कैशलेस झटका
i Reality Check
- कैशलेस पेमेंट करने पर MRP से 2 से 4 परसेंट एक्स्ट्रा वसूल रहे दुकानदार - मोबाइल से लेकर ज्वेलरी तक की खरीदारी में पब्लिक को लग रहा चूना - रोज करीब 50 करोड़ का कैशलेस कारोबार, पब्लिक को रोज एक करोड़ की चपतGORAKHPUR: गवर्नमेंट पब्लिक को अधिक से अधिक कैशलेस पेमेंट के लिए इंस्पायर कर रही है। कैशलेस पेमेंट पर तमाम स्कीम चला रही है लेकिन पब्लिक जब इन स्कीम से इंस्पायर्ड हो शॉप पर पहुंचती है तो उसे प्रॉफिट की बजाय, उल्टे लॉस हो जा रहा है। मोबाइल से लेकर ज्वेलरी शॉप तक कैशलेस पेमेंट पर व्यापारी कस्टमर्स से 2 से 4 परसेंट तक एक्स्ट्रा वसूल कर रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार, गोरखपुर में रोजाना 50 करोड़ का कैशलेस कारोबार होता है। इसका मिनिमम दो परसेंट यानी कि एक करोड़ रुपए एक्स्ट्रा व्यापारी कस्टमर्स से वसूल कर रहे हैं। कुल मिलाकर पब्लिक को एक महीने में 30-35 करोड़ का चूना लग रहा है। आई नेक्स्ट के रिएल्टी चेक में इसका खुलासा हुआ है।
MRP पर चाहिए तो दो कैशसिटी के ऐसे एक-दो नहीं, सैकड़ों दुकानें हैं, जहां इस समय कैशलेस के नाम पर अवैध रूप से एक्स्ट्रा चार्ज करने का खेल चल रहा है। कैश लेने पर तो व्यापारी एमआरपी से भी कुछ छूट दे दे रहे हैं लेकिन कैशलेस की बात करते ही उनका व्यवहार बदल जाता है। वे सामान पर तो कोई छूट नहीं ही देते, एमआरपी से भी 2 से 4 परसेंट तक एक्स्ट्रा चार्ज करते हैं। वे सामान की रसीद तो एमआरपी दर पर ही दे रहे हैं लेकिन उसके बाद अलग से दो से 4 परसेंट तक वसूली कर रहे हैं। इससे कस्टमर्स को एक ही सामान कैश से सस्ता तो कार्ड पेमेंट करने पर काफी महंगा पड़ रहा है।
कोई जबरदस्ती नहीं है नाम न छापने की शर्त पर एक दुकानदार बताता है कि डिस्ट्रीब्यूटर उन्हें कैश पेमेंट करने के लिए प्रेशर देते हैं। चेक या एकाउंट के थ्रू पेमेंट करने पर वे उनसे दो से तीन परसेंट तक एक्स्ट्रा लेते हैं जिस कारण उन्हें कस्टमर्स से एक्स्ट्रा लेने की मजबूरी है। वे कस्टमर्स से जो एक्स्ट्रा पैसे ले रहे हैं, वह उनसे डिस्ट्रीब्यूटर ले लेता है। वे कभी कस्टमर्स पर दबाव नहीं बनाते। कोई जबरदस्ती नहीं है। यदि कस्टमर कैश पेमेंट करता है तो उसे अपनी तरफ से कुछ छूट भी दे सकते हैं लेकिन कैशलेस पेमेंट पर उन्हें एक्स्ट्रा चार्ज देना ही होगा। डिस्ट्रीब्यूटर का तर्क भी जानिएकस्टमर्स की कंप्लेन को लेकर दुकानदार से बात करने के बाद जब आई नेक्स्ट रिपोर्ट ने डिस्ट्रीब्यूटर से बात की तो वह भी अपनी मजबूरी बताने लगा। नाम न छापने पर एक डिस्ट्रीब्यूटर ने बताया कि चेक से पेमेंट लेने पर टोटल पैसा उनके अकाउंट में चला आता है। इससे पूरी सेलिंग शो हो जाती है। उन्हें सेल टैक्स के साथ ही इस पर इनकम टैक्स भी भरना पड़ जाएगा। यह पैसा वे दुकानदार से वसूल करते हैं। दुकानदार कैश पेमेंट करे तो उससे कभी एक्स्ट्रा चार्ज नहीं लेते।
टैक्स चोरी का है सारा मामलाज्वेलरी से लेकर किराना शॉप तक हर जगह कैशलेस के नाम पर कस्टमर्स का शोषण हो रहा है लेकिन सबसे अधिक चपत मोबाइल मार्केट में लग रही है। एक्सपर्ट बताते हैं कि कई तरह के मोबाइल हैंडसेट मार्केट में बेचे जाते हैं। इनमें कुछ हैंडसेट बाकायदा बिल पर बेचे जाते हैं तो कुछ ऑनलाइन सेट। इसी के साथ इन दिनों कटिंग के हैंडसेट की मार्केट में जबरदस्त धूम है। इस तरह के हैंडसेट टैक्स चोरी वाले ही होते हैं। ऐसे में यदि दुकानदार सभी सेट की बिक्री कैशलेस से करें तो टोटल ट्रांजेक्शन उनके अकाउंट में शो करेगा और इसी के अनुसार उनको टैक्स भरना पड़ जाएगा। यह सारा खेल टैक्स चोरी के लिए खेला जा रहा है और नुकसान पब्लिक को हो रहा है।
एमआरपी में शामिल होता है टैक्स नियम के अनुसार सभी सामान पर एमआरपी (मैक्सिमम रिटेल प्राइस) अंकित होता है। दुकानदार इससे अधिक मूल्य पर उस सामान को नहीं बेच सकता है। एमआरपी इसलिए तय किया जाता है ताकि उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा हो सके और दुकानदार मनमानी न कर पाएं। तय मानक के आधार पर एमआरपी तय करने की जिम्मेदारी किसी भी प्रोडक्ट के उत्पादक की होती है। वह अपनी लागत के साथ-साथ खुदरा व्यापारी या छोटे दुकानदार तक सामान को पहुंचाने तक बढ़े मूल्य जिसमें टैक्स, चुंगी, माल को लाने-ले जाने में हुआ खर्च व मुनाफा भी शामिल होता है, को जोड़कर एक कीमत तय करता है जो उस वस्तु की अधिकतम कीमत होती है। नियम के मुताबिक, इससे अधिक मूल्य उस प्रोडक्ट के लिए कोई नहीं वसूल कर सकता। प्वाइंट टू बी नोटेड -30 से 35 करोड़ रुपए का है रोज का सराफा कारोबार। -4 से 5 करोड़ के मोबाइल सेट गोरखपुर के मार्केट में कैशलेस के जरिए रोज बिकते हैं। -10 करोड़ रुपए के कपड़ा, किराना व अन्य जनरल सामान रोज बिकते हैं कैशलेस के जरिए।