Gorakhpur News : झारखंड के शातिर मोबाइल चोर, दिखाने के लिए बेचते थे सब्जी
गोरखपुर (ब्यूरो)।यह दोनो आजमगढ़ के बावली मोड़ पर सब्जी विक्रेता बनकर किराए के मकान में रहते थे। आरोपितों ने आजमगढ़, मऊ और गोरखपुर के दक्षिणांचल में चोरी करते थे। दोनो ने बड़हलगंज की दो महिलाओं को बहला-फुसलाकर उनसे ठगी की थी। इसके बाद से ही पुलिस उनकी तलाश में जुटी थी।एसपी साउथ ने किया घटना का खुलासा
पुलिस लाइन में दोनो आरोपितों की गिरफ्तारी के बाद मंगलवार को घटना का पर्दाफाश करते हुए पुलिस अधीक्षक दक्षिणी अरुण कुमार सिंह ने बताया कि पांच दिसंबर को लेटाघाट के रहने वाले शिवम तिवारी और 21 नवंबर को फरसाड़ निवासी इन्द्रेश कुमार पांडेय ने तहरीर दी थी। इसमें उन्होंने बताया था कि उनकी मां और चाची से तीन अज्ञात व्यक्तियों ने बहला-फुसलाकर पैसा और जेवर लेकर फरार हो गए। मुकदमा दर्ज कर आरोपितों की तलाश की जा रही थी। मंगलवार को सीओ गोला श्रीजगत राम कन्नौजिया के नेतृत्व में बड़हलगंज कोतवाल जय नरायन शुक्ल पुलिस टीम के साथ निरीक्षण कर रहे थे। संदेह होने पर दोनो आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया। मोबाइल के साथ ही मिली अंगूठी
पूछताछ में दोनो ने अपना जुर्म कबूल किया साथ ही मोबाइल चोरी करने की बात भी बताई। उनकी निशानदेही पर 26 एण्ड्रोयड मोबाइल, चार हजार 750 रुपये और एक पीली धातू की अंगूठी बरामद की गई। बाजार में मोबाइल की कीमत करीब 3.50 लाख रुपये बताई जा रही है। दोनो आरोपितों पर विधिक कार्रवाई करते हुए न्यायालय में पेश किया गया। जहां से जेल भेज दिया गया है।झारखंड और पश्चिम बंगाल बेचते थे चोरी के मोबाइल दोनो आरोपित आजमगढ़, मऊ और गोरखपुर के दक्षिणांचल में मोबाइल चोरी या छीनने के बाद उसे झारखंड में बैठे सरगना को ले जाकर बेच दिया जाता था और वहां से पश्चिम बंगाल में बेचा जाता था। मोबाइल के बदले सरगना उनकी और घर की जरुरतों को पूरा करते थे। आरोपितों ने बताया कि उनकी सरगना से कभी मुलाकात नहीं हुई है। फोन पर ही बात होती थी। अलग-अलग जनपदों में उनका गिरोह काम कर रहा है। एसपी दक्षिणी ने बताया कि पूछताछ के बाद इनके सरगना की तलाश की जा रही है। मां बीमार थी इसलिए गिरोह में शामिल हुआपुलिस की पूछताछ में एक आरोपित ने बताया कि झारखंड स्थित घर पर उसकी मां बीमार थी। पैसे की जरूरत थी। इसलिए मजबूरी में इस गिरोह में शामिल होना पड़ा। मोबाइल चोरी करके सरगना को बेचते थे और वह मां की बीमारी में खर्च रुपये को देते थे।