Gorakhpur News : कागजों में चल रहा यूपी रोडवेज का सड़क सुरक्षा माह... गोरखपुर में भी टल्लीबाज ड्राइवर, खटारा बसों में यात्री बेबस
गोरखपुर (ब्यूरो)।बुधवार रात लखनऊ में एक रोडवेज बस के ड्राइवर के नशे में होने की वजह से सवारियां बस से उतर गईं। वैसे इससे पहले गोरखपुर में भी टल्लीबाज रोडवेज बस स्टाफ पकड़ा जा चुका है। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के रियलिटी चेक में सामने आया कि बिना वर्दी के ड्राइवर और कंडक्टर बसों का संचालन कर रहे हैं। इतना ही नहीं कई बसों की बैक लाइट काम नहीं कर रही है। कई बसों का साइड मिरर टूटा है। वहीं, कुछ बस के आगे गत्ता लगाकर बसों का संचालन किया जा रहा है। बसों में ड्राइवर सीट बेल्ट भी नहीं लगाते। वहीं, कई बसों में स्पीड डिवाइस तक काम नहीं कर रही है। बस में बिना वर्दी में स्टाफ
दैनिक जागरण टीम को बस (यूपी53एफटी8937) का ड्राइवर बिना वर्दी के बस चलाते हुए नजर आया। नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि वर्दी के लिए पैसे नहीं मिले हैं। इसलिए बिना वर्दी ही बस का संचालन कर रहा हूं। इतना ही नहीं ड्राइवर ने सीट बेल्ट भी नहीं लगा रखी थी। रोडवेज प्रशासन की ओर से वर्दी में नहीं मिलने पर 100 रुपए जुर्माने का प्रावधान है। बस का साइड मिरर टूटा
गोरखपुर से लखनऊ जाने वाली बस (यूपी78एफएन2665) की हालत ऐसे थी कि उसके सामने का मिरर टूटा हुआ मिला। ड्राइवर ने बताया, बस को दुरुस्त कराने के लिए कंप्लेन की जाती है, लेकिन जिम्मेदार ध्यान नहीं देते। बस में लगाया गत्ता बस (यूपी52टी8672) के इंजन के सामने कागज का गत्ता लगा हुआ नजर आया। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि रोडवेज के बेड़े में बसों की कंडीशन कैसी है? कभी भी वह रास्ते में तम तोड़ सकती हैं। बस की बैक लाइट फ्यूज यूपी 53 ईटी 9685 और यूपी 58 एफएच 5732 बस (यूपी53ईटी9685) और (यूपी58एफएच5732) की बैक लाइट फ्यूज मिली। इस संबंध में ड्राइवर का कहना है कि लाइट और मिरर लगवाने के लिए कई बार कंप्लेन की गई, लेकिन अभी तक मरम्मत नहीं कराई गई हैं। ब्रीथ एनालाइजर जांच में दो मिले शराबी रेलवे बस स्टेशन और उसके आसपास एरियाज से संचालित होने वाली रोडवेज बसें और अनुबंधित बसों के 89 ड्राइवर्स और कंडक्टर्स की ब्रीथ एनालाइजर से जांच कराई गई। इस दौरान दो ड्राइवर्स शराब पीए हुए पाए गए। एआरएम महेश चंद्र ने इन रोडवेज कर्मचारियों को चेतावनी दी। रोडवेज बसों का स्पीड डिवाइस खराब
रोडवेज की बसों में लगाई गईं स्पीड कंट्रोल डिवाइस ने काम करना बंद कर दिया है। इस वजह से ड्राइवर्स को स्पीड का पता ही नहीं चल पता है। जबकि सिटी के अंदर 40 से 50 और शहर के बाहर हाइवे पर 60 से 70 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड से बसों को चलाने का नियम है। इन बिंदुओं पर करनी है निगरानी - निगम और अनुबंधित बसों की हैड लाइट, बैक लाइट, इंडीकेटर, रियर व्यू मिरर, एसएलडी एवं सीट बेल्ट की चेकिंग।- बसों के स्पीड कंट्रोल डिवाइस की जांच। - ड्राइवर्स के ड्राइविंग लाइसेंस की जांच एवं क्रू की वर्दी की जांच।- निगम एवं अनुबंधित बसों मे रिफ्लेक्टिव टेप लगाया जाना। बिना वर्दी के अगर बस ड्राइवर-कंडक्टर बस का संचालन कर रहे हैं तो गलत है। इसकी जांच कराई जाएगी। साथ ही अक्सर बसों की मरम्मत कराई जाती है। यदि बसों की बैक लाइट और मिरर टूटा है तो उसे तत्काल बदलवाया जाएगा। पीके तिवारी, आरएम गोरखपुर रीजन