निराला का साहित्य भारतीय चिंतन परंपरा का जीवंत स्वरूप उपस्थित करता है. उनकी हर कविता मनुष्य जीवन के प्रत्येक रूप को दर्शाती है यही वजह है कि निराला की कविताएं आज भी नए संदर्भ तलाश करती हैं.


गोरखपुर (ब्यूरो)।यह वक्तव्य बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी झांसी के हिंदी डिपार्टमेंट के एचओडी और डीन ऑफ आट्र्स प्रो। मुन्ना तिवारी ने गुरुवार को डीडीयू गोरखपुर यूनिवर्सिटी के हिंदी एवं पत्रकारिता और संस्कृत डिपार्टमेंट के साहित्य संवाद श्रृंखला की दूसरी कड़ी में 'महाप्राण निराला : मूल्य और महत्वÓ विषय पर बोलते हुए दिया।कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए हिंदी एवं संस्कृत विभाग के एचओडी प्रो। दीपक प्रकाश त्यागी ने कहा कि हिंदी विभाग में शीलवान छात्रों की परंपरा रही है। विभाग की योजनाएं विद्यार्थियों को साहित्य का संस्कार देने की है। संचालन प्रो। प्रत्यूष दूबे और धन्यवाद ज्ञापन डॉ। सूर्यकांत ने किया।
इस अवसर पर प्रो। राजेश मल्ल, प्रो। अनिल राय, प्रो। विमलेश मिश्र, डॉ। नरेंद्र कुमार, डॉ। रामनरेश राम, डॉ। संदीप कुमार यादव, डॉ। अखिल मिश्रा, डॉ। सुनील कुमार यादव, डॉ। अभिषेक शुक्ल, डॉ। रंजन लता, डॉ। डॉक्टर धर्मेंद्र कुमार, डॉ। देवेंद्र पाल, डॉ। कुलदीप शुक्ल, डॉ। रजनीश कुमार चतुर्वेदी सहित सभी स्टूडेंट्स मौजूद रहे।

Posted By: Inextlive