अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स में आउटसोर्सिंग पर तैनात 56 नर्सिंग अफसरों को हटाने का नोटिस मिलने के बाद हड़कंप मच गई है. इन नर्सिंग अफसरों की नियुक्ति 2019 में एक निजी संस्था की तरफ से की गई थी.

अचानक मिले नोटिस से नर्सिंग अफसर सदमे में हैं। मामले की शिकायत पहले इन लोगों ने एम्स प्रशासन से की। वहां से निराशा मिलने के बाद वे रविवार को सांसद रविकिशन के आवास पर पहुंचे। वहां उन्होंने धरना देकर नारेबाजी की और विरोध जाहिर किया। इसके बाद सांसद को शिकायती पत्र दिया। सांसद ने इन्हें आवश्यक कार्यवाही का आश्वासन दिया है।

निजी संस्था से नियुक्ति

सांसद को नर्सिंग अफसरों ने बताया कि उनकी नियुक्ति एक निजी संस्था की तरफ से 2019 में की गई थी। इसके बाद से वे एम्स में लगातार सेवा दे रहे हैं। इस दौरान कोरोना जैसी महामारी में भी काम किया। अचानक कंपनी तरफ से मेल कर एक माह के अंदर काम से हटाने का नोटिस दिया गया है। इसके बाद से सभी नर्सिंग अफसरों के बीच हड़कंप मची है।

12 घंटे की ड्यूटी


सभी ने पूरी निष्ठा और ईमानदारी से एम्स में काम किया है। सुबह आठ बजे से लेकर शाम को आठ बजे तक वे ड्यूटी करते हैं। इसके अलावा उन्हें न कोई सीएल मिलता है और न ही कोई ईएल दिया जाता है। केवल एम्स में अवकाश के दिन ही उन्हें छुट्टी मिलती है। इसके बावजूद उन्होंने अब तक कोई शिकायत तक नहीं की है। इसके बाद भी कंपनी की तरफ से एक माह का नोटिस देकर निकाला जा रहा है।

एम्स में पर्याप्त पद


उन्होंने सांसद को बताया कि एम्स में पर्याप्त संख्या में आउटसोर्सिंग पर पद हैं। इस पर सांसद ने एम्स के कार्यकारी निदेशक डॉ। जीके पाल से फोन पर बातचीत कर तीन माह तक इन्हें रखने की बात कही है। साथ ही यह भी आश्वासन दिया है कि मामले को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के सामने रखा जाएगा और उम्मीद है कि वे उचित कदम उठाएंगे।

फ्लो साइटोमेट्री विधि से कैंसर पहचान सबसे बेहतर

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के पैथोलॉजी और प्रयोगशाला चिकित्सा विभाग ने लिम्फोमा मॉर्फोलॉजी और इम्यूनो फेनोटाइप पर दो दिवसीय कार्यशाला और फ्लो साइटोमेट्री पर एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस दौरान बताया गया कि फ्लो साइटोमेट्री विधि से कोशिकाओं के अंदर पनपने वाली कैंसर की पहचान भी की जा सकती है। प्रो। डॉ। विकास श्रीवास्तव ने अतिथि संकायों का स्वागत किया और कहा कि लिंफ नोड कैंसर का इलाज जटिल है और कई पूरक तकनीकों पर निर्भर है। डॉ। हेमंत अग्रवाल ने टीईटीसी ने फ्लो साइटोमेट्री के मूल सिद्धांतों के बारे में बताया। टाटा मेमोरियल सेंटर मुंबई के प्रो। डॉ। सुमीत गुजराल ने लिम्फोमा के संदिग्ध मामलों में मॉर्फोलॉजी और इम्यूनो हिस्टो केमिस्ट्री के बारे में जानकारी दी। संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के लैब हेमेटोलॉजी विभाग के प्रोफेसर खलीकुर रहमान और राम मनोहर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के पैथोलॉजी विभाग की प्रोफेसर नम्रता पुनित अवस्थी ने भी अपने-अपने अनुभव साझा किए। डॉ। दीपिका ने फ्लो साइटोमेट्री के ऐतिहासिक सिद्धांतों और सिद्धांतों पर चर्चा की। उप निदेशक प्रशासन अरुण कुमार सिंह ने कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए विभाग को बधाई दी। कार्यक्रम में प्रो। हरि शंकर जोशी, प्रो। सिखा सेठ, प्रो। अजय भारती, प्रो। मनोज कुमार सौरभ, प्रो। सुनील कुमार गुप्ता, डॉ। मनोज परचाके, डॉ। इंदु सक्सेना, डॉ। तेजस पटेल, डॉ। विवेक हाड़ा, डॉ। मोहनराज आदि मौजूद रहे। कार्यक्रम के अंत में डॉ। विकास श्रीवास्तव ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।

Posted By: Inextlive