संत कवियों की रहनी और कहनी में विभेद देखने को नहीं मिलता. जो व्यक्ति शांति का अनुभव कराए वही सही मायने में संत है. यह बातें हिंदी विभाग में संत रैदास जयंती की पूर्व संध्या पर आयोजित 'संत रैदास की सामाजिक सांस्कृतिक चेतनाÓ विषय साहित्य संवाद के दौरान विषय प्रवर्तक प्रो. विमलेश कुमार मिश्र ने कहीं.


गोरखपुर (ब्यूरो)।कार्यक्रम में प्रखर, वसुंधरा, श्वेता आदि स्टूडेंट्स ने रैदास के पदों का गायन किया। प्रो। अनिल राय ने कहा कि कबीर और रविदास को सोशल साइंटिस्ट और इतिहासकार के तौर पर पढऩा चाहिए। कबीर एकेडमी में रिसर्च का सुनहरा मौकाकार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो। दीपक प्रकाश त्यागी ने कहा कि 2018 में जब संस्कृत एकेडमी की शुरुआत हुई उस समय हिंदी के सभी आचार्य उससे जुड़े रहे। इस एकेडमी से जुड़कर स्टूडेंट्स के पास रिसर्च करने का एक सुनहरा मौका है। इसमें वह फेलोशिप का भी लाभ उठा सकते हैं। कार्यक्रम में प्रो। राजेश मल्ल, डॉ। सूर्यकांत त्रिपाठी ने भी अपना वक्तव्य दिया। संचालन डॉ। अखिल मिश्र ने किया। इस अवसर पर प्रो। प्रत्युष दूबे, डॉ। नरेंद्र कुमार, डॉ। संदीप यादव, डॉ। अभिषेक शुक्ल सहित सभी टीचर्स और स्टूडेंट्स मौजूद रहे।

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