रामलीला कमेटी बर्डघाट के तत्वाधान में गुरुवार को देर रात भरत मिलाप शोभा यात्रा धूमधाम से घासीकटरा रामजानकी मंदिर से गाजे बाजे के साथ निकली जो मिर्जापुर लालडिग्गी मदरसा चौक बंधू सिंह पार्क बसंतपुर हांसूपुर होते हुए राजघाट रामलीला मैदान पर शुक्रवार सबह पांच बजे पहुंची. जहां धूमधाम से भरत मिलाप हुआ. शुक्रवार देर शाम को रामलीला मंच पर भगवान की राजगद्दी व राजतिलक वैदिक मंत्रोचार के बीच किया गया.

गोरखपुर: शोभा यात्रा में काफी संख्या में झाकियां हनुमान दल, रामा दल, संगत मंदिर दल, और श्रीराम दल प्रभु श्रीराम के साथ चल रहे थे। इसमें शिव पार्वती, राधा कृष्ण की झाकियां चल रही थीं। रास्ते में लोग पुष्प की बरसात कर रहे थे। प्रात: काल 5 बजे जब प्रभु श्रीराम सीता, लक्ष्मण भरत से मिलने पहुंचे वहां पर सबसे पहले हनुमान जी दौड़ कर सूचना देते हैं, भरत जी से राम एवं लक्ष्मण सीता तीनों लोग आपसे मिलने आ रहे हैं। भरत जी की खुशी का ठिकाना न रहा और प्रभु श्रीराम जी को गले लगाया यह दृश्य देखकर सभी रामभ1त जय श्रीराम जय श्रीराम का उद्घोष करने लगे। शुक्रवार को बर्डघाट रामलीला मंच पर धूमधाम से प्रभु श्रीराम जी का राज्याभिषेक का कार्यक्रम हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में गोरक्ष प्रांत के प्रचारक रमेश के द्वारा राज्याभिषेक किया गया। इस अवसर पर गणेश वर्मा, हरिद्वार वर्मा, मनोज वर्मा, रवि वर्मा, अनिल बर्नवाल, अनुराग मझवार इत्यादि लोग मौजूद थे।
श्रद्धालुओं ने विष्णु महायज्ञ में डाली आहुति

गोरखपुर। विष्णु मंदिर असुरन में चल रहे विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों के क्रम में शुक्रवार को काशी से पधारे मुख्य यज्ञाचार्य अरविंद कुमार मिश्र के नेतृत्व में 45 दंपतियों ने यज्ञ में आहुति डाली। इस बीच श्रद्धालुओं ने यज्ञ स्थल की परिक्रमा भी की। शाम को आयोजित राम कथा में अयोध्या से पधारे कथा व्यास आचार्य बलराम दास ने कहा कि किसी के गुण और दोष को देखना ही बंधन है और ममता रूपी धागे से लोग बंधे रहते इसीलिए उस तागे को भगवान के चरणों से बांध दो, तभी मोक्ष प्राप्त होगा क्योंकि जब हम अपना मन भगवान के चरणों में लगा देते हैं तो हम किसी के गुण दोष को देखना छोड़ देते हैं, केवल प्रभु चरणों में ध्यान लगाते हैं और सत्कर्म के मार्ग पर चलते हैं। महात्मा बंधन को खोलने का मार्ग बताता है।

इसी क्रम में देर रात हुई रामलीला में श्रीराम के जन्म का मंचन हुआ। जब श्रीराम जन्म लेते हैं, तो पूरी अयोध्या में बधाइयां बजने लगती हैं। राजा दशरथ ने अपने कोष खोल दिए। सोना, चांदी सब लुटाए जा रहे हैं। राम बड़े होते हैं। फिर अपने भाइयों के साथ गुरु वशिष्ट के आश्रम में जाकर अनेक विद्याओं का अध्ययन करते हैं। आगे मंचन में मारीच व ताड़का का वध भी भगवान राम करते हैं। इसके बाद जय श्रीराम के नारे पंडाल में गूंजने लगते हैं। अंत में भगवान राम की आरती होती है। इस अवसर पर राधेश्याम श्रीवास्तव, विशाल चौरसिया, डॉ। प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, बृजेश मणि मिश्र, अंकित पांडेय, विकास पांडेय, राजकुमार मौर्य, रोहिणी श्रीवास्तव इत्यादि मौजूद रहे।

Posted By: Inextlive