कब शुरू होगा काम, या नदी में ही होगा इंतजाम!
- अब तक किसी भी पोखरे की नहीं हो सकी है सफाई
- सभी में पड़ा है पुराना मलबा, शहर में रजिस्टर्ड हैं करीब 630 प्रतिमाएं - विसर्जन के लिए प्रशासनिक अमले ने मजिस्ट्रेट्स की तो तैनाती कर दी GORAKHPUR: दिवाली में लक्ष्मी पूजा के बाद प्रतिमाओं के विसर्जन को लेकर तैयारियां अभी ठंडे बस्ते में पड़ी हैं। एक नवंबर को विसर्जन करना है, ऐसे में अब प्रशासनिक अमले के पास महज चार दिन का ही समय बाकी रह गया है, लेकिन अब तक उन्होंने मूर्ति विसर्जन को लेकर कोई कदम नहीं बढ़ाया है। इस बीच प्रशासन को न सिर्फ पोखरों की सफाई करानी है, बल्कि वहां के रास्तों को भी दुरुस्त कराना है। ऐसे में प्रशासन के रवैये पर अब सवाल उठने लगे हैं कि कहीं इस बार भी लोगों को मजबूरी में बाघागाड़ा के पास नदियों में ही विसर्जन न करना पड़े।पोखरों की हालत खराब
प्रशासन की ओर से दुर्गापूजा के लिए बने तीन पोखरे ही इस बार भी विसर्जन के लिए इस्तेमाल किए जाने हैं। मगर दुर्गा प्रतिमाओं के विसर्जन के बाद जिम्मेदार उन पोखरों को बिल्कुल भूल चुके हैं। हालत यह है कि पोखरों में अब तक पुराना मलबा पड़ा है, वहीं उसके वेस्ट भी पोखरों में तैर रहे हैं। ऐसे में प्रशासनिक अमले के पास सिर्फ पोखरों को दुरुस्त कराने की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि सबसे पहले उन्हें एक सिरे से पोखरों की सफाई करानी होगी, इसके बाद जाकर विसर्जन की दूसरी तैयारियां पूरी करनी होंगी।
रास्ता फिर बड़ा चैलेंज पिछली बार प्रशासनिक अमले की लाख तैयारियों के बाद भी नदियों में ही विसर्जन हुआ था। राजघाट में बनाए गए पोखरों का रास्ता इतना खराब था कि दुर्गाबाड़ी स्थित बंगाली समिति ने पोखरों में विसर्जन करने से साफ इनकार कर दिया था। इतना ही नहीं दुर्गाबाड़ी की मूर्ति बाघागाड़ा जाने की वजह से उसके पीछे मौजूद सभी मूर्तियों ने भी बाघागाड़ा का ही रुख कर लिया, जिसकी वजह से प्रशासन का आनन-फानन में वहीं पर विसर्जन की तैयारी करनी पड़ी थी। बॉक्स - पनप चुके हैं मच्छरविसर्जन के लिए बनाए गए पोखरों में सबसे बड़ा ड्रॉ बैक यह है कि यहां काफी दिनों से पानी जमा हुआ है। इसे न तो हटाया गया और न ही चेंज किया गया। इसकी वजह से इन पोखरों में मच्छर भी पनपने लगे हैं। शहर में डेंगू और चिकनगुनिया का आतंक फैला हुआ है, अगर यहां भी इसके लारवा पाए जाते हैं, तो विसर्जन के लिए आने वाले लोगों को न सिर्फ विसर्जन के दौरान परेशानी का सामना करना पड़ेगा, बल्कि प्रतिमाओं के विसर्जन के बाद वह साथ में डेंगू और चिकनगुनिया जैसी बीमारी साथ ले जा सकते हैं।