Gorakhpur News: यंगस्टर्स हो रहे पैरालिसिस के शिकार, हाथ और पैर में हो रही झनझनाहट
गोरखपुर (ब्यूरो)। वहीं आर्थोपेडिक्स और फिजियोथिरेपिस्ट के पास आने वाले इस बीमारी के युवा मरीजों के इलाज भी किए जा रहे है। फिजियोथिरेपिस्ट डॉ। रविंद्र ओझा की माने तो पैरालिसिस बीमारी मस्तिष्क में ब्लड सर्कुलेशन रुकने, नस फटने से कोशिकाओं के आसपास खून भर जाना बड़ी समस्या बनने लगा है। यही लकवा, स्ट्रोक या फालिज है। इस बीमारी से मरीजों को उबारने के लिए फिजियोथिरेपी बेहद जरुरी है। लगातार बढ़ रहे केसेज
बता दें, इन दिनों जिला अस्पताल में पैरालिसिस के मरीजों के तादाद बढ़ गए हैैं। जिला अस्पताल के फिजियोथिरेपी डिपार्टमेंट में प्रतिदिन 30-35 मरीजों में 10-15 मरीज युवा हैैं, जो पैरालिसस के शिकार है। वहीं आर्थो के शिकार है, लेकिन तेजी के साथ बढ़ रहे पैरालिसिस के मरीजों को लेकर फिजियोथिरेपिस्ट डॉ। रविंद्र ओझा ने इन्हें फिजियोथिरैपी के जरिए ठीक होने की बात कह रहे हैैं। वे बताते है कि लकवा को पैरालिसिस और पक्षाघात भी कहा जाता है। लकवा पूर्ण या आंशिक हो सकता है। यह शरीर के एक या दोनों तरफ हो सकता है। यह सिर्फ एक क्षेत्र में या पूरे शरीर में भी हो सकता है। यह दोनों पैरों सहित शरीर के निचले आधे हिस्से, हाथ और पैर को प्रभावित कर सकता है केस - 1
शक्तिनगर निवासी 38 वर्षीय निराला सिंह को बाएं हाथ और पैर में लकवा हुआ था। पूरी तरह बेजान हो गए थे। इलाज के साथ फिजियोथेरेपी कराई। मात्र डेढ़ महीने में पूरी तरह स्वस्थ होकर अब फिर से ऑफिस जाते हैं। कार, स्कूटर, साइकिल भी खुद चलाते हैं।केस - 235 वर्षीय डॉ। सुरेश जयसवाल गोरखपुर अपने घर छुट्टी पर आये थे। अचानक फालिज होने से पूरा मुंह टेढ़ा हो गया। आंख तक नहीं बंद कर पाते थे। फिजियोथेरेपी से मात्र 15 दिन में ही ठीक हो गए। अब मुंह भी सीधा हो गया है।केस -3 रामजानकीनगर निवासी 55 वर्षीय राम अवतार अग्रवाल को बाएं पैर में लकवा हुआ था। खड़े भी नहीं हो पा रहे थे। एक महीने फिजियोथेरेपी से उन्हें आराम मिल गया। पैरालिसिस के मुख्य कारण- स्ट्रोक या किसी तरह का अटैक।- कान का दर्द।- स्लिप पैरालिसिस।- हड्डी या पीठ और सिर में गहरी चोट।- हाइपोकैलेमिया (पोटैशियम की कम मात्रा)।- मल्टीपल स्क्लेरोसिस।- गर्दन में चोट लगना।क्या है उपाय- हाई ब्लड प्रेशर नहीं होने दें- डॉक्टर की सलाह से दवाई लें- तनाव से दूर रहने का प्रयास करें- संतुलित आहार लें। शुगर नियंत्रित रखें
- चिकना, तला, भुना, मीठा न लें
- व्यायाम को दिनचर्या में शामिल करें युवाओं में भी तेजी के साथ पैरालिसस के केसेज बढ़े हैैं। इसका इलाज समय से किया जाएगा तो यह ठीक भी हो जाते हैैं। फिजियोथिरेपी का अहम रोल होता है।डॉ। इमरान अख्तर, ऑर्थोपेडिक्स