Gorakhpur News: खतरे में आपकी आंखों की पुतलियां
गोरखपुर (ब्यूरो)। इस बीमारी से मरीजों के आंख की रोशन जाने का भी खतरा है। गोरखपुर और बस्ती मंडली के अलावा बिहार के लोगों में यह बीमारी देखने को मिल रही है। एम्स गोरखपुर में इस समय कार्नियल अल्सर के काफी मरीज आ रहे हैं। एम्स के नेत्र रोग विभाग ने ऐसे मरीजों का डाटा कलेक्ट करने का फैसला लिया है, ताकि भविष्य में यह जानकारी मिल सके कि आखिर इस तरह के गंभीर संक्रमण में कौन से फंगस कारण बन रहे हैं। इसे लेकर एम्स ने रिसर्च का फैसला लिया है।
एम्स की नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ। ऋचा ने बताया कि काम करने वाले लोगों में यह बीमारी ज्यादा देखने को मिल रही है। एम्स की बात करें तो हर सप्ताह 10 से 12 मरीज कॉर्नियल अल्सर के आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि पेड़, पौधों और उनके पत्ते सहित टहनियां आंखों में लगी हैं। इसके अलावा पशुओं की पूंछ से भी आंखों में चोट लगने की शिकायत है। इसे शुरू में लोगों ने नजर अंदाज कर दिया। बाद में जब आंखों में संक्रमण बढ़ा तो एम्स में इलाज के लिए आए। ऐसे सभी मरीजों का फालोअप किया जा रहा है। इनके इलाज में दो सप्ताह से तीन माह का समय लग सकता है। संक्रमण अधिक होने पर इलाज लंबा भी चल सकता है। इस बीमारी में लापरवाही पर आंखों की रोशनी जाने का भी खतरा है। पुतली ट्रांसप्लांट की नौबत डॉ। ऋचा ने बताया कि कई बार कॉर्नियल अल्सर में पुतली ट्रांसप्लांट की नौबत तक आ जाती है। इस बीमारी में संक्रमण ज्यादा होने पर पुतली गल जाती है। साथ ही संक्रमण खत्म होने के बाद भी पुतली में सफेदी बरकरार रहती है। इसका जल्द इलाज नहीं हुआ तो सफेद रोशनी कम हो जाती है। इसलिए मरीजों को यह सलाह दी जा रही है कि वे दवा डॉक्टर के कहने के बाद ही बंद करें। बताया कि एम्स में आने वाले मरीजों में ऐसी संख्या ज्यादा है, जिनकी आंखों में पहले संक्रमण हुआ। ऐसे मरीजों ने स्थानीय स्तर पर आई ड्राप लेकर इलाज किया। बाद में जब संक्रमण बढ़ गया तो एम्स पहुंचे। कौन सा है फंगसपूर्वांचल सहित बिहार से आने वाले मरीजों का डाटा एम्स में तैयार किया जा रहा है। एम्स के डॉक्टर यह जानने में जुटे हुए हैं कि आखिर पेड़, पौधों, पत्तियों, टहनियों और पशुओं की पंूछ से ऐसा कौन सा फंगस निकलता है जो कार्नियल अल्सर का कारण बन जाता है?कॉर्नियल अल्सर क्या?
डॉ। ऋचा ने बताया कि कॉनिया अल्सर कॉर्निया का एक खुला घाव है। इस बीमारी में आंखों का लाल होना, पानी आना और खून आना शामिल है। इसके अलावा आंखों में गंभीर दर्द और मवाद सहित आंखों से अन्य स्राव निकलने लगते हैं। संक्रमण गंभीर होने पर आंखों की रोशनी भी चली जाती है।कार्नियल अल्सर के मरीजों का डाटा तैयार किया जा रहा है। अभी ये पता लगाया जा रहा है कि इसका कारण कौन सा फंगस है। इसके लिए यह जानने का प्रयास किया जा रहा है कि आखिर बीमारी की चपेट में आए कैसे? इसके बाद इसे लेकर रिसर्च शुरू की जाएगी।डॉ। ऋचा, नेत्र रोग विशेषज्ञ, एम्स गोरखपुर