एम्स गोरखपुर की इमरजेंसी में पहुंचे घायल को उपचार न दिए जाने की पुष्टि सीसीटीवी कैमरे के फुटेज से हो गई है. पर्चा बनाने के बाद इंजेक्शन लिखा गया पर लगाया नहीं गया दो घंटे इंतजार कराने पैर से बह रहे खून को न तो रोकने की कोई कोशिश की गई और न ही ड्रेङ्क्षसग की गई. यहां तक कि एक्सरे कराने के लिए ओपीडी और इमरजेंसी से दूर आयुष ङ्क्षवग में भी घायल को ह्वीलचेयर से ले जाया गया. थक-हारकर घायल को जिला अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. घायल की शिकायत का संज्ञान लेते हुए कार्यकारी निदेशक व मुख्य कार्यपालक अधिकारी प्रो.अजय ङ्क्षसह ने जांच शुरू करा दी है. उन्होंने इमरजेंसी की व्यवस्था दुरुस्त रखने के सख्त निर्देश दिए हैं.

गोरखपुर : एम्स थाना क्षेत्र के रजही निवासी जितेंद्र ङ्क्षसह गुरुवार की रात 8:30 बजे स्कूटी से कहीं जा रहे थे। हादसे में वह घायल हो गए। सूचना पर पहुंचे स्वजन उन्हें लेकर रात नौ बजे एम्स गोरखपुर की इमरजेंसी पहुंचे। स्वजन ह्वीलचेयर पर बैठाकर अंदर पहुंचे। पैर से खून निकलने के साथ ही तेज दर्द हो रहा था। आरोप है कि डाक्टरों और कर्मचारियों से लगातार अनुरोध के बाद भी कुछ नहीं किया गया। एक जूनियर डाक्टर ने बहुत अनुरोध के बाद पर्चे पर इंजेक्शन लिख दिया पर लगाया नहीं। उपचार न मिलने पर स्वजन ने तेज आवाज में बोलना शुरू किया तो अपशब्दों का इस्तेमाल किया गया। अचानक एक्सरे कराने के लिए कहा गया तो 255 रुपये जमा करा दिए। पता चला कि मशीन ही खराब है। आयुष ङ्क्षवग में भी इंतजार के बाद एक्सरे नहीं हुआ।


जांच हुई शुरू


जितेंद्र ङ्क्षसह ने बताया कि एम्स से डा.विकास का फोन आया था। उन्होंने पूरा घटनाक्रम पूछा। कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रोगियों के उपचार के लिए 14 सौ करोड़ रुपये की लागत से एम्स की स्थापना की है। यहां की व्यवस्था अभी नहीं सुधर पा रही है। इसकी शिकायत मुख्यमंत्री से भी की जाएगी। एम्स गोरखपुर में मीडिया सेल की चेयरपर्सन डा। आराधना ङ्क्षसह ने कहा कि जांच शुरू करा दी गई है। रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।

Posted By: Inextlive