सिटी के सरकारी विभागों में 'साहब समय से बैठ जाते हैं. लोगों की फरियाद सुनते और उनकी दिक्कतें दूर भी करते हैं लेकिन एक तबका ऐसा भी है जो महज 20 मीटर की दूरी से उन्हें निहारता रह जाता है और अपनी फरियाद उन तक पहुंचा नहीं पाता है.


गोरखपुर (ब्यूरो)। सिटी के सरकारी विभागों में 'साहब समय से बैठ जाते हैं। लोगों की फरियाद सुनते और उनकी दिक्कतें दूर भी करते हैं, लेकिन एक तबका ऐसा भी है जो महज 20 मीटर की दूरी से उन्हें निहारता रह जाता है और अपनी फरियाद उन तक पहुंचा नहीं पाता है। कारण घर से यहां तक आने के बावजूद वे सिटी के सरकारी ऑफिसों की सीढिय़ों की बाधा को पार नहीं कर पाते हैं और उनकी मदद के लिए रैंप यहां बने नहीं हैं। दिव्यांगजनों की इस दुश्वारी को देखते हुए दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने सिटी के सरकारी ऑफिसों का जायजा लिया, आप भी जानें हमें कहां क्या मिलाएसएसपी कार्यालय: व्हील चेयर नहीं


एसएसपी कार्यालय पर दिव्यांगजन के लिए रैंप की सुविधा है, लेकिन व्हील चेयर की व्यवस्था नहीं है। इसकी वजह से उन्हें आने जाने में समस्या होती है। हालांकि एक-एक कर सभी फरियादियों की समस्या अफसर सुनते हैं और उसका निस्तारण भी करते हैं। जिला अस्पताल में है सुविधा

जिला अस्पताल की ओपीडी में प्रतिदिन 1500 से 2000 मरीज इलाज के लिए आते हैं। यहां पर दिव्यांगजन के आने जाने के लिए रैंप के अलावा व्हील चेयर की व्यवस्था है। व्हील चेयर के लिए मरीजों को सिर्फ आधार कार्ड जमा करना पड़ता है। इसके बाद उन्हें सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। सीएमओ कार्यालय: यहां है परेशानीसीएमओ कार्यालय में दिव्यांगजन की तीन सीढिय़ों के सहारे सीएमओ से मिलना पड़ता है। यहां न तो रैंप की सुविधा है और नहीं ही व्हील चेयर की। खजनी में रामप्रीत सिंह ने बताया कि साहब से मिलने जाने के लिए काफी समस्याओं का सामना करना पड़ा है। डीएम कार्यालय: न रैंप न व्हील चेयर पर्यटन विभाग में स्थित डीएम कार्यालय में दिव्यांगजन के लिए न तो रैंप है और नहीं व्हील चेयर की व्यवस्था है। बेलीपार के रहने वाले राधेश्याम कुमार ने बताया कि समस्या के समाधान के लिए अफसरों से मुलाकात करना काफी मुश्किल होती है। सीढिय़ों के सहारे आना जाना होता है लेकिन हम लोगों की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। बस स्टैंड: यहां भी दुश्वारी

गोरखपुर रेलवे बस स्टेशन पर दिव्यांगजन के लिए न तो रैंप है और न ही व्हील चेयर की सुविधा। बस में सफर करने के लिए उन्होंने मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। बिछिया के रहने वाले मनोज रस्तोगी ने बताया कि रोडवेज प्रशासन पैसेंजर्स की सुविधा का दावा तो करता है लेकिन उन्हें कुछ भी नहीं मिलता है। दिव्यांगजन का सफर आसान नहीं है। उन्हें समस्याएं झेलनी पड़ती है। सुपर स्पेशियलिटी ब्लाकबीआरडी मेडिकल कॉलेज के सुपर स्पेशियलिटी ब्लाक में रैंप, व्हील चेयर और लिफ्ट की व्यवस्था है। यहां चार लिफ्ट लगे हैं जो चालू हालत में है। वहीं वार्ड में ओपीडी मरीजों के लिए 15 व्हील चेयर की भी व्यवस्था है। कार्डियोलॉजी विभाग में दिव्यांजनों को लाइन लगाने की जरूरत नहीं पड़ती है। दिव्यांगजनों को प्राथमिकता दी जाती है। नेहरू चिकित्सालय बीआरडी बीआरडी मेडिकल कॉलेज के नेहरू चिकित्सालय की ओपीडी में मरीजों को जाने के लिए मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। यहां लगा लिफ्ट कई सालों से खराब पड़ा है तो वहीं व्हील चेयर की व्यवस्था न के बराबर है। दिव्यांजनों के लिए रैंप की व्यवस्था भी नहीं है। दिव्यांग मरीजों को अटेंडेंट बड़ी मुश्किल से प्रथम तल और द्वितीय तल की ओपीडी या वार्ड तक ले जाना पड़ता है। एम्स गोरखपुर: रैंप नहीं लिफ्ट है एम्स की ओपीडी ब्लाक के एक नंबर काउंटर पर दिव्यांगजन और सीनियर सिटीजन का अलग से पर्चा बनाता है। ओपीडी में रैंप नहीं है। मरीज लिफ्ट से डॉक्टर को दिखाने पहुंचते हैं। आईपीडी के लिए लिफ्ट और रैंप दोनों की सुविधा है। वहीं, व्हील चेयर पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है।

Posted By: Inextlive