गीता पढ़कर अच्छे रास्ते पर चलने का सबक ले रहे बंदी. यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्।। ... गीता का यह मंत्र अब गोरखपुर की जेल में गूंजने लगा है. भगवत गीता पढऩे से विपरित परिस्थितयों में मन को शांति और कामवासना क्रोध लालच मोह माया बंधनों से व्यक्ति मुक्त हो जाता है.


गोरखपुर (ब्यूरो)। यही वजह है, इस समय गोरखपुर जेल में अधिकतर बंदी भगवत गीता की डिमांड कर रहे हैं। गीता पढ़कर अपने पाप का प्रायश्चित और अच्छे रास्ते पर चलने का वचन ले रहे हैं। जेल अधीक्षक दिलीप पाण्डेय ने बताया कि जेल में कुल 1967 बंदी हैं, जिसमे से करीब 450 बंदी सजायाफ्ता बंद हैं। कई तो ऐसे भी बंदी हैं, जिनसे मिलने भी कोई नहीं आता है। वह भगवत गीता पढ़कर अपना मानसिक तनाव कम करते हैं। करीब 30-40 परसेंट बंदियों को गीता प्रोवाइड कराई गई है।बुरे सपनों से बचाती है भगवत गीता
जेल में हत्या, लूट, छिनैती, चोरी, डकैती, रेप समेत कई जंघन्य अपराध में लिप्त बदमाश बंद हैं। जेल अधीक्षक ने बताया कि कई ऐसे बंदी हैं, जिन्हें रात में बुरे सपने आते हैं, वह इस वजह से अच्छी नींद नहीं ले पाते हैं। जेल में काफी समय से बंद रहने की वजह से उनके अंदर तनाव भी बढ़ गया था। उन्होंने अब रात के समय भगवत गीता पढऩा शुरू किया। अब उन्हें बुरे सपने परेशान नहीं करते हैं, और वह जेल के अंदर अच्छा व्यवहार भी करते हैं। उन्होंने बताया कि एक बैरक के बंदी कई दिनों से भगवत गीता की डिमांड कर रहे थे, उस बैरक में बुधवार को गीता वाटिका से करीब 50 भगवत गीता मंगाकर वितरित की हैं। डिमांड पर आईं और पुस्तकेंजेल में बंदियों के लिए लाइब्रेरी की भी व्यवस्था है। बंदियों की डिमांड पर 100 से अधिक नई किताबें मंगाई गई हैं, जिसमे अच्छे-अच्छे राइटर की बुक शामिल हैं। लाइब्रेरी में राइटर प्रकाश कांत की लिखी शहर की आखिरी चिडिय़ा और मदन मोहन की लिखी पाताल पानी जैसी पुस्तकों की भी बंदी डिमांड करते हैं। बंदियों की डिमांड पर आईं किताबों के नाम। शहर की आखिरी चिडिय़ा। पीले कागज की उजली इबारत। एक मनोचिकित्सक की नोट्स। पाताल पानी। बीज भोजी। नाच के बाहर। मानुष। रेल की बात। जीवन में संविधान। जीवन पुरोहित जंक्शन। इस उस मोड़ पर। मनोचिकित्सक संवाद। ग्रामीण जीवन और आजीविकाएं। दो रंग नाटक जेल में बंदी कुल बंदी - 1967अंडर ट्रॉयल बंदी - 1597सजायाफ्ता पुरुष बंदी - 370महिला बंदी - 110सजायाफ्ता महिला बंदी - 27अंडर ट्रायल महिला बंदी - 83बैरक - 29


भगवत गीता पढऩे का बंदियों के व्यवहार पर अच्छा असर पड़ रहा है। इसकी वजह से ही कई सजायाफ्ता बंदी जेल में ही काम भी कर रहे हैं और अपने घर पर पैसे भी भेज रहे हैं। इसके अलावा अभी हाल ही में जेल की लाइब्रेरी में कई अच्छे राइटरों की पुस्तक बंदियों की डिमांड पर ही मंगाई गई हैं। दिलीप कुमार पाण्डेय, जेल अधीक्षक

Posted By: Inextlive