महेसरा डिपो में पिछले दो साल से तीन करोड़ रुपये की दो इलेक्ट्रिक पर्यटक बसें चलने के इंतजार में खड़ी हैं.


गोरखपुर (ब्यूरो)। बसें आने के बाद एक साल में ही खराब हो गई थीं। किसी तरह बनी। मरम्मत के बाद अब पैसे के अभाव में बसों की फिटनेस जांच नहीं हो पा रही। न बीमा हो पा रहा और न रोड टैक्स जमा हो पा रहा। ऐसी ही लापरवाही रही तो यह बसें कबाड़ हो जाएंगी। तीन करोड़ रुपये विभागीय उदासीनता की भेंट चढ़ जाएंगे। गोरखपुर के लोगों को भी पर्यटक स्थलों का भ्रमण कराने के लिए सात मई, 2022 को करीब 3 करोड़ की लागत से 36 सीट वाली सुविधा संपन्न दो पर्यटक इलेक्ट्रिक बसें मिली थीं। महानगर इलेक्ट्रिक बस संचालन समिति ने उद्घाटन के बाद कुछ दिनों तक विभिन्न रूटों पर ट्रायल कर बसों को महेसरा डिपो में खड़ा करा दिया। बसों का रूट निर्धारण और प्राथमिक औपचारिकताओं के पूरा नहीं होने बसें डिपो से बाहर ही नहीं निकली। खड़ी-खड़ी बसों के पाट्स खराब हो गए। छह माह बाद जब संचालन समिति ने बसों को संचालित करने की प्रक्रिया शुरू की तो पता चला बसें चलने ही लायक नहीं हैं। इसके बाद किसी तरह बसों की मरम्मत कराई गई। बसों की मरम्मत में ही एक साल से अधिक लग गए। मरम्मत के बाद समिति ने जब फिर बसों को चलाने की कोशिश की तो पैसा राह में रोड़ा बन गया। समिति के पास बीमा और टैक्स आदि के लिए पैसे ही नहीं थे। समिति में शामिल रोडवेज, नगर निगम और अन्य विभागों ने भी हाथ खड़े कर लिए। प्रकरण लखनऊ तक पहुंचा लेकिन आज तक बात नहीं बनी। न लखनऊ मुख्यालय से बीमा और टैक्स के लिए धन मिला और न बसें डिपो से बाहर निकली। गोरखपुर सहित पूर्वांचल में अधिक से अधिक पर्यटक बसें चलाने की शासन की मंशा पर पानी फिर रहा है। यद्यपि, महानगर के विभिन्न रूटों पर 25 इलेक्ट्रिक बसें चल रही हैं। - पर्यटक इलेक्ट्रिक बसों की कुछ फार्मेल्टी बाकी है। इसको लेकर मुख्यालय लखनऊ से वार्ता की गई है। फार्मेल्टी पूरी होते ही बसों का संचालन शुरू हो जाएगा। बसों के संचालन से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।- लव कुमार सिहं, कार्यपालक अधिकारी- महानगर इलेक्ट्रिक बस संचालन समिति

Posted By: Inextlive