गोरखपुर यूनिवर्सिटी के वनस्पति विज्ञान विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डा. तूलिका मिश्रा ने एक ऐसा उपकरण डिजाइन किया है जिसकी मदद से कीमोथेरेपी में प्रयोग की जाने वाली दवा और इंसुलिन का डोज आसानी से निर्धारित किया जा सकेगा.


गोरखपुर (ब्यूरो)। उसके समय का निर्धारण भी आसान होगा। इतना ही नहीं हृदय से जुड़े रोगों की जानकारी भी बिना अतिरिक्त प्रयास के हो जाएगी। बायोसेंङ्क्षसग नाम की इस डिवाइस को यूनाइटेड ङ्क्षकगडम ने पेटेंट प्रदान कर डा। तूलिका के शोध पर मुहर लगा दी है।


डा। तूलिका ने बताया कि खराब जीवनशैली के कारण हृदय और डायबिटीज रोगियों की संख्या बढ़ी है। कैंसर के मरीज भी बीते वर्षों से तेजी बढ़े हैं। इन रोगियों के उपचार में मदद के लिए उन्होंने करीब पांच वर्ष पहले अलग-अलग राज्यों के नौ विज्ञानियों के साथ मिलकर बायोसेंङ्क्षसग डिवाइस पर शोध करना शुरू किया था। सफलता मिलने के बाद तीन वर्ष पहले उपकरण को पेटेंट कराने के लिए यूनाइटेड ङ्क्षकगडम में आवेदन किया था। तीन वर्ष की जांच-परख के बाद उन्हें पेटेंट प्राप्त करने में सफलता मिल गई है। उन्होंने बताया कि बीते दो दशक से अलग-अलग मानव रोगों के लिए औषधीय पौधों पर शोध करते हुए इस उपकरण को डिजाइन करने की दिशा में कदम आगे बढ़ाया था। इस उपकरण को उन्होंने को-पर्सनलाइज्ड मेडिसिन एंड फार्मोकोथेरेपी के सिद्धांत पर डिजाइन किया है। ऐसे काम करेगा उपकरण

इस उपकरण को इस्तेमाल करना बहुत आसान होगा। उपकरण को ब्लूटूथ या वाईफाई से कनेक्ट करके मरीज के शरीर की बायोसेंङ्क्षसग की जाएगी, जिसका परिणाम स्क्रीन पर दिखेगा। ऐसा होने के बाद न केवल मरीज की समस्या सामने आ जाएगी, बल्कि उसके इलाज के लिए दवा का डोज क्या होगा, यह सुनिश्चित करना आसान हो जाएगा। इस उपकरण के जरिये मनुष्य के शरीर से निकलने वाले एंजाइम, हार्मोंस और प्रोटीन की जानकारी भी मिल जाएगी।यूनिवर्सिटी के लिए बड़ी उपलब्धि : वीसी गोरखपुर यूनिवर्सिटी की वीसी प्रो। पूनम टंडन ने डा। तूलिका मिश्रा के शोध को पेटेंट मिलने पर बधाई देते हुए कहा कि यह विश्वविद्यालय के लिए बड़ी उपलब्धि है। विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो। शांतनु रस्तोगी, वनस्पति विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो। अनिल कुमार द्विवेदी आदि ने भी डा। तूलिका को बधाई देते अन्य शोध में सफलता के लिए शुभकामना दी है।

Posted By: Inextlive