 500 हैंडपंप खराब पड़े हुए हैं, लगभग 1000 हजार हैंडपंप का पानी दूषित हो चुका है। ऐसे में सिटी में कुल मात्र 2475 हैंडपंप के भरोसे पानी की प्यास बुझ रही है।
अब तक नहीं शुरू हुई इन टंकियों से सप्लाई निर्माण लागत अफेक्टेड एरिया 2006 15 लाख दिव्य नगर, धोबीटोला, डिभिया, भैरोपुर और रानीडिहा 2010 20 लाख जंगलमातादीन मलिन बस्ती, अल्पसंख्यक बस्ती, चौटहिया टोला श्री रामनगर और जंगलमाता दीन 2003-04 33 लाख राप्तीनगर फेज-4 समझिए शहर की वाटर सप्लाई को जनसंख्या- 672072 (अनुमानित जनसंख्या 13 लाख) कुल एरिया - 147.5 वर्ग किमी वार्ड की संख्या- 70 ट्यूबवेल - 132 उत्पादन - 90 एमएलडी (मिलियन लीटर पर डे) आवश्यकता- 135 एलपीसीडी (लीटर पर कैपिटा पर डे) मांग में कमी- 41.3 एलपीसीडी खपत- 99.93 एलपीसीडी ओवर हेड टैंक- 25 अंडरग्राउंड टैंक- 1 स्टोरेज कैपसिटी- 19460 किलोलीटर स्टैंड पोस्ट- 475 पाइप लाइन- 1125 किमी पानी सप्लाई का समय- 12 घंटे (सुबह 5 से 10 बजे, दोपहर 12 से 2 बजे और शाम 5 से 10 बजे) हैंडपंप की संख्या- 3975 कुल कनेक्शन - 58537सिटी का पानी किस हद तक पीने लायक है, यह जानने के लिए आई नेक्स्ट लगातार कोशिश कर रहा है। इस सीरीज में रुस्तमपुर के इंडिया मार्का 2 हैंडपप के सैंपल की जांच कराई गई। इसमें सभी कुछ विद इन नॉर्मल रेंज पाया गया। एमएमएमयूटी के प्रोफेसर डॉ। गोविंद पांडेय की मानें तो वाटर की टेस्टिंग कुछ पैरामीटर्स को सेंटर में रखकर की जाती है, जिससे कि वाटर पीने लायक है या नहीं यह पता चल सकता है। इसके लिए उनके अंडर वर्क करने वाले एमटेक एंवायर्नमेंटल इंजीनियरिंग के अपूर्व वर्मा ने काफी गहन रिसर्च की है। इसमें कई जगह का पानी परफेक्ट पाया गया है, वहीं कुछ जगह पानी में बैक्टेरिया पाए गए हैं।
न्ह्मद्गड्ड - क्त्रह्वह्यह्लड्डद्वश्चह्वह्म क्कड्डह्मड्डद्वद्गह्लद्गह्मह्य न्ष्ह्लह्वड्डद्य न्ष्ष्द्गश्चह्लड्डढ्डद्यद्ग रुद्बद्वद्बह्लह्य क्क॥ - 7.71 (6.5-8.5) ञ्जष्ठस् - 450 (500द्वद्द/द्यह्लह्म) ॥ड्डह्मस्त्रठ्ठद्गह्यह्य - 68 (200द्वद्द/द्यह्लह्म) ष्टद्य - 36 (250द्वद्द/द्यह्लह्म) न्द्यद्मड्डद्यद्बठ्ठद्बह्ल4 - 65 (200द्वद्द/द्यह्लह्म)