Gorakhpur News: ऑनलाइन पढ़ें रामचरितमानस, 31 जनवरी तक फ्री एक्सेस
गोरखपुर (ब्यूरो)। देश में ज्यादातर लोग श्रीरामचरितमानस की पुस्तक पढ़ रहे हैं, लेकिन डिमांड बढऩे से गीता प्रेस में इसकी शॉर्टेज हो गई है। इस क्राइसिस से निपटने के लिए गीता प्रेस की ओर से 16 जनवरी से 31 जनवरी तक फ्र ऑनलाइन सर्विस स्टार्ट की गयी है, जिसमें रामभक्त ऑनलाइन श्रीरामचरितमानस पढ़ सकेंगे और अयोध्या के महत्व को जान सकेंगे। 10 भाषाओं में फ्री अवेलबल गीता प्रेस के मैनेजर डॉ। लालमणि तिवारी ने बताया, प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर गीता प्रेस की ओर से हिंदी, इंग्लिश, गुजराती, बांग्ला, नेपाली, मराठी, उडिय़ा सहित कुल 10 भाषाओं में श्रीरामचरितमानस, अयोध्या महात्म्य और अयोध्या दर्शन फ्र में वेबसाइट पर ऑनलाइन अवेलबल है। उन्होंने आगे बताया, 50 हजार लोग एक साथ वेबसाइट पर लॉगिन कर इन पुस्तकों को पढ़ सकते हैं। आगे प्रॉब्लम आने पर यह संख्या 1 लाख तक बढ़ाई जा सकती है।
ऐसे करें वेबसाइट पर विजिटअगर आपको रामचरित मानस की बुक मार्केट में नहीं मिल रही है तो टेंशन लेने की जरूरत नहीं है। क्योंकि आप इसे 15 दिनों के लिए ऑनलाइन ही फ्री में पढ़ सकते हैं या इसे डाउनलोड भी कर सकते हैं। इसके लिए आपको कुछ स्टेप्स फॉलो करने होंगे।
1. सबसे पहले गूगल क्रोम पर गीता प्रेस सर्च करें।
2. फिर नीचे दिख रही गीता प्रेस की वेबसाइट (द्धह्लह्लश्चह्य://द्दद्बह्लड्डश्चह्म्द्गह्यह्य.शह्म्द्द/) पर क्लिक करें। 3. वेबसाइट ओपन होते ही स्क्रीन पर रामचरित मानस, अयोध्या दर्शन और महात्म्य को पढऩे के लिए लैंग्वेज सेलेक्ट करने का ऑप्शन आएगा। 4. अपनी पसंद की लैंग्वेज को सेलेक्ट करने पर बुक का फस्र्ट पेज आपके स्क्रीन पर ओपन हो जाएगा, जिसके बाद इसे ऑनलाइन पढ़ा जा सकता हैं। 5. बुक के पहले पेज पर ही नीचे राइट में डाउनलोड करने का ऑप्शन भी दिखेगा, जिस पर क्लिक कर फ्री में डाउनलोड भी कर सकते हैं। डिमांड में रामचरितमानस वेबसाइट पर रामचरितमानस के साथ अयोध्या महात्म्य और अयोध्या दर्शन भी अवेलबल है। पर सबसे ज्यादा लोग रामचरितमानस ही पढऩा पसंद कर रहे हैं। उसमें भी ज्यादातर हिंदी भाषी पाठक हैं। इन दिनों रामचरितमानस को पढऩे का लोगों में बहुत उत्साह देखा जा रहा है। डिमांड बढ़ती ही जा रही है। नतीजा यह है कि गीता प्रेस में इसकी शॉर्टेज हो गई है। इसलिए पुस्तकों को फ्री रीडिंग के लिए 16 से 31 जनवरी तक ऑनलाइन कर दिया गया है। आवश्यकता पढऩे पर टाइम लिमिट को बढ़ाया भी जा सकता है। डॉ। लालमणि तिवारी, मैनेजर गीता प्रेस