Gorakhpur News: बिल देख बैठ रहा गोरखपुराइट्स का दिल
केस 1- पिपराइच अराजी चौरी के रहने वाले हेमेंद्र कुमार के घर में कुल चार कमरे हैं। उन्होंने दो किलोवाट का कनेक्शन लिया है। जुलाई माह में अचानक उनके यहां खपत बढ़ गई, जिसके कारण अगस्त माह में उनका बिजली का जो बिल आया तो उससे पूरे परिवार का होश उड़ गया। एक माह में चार लाख रुपए का बिल, जब इस बिल को लेकर हेमेंद्र बिजली विभाग पहुचें तो पता चला कि उनका बिल सीलिंग डिफेक्टिव बन गया है। इसके बाद उन्होंने बिजली विभाग को इसका एप्लीकेशन दिया। क्लर्क ने बिल सही किया और कुल एक लाख 70 हजार रुपए का बिल बना। केस 2-
मानीराम में टाटा टाइल्स का ऑनर बिजली बिल को लेकर परेशान है। पहले बिजली का बिल निकलाने के लिए कोई नहीं आया। बिल न आने के कारण वह जुलाई का बिजली बिल लेकर बिजली विभाग पहुंचे, वहां उन्हें बताया गया कि आपका बिल चार लाख 80 हजार रूपये है। बिल सुनते ही उसका सर चकरा गया। इसके बाद वे बिजली विभाग के अधिकारियों के पास पहुंचे, तब जाकर बिल सही हुआ और नया बिल एक लाख 12 हजार रुपए बना।
यह दो केस केवल उदाहरण मात्र है। विभाग में डेली ऐसे दर्जनों केस आ रहे हैं, जिसे देखकर कंज्यूमर्स का फ्यूज उड़ जा रहा है। बिजली विभाग की लापरवाही और कंज्यूमर्स की अनदेखी के कारण हर माह 15 से 18 हजार कंज्यूमर्स परेशान होकर बिजली विभाग का चक्कर लगा रहे हैं।
हर महीने डिफेक्टिव बिलजानकारी के अनुसार, सिटी में लगभग दो लाख से अधिक बिजली कंज्यूमर्स हैं। इनमें से करीब 70 परसेंट कंज्यूमर्स का बिल रीडिंग कर्मचारियों और बिलिंग काउंटर से बनता है। इनमें से करीब 45 परसेंट कंज्यूमर्स हर माह बिल जमा भी कर देते हैं। बिजली विभाग के आंकड़ों की मानें तो हर माह लगभग 15 से 18 कंज्यूमर्स के गलत बिल उनके घर पहुंचते हैं, जिसके लिए बिजली विभाग और कंज्यूमर्स दोनों जिम्मेदार है। बिजली विभाग के क्लर्क ने बताया कि बिल में गड़बड़ी तीन तरह की होती है. सीलिंग डिफेक्टिव(सीडीएफ)- यह बिल कंज्यूमर्स की गड़बड़ी से बनता है। अगर कंज्यूमर ने दो किलोवाट का कनेक्शन लिया है और अचानक बिजली की खपत बढ़ जाती है तो बिल सीडीएफ बनता है। मीटर डिफेक्टिव (आईडीएफ)- यह बिल मीटर बंद होने के कारण बनता है, जिसमें बिजली विभाग की लापरवाही होती है। विभाग जानता है कि कंज्यूमर्स का मीटर बंद है, लेकिन उसके बाद भी बिल बना देता है।
रीडिंग डिफेक्टिव(आरडीएफ)- यह बिल बिजली विभाग की लापरवाही और कंज्यूमर्स दोनों की लापरवाही से बनता है। कंज्यूमर जब बिल बनवाने विभाग जाता है तो पिछले महीने जमा किए गए बिल से कम रीडिंग बताने पर ऐसा बिल जनरेट होता है। बिजली विभाग वाले कभी-कभी बिना घर गए ही बिल बना देते हैं, जिससे रीडिंग डिफेक्टिव बिल बन जाता है।
हर महीने चारों डिवीजन में एक हजार से अधिक शिकायतेंगोरखपुर सिटी में चार डिवीजन हैं। इसमें करीब दो लाख से अधिक कंज्यूमर्स हैं। बिलिंग से संबंधित हर महीने एक हजार से अधिक शिकायतें आती है। इनमें ज्यादातर बिलिंग से संबधित शिकायतें ही थी। इतना ही नहीं अगस्त माह चीफ इंजीनियर और एसई सहित अन्य ऑफिसर्स ने जनसुनवाई भी की। उसमें सिर्फ गलत बिलिंग से रिलेटेड शिकायतें ही आई थीं। लगाए जा रहे कैंप
गलत बिलिंग की समस्या का समाधान करने के लिए अफसरों को कैंप लगाने के निर्देश दिए गए हैं। सभी जगहों पर लगातार कैंप लगाए जाएंगे, ताकि कंज्यूमर्स की समस्या को मौके पर ही समाधान किया जा सके।
यदि गलत बिल आता है तो कंज्यूमर्स अपने नजदीकी अधिकारी को अवगत कराए, ताकि मौके पर ही बिल को ठीक कराया जा सके। इसके लिए जगह-जगह कैंप भी लगाए जा रहे हैं।
ई। आशुतोष श्रीवास्तव, चीफ इंजीनियर गोरखपुर प्रथम जोन