Gorakhpur News: नौसिखियों के हाथ में हैंडिल, नाबालिग भी खूब दौड़ा रहे हैं ई-रिक्शा
गोरखपुऱ (ब्यूरो)। इस दुर्घटना में एक महिला की मौत हो गई है। जांच में बात सामने आई कि अनटे्रंड ड्राइवर्स की वजह से मौत हुई। यह तो एक उदाहरण भर है। जिले में अनट्रेंड के साथ ही नाबालिग हाथों में ई-रिक्शा की हैंडिल है। इनके न तो लाइसेंस बन हैं और न ही इन्होंने इसको चलाने की कहीं से ट्रेनिंग ही ली है। ई-रिक्शा की तकनीकों से अनजान यह नौसिखिए लोगों की जान जोखिम में डालकर सड़क पर फर्राटा भर रहे हैं। बिना ड्राइविंग लाइसेंस के चल रहे यह ड्राइवर न सिर्फ ट्रैफिक नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं, बल्कि लोगों की जान भी जोखिम में डाल रहे हैं। इसको लेकर दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम ने रविवार को ई-रिक्शा ड्राइवर्स की पड़ताल की तो चौंका देने वाली हकीकत सामने आई।ड्राइवर करने लगा टालमटोल
दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम रविवार 2 बजे पार्क रोड पहुंचीं और ई-रिक्शा के आरसी, बीमा और ड्राइविंग लाइसेंस की पड़ताल की। रुस्तमपुर के ई-रिक्शा ड्राइवर बृजराज कुमार से ड्राइविंग लाइसेंस और अन्य पेपर मांगा तो वह नहीं दिखा पाएं। उनका कहना है कि साथ में ड्राइविंग लाइसेंस, आरसी और बीमा का पेपर नहीं लेकर चलते हैं। मोबाइल में सब कुछ रहता है। जब मोबाइल में देखा तो कुछ भी नहीं था। इसके बाद ड्राइवर टालमटोल करने लगा। अभियान में साथ रखते हैं पेपरयूनिवर्सिटी चौराहे पर सोनू नाम का ड्राइवर मिला। वह बस्ती का रहने वाला है और गोरखपुर में ई-रिक्शा चलाता है। जब उससे डीएल और अन्य पेपर की डिमांड की गई तो उसका कहना है कि इस समय मेरे पास वाहन से संबंधित पेपर नहीं है, घर पर रखा हुआ है। जब चेकिंग अभियान चलता है तो उसे साथ लेकर चलते हैं। 16 की उम्र में ही पकड़ ली गाड़ीयूनिवर्सिटी चौराहे पर ई-रिक्शा ड्राइवर दीपक कुमार सवारी बैठाते हुए नजर आया। जब उससे डीएल के बारे में बातचीत की तो उसने बताया कि अभी 16 साल उम्र हुई है। जिसकी वजह से ड्राइविंग लाइसेंस नहीं बन पा रहा है। 18 साल उम्र होने पर डीएल बनता है। एज नहीं हुई, इसलिए डीएल नहीं बना
वहीं, शास्त्री चौक पर एक ई-रिक्शा ड्राइवर ने अपना नाम बाबूलाल बताया कि पिछले एक साल से ई-रिक्शा चला रहा हूं। हमारे पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं है, क्योंकि हमारी उम्र अभी 17 साल ही हुआ है। इसलिए डीएल नहीं बन पा रहा है। ई-रिक्शा का आरसी पेपर और बीमा है। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि शहर में ज्यादातर नाबालिग ड्राइवर्स ई-रिक्शा हाथों में ई-रिक्शा की स्टेयरिंग है। इसके बावजूद ट्रैफिक पुलिस और आरटीओ इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है, कभी भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है। नहीं हो सका है रूट निर्धारण
ई-रिक्शा चालक मनमानी तो कर ही रहे, आरटीओ भी उदासीन बना हुआ है। एक दिसंबर, 2022 को आरटीए की बैठक में ई-रिक्शा संचालन के लिए जोन व रूट निर्धारण का निर्णय लिया गया था। एक माह के अंदर प्रक्रिया पूरी होनी थी, लेकिन दस माह से अधिक हो गए न जोन निर्धारित हो पाए और न रूट। हालांकि, परिवहन विभाग ने पांच जोन में 22 रूट का निर्धारण कर ई-रिक्शा के कलर रंग का चयन कर प्रस्ताव तैयार कर लिया है। लेकिन, प्रस्ताव फाइलों से बाहर नहीं निकल पा रहा। संबंधित संगठनों के पदाधिकारियों ने आपत्तियां भी दर्ज कराई थीं, लेकिन उसका भी निस्तारण नहीं हो पाया। आज स्थिति यह है कि ई रिक्शा महानगर की सड़कों, चौराहों और गलियों में मनमाने ढंग से चल रहे हैं। कुछ लोगों ने तो ई रिक्शा को व्यवसाय बना लिया है। एक संचालक के पास दो-दो दर्जन ई रिक्शा हैं। 150 से अधिक लोग पैडल रिक्शा की तरह बड़ी संख्या में ई रिक्शा खरीदकर किराए पर चलवा रहे हैं। युवा ही नहीं, बच्चे और बुजुर्ग भी शहर की सड़कों पर ई रिक्शा लेकर फर्राटा भर रहे हैं। कोई संज्ञान लेने वाला नहीं है। महज 44 के पास ही ड्राइविंग लाइसेंस आरटीओ से जो आंकड़े मिले हैं वह चौकाने वाले हैं। शहर में मात्र 44 ड्राइवर्स के पास ही ई-रिक्शा चलाने के लिए ड्राइविंग लाइसेंस बनवाया है। जबकि आरटीओ में 8500 ई-रिक्शा रजिस्टर्ड है। लगभगम 8456 बिना लाइसेंस पर चल रहे हैं। अनट्रेड ड्राइवर ट्रैफिक नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। इतना ही नहीं बैट्री डिस्चार्ज न हो इसलिए ज्यादातर ई-रिक्शा वाले रात में हेडलाइट तक नहीं जलाते हैँ। ऐसे जारी होता है लाइसेंस ऐसे बनता है ड्राइविंग लाइसेंस ई-रिक्शा की बिक्री करने वाली कंपनी ही पंजीयन और चालकों को प्रशिक्षित करती है। दस दिन के प्रशिक्षण के बाद कंपनी प्रमाण पत्र जारी करती है। प्रमाण पत्र के आधार पर ड्राइवर ड्राइविंग लाइसेंस के लिए ऑनलाइन आवेदन करते हैं। आवेदन के आधार पर आरटीओ ई-रिक्शा के लिए लाइसेंस जारी करता है।तीन साल होती है उम्र, परमिट में छूट
सरकार कनेक्टिविटी (जुड़ाव) देने व जाम व प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए ई-रिक्शा के संचालन पर जोर दे रही है, लेकिन चालक मुख्यमार्ग पर भी इसे लेकर चलते हैं। परमिट में छूट का दुरुपयोग करते हैं। ई रिक्शा की उम्र तीन साल की होती है। दो साल पर फिटनेस जांच जरूरी है, लेकिन जांच नहीं कराते। तीन की जगह छह साल चलाते हैं। केस 1-अभी एक हफ्ते पहले रुस्तमपुर का एक परिवार ई-रिक्शा से जा रहा था। इसमें बच्चे और बुजुर्ग भी सवार थे। नाबालिग ड्राइवर ई-रिक्शा चला रहा था। महेवा मंडी के समीप ड्राइवर की लापरवाही से ई-रिक्शा पलट गया। हादसे में दो महिलाएं घायल हो गई, जबकि बच्चे और बुजुर्ग बाल-बाल बच गए। केस 2-30 सितंबर को शाहपुर एरिया के असुरन चाष्ैराहे पर सुबह डिवाइडर से ई-रिक्शा टकराने से पलट गया, हादसे में महिला की मौके पर ही मौत हो गई। वह मऊ जिले के घोसी सबरहत निवासी कांति देवी थी। शाहपुर में अपने एक रिश्तेदार के घर आई थीं। ई-रिक्शा में सीट से अधिक सवार बैठाए जा रहे हैं। कम सवारी बैठाने पर ड्राइवर्स विरोध करते हैं। उनसे कहासुनी भी हो जाती है। धर्मराज, पैसेंजर ई-रिक्शा संचालन के लिए कोई नियम कानून नहीं है। बिना ड्राइविंग लाइसेंस के अंट्रेड संचालन कर रहे हैं जो जानेवाला साबित होती है। रोहित यादव, पैसेंजर संबंधित विभाग को ई-रिक्शा की जांच करनी चाहिए, ताकि वह नियमों का पालन करते हुए संचालन कराए। उन्हें सवारी के सेफ्टी पर ध्यान देने की जरूरत है। अभिमन्यु राम, पैसेंजर ई-रिक्शा ड्राइवर्स के लिए ड्राइविंग लाइसेंस अनिवार्य है। अभियान चलाकर ड्राइवर्स को जागरूक किया जाएगा। कार्रवाई भी की जाएगी। ई-रिक्शा के लिए जोन और रूट निर्धारित करने की प्रक्रिया चल रही है। जल्द ही इसपर भी मुहर लग जाएगी। एक व्यक्ति के नाम एक से अधिक ई-रिक्शा का पंजीकरण नहीं किया जा रहा है। - अरुण कुमार, एआरटीओ प्रशासन गोरखपुर