Gorakhpur News : आयुर्वेदिक दवाओं की तरफ बढ़ा पब्लिक का रुझान, इम्युनिटी बूस्टर्स की डिमांड
गोरखपुर (ब्यूरो)।खासतौर पर लोग इम्युनिटी बूस्टर दवाओं को लेने के लिए पहुंच रहे हैं। 2020 से पहले महज 20-25 मरीज प्रतिदिन आते थे, वहीं आज की डेट में 60-70 मरीज प्रतिदिन इलाज के लिए ओपीडी में पहुंच रहे हैं। डॉक्टर्स उनका फ्री ऑफ कॉस्ट इलाज करने साथ ही उन्हें मुफ्त दवाएं भी दे रहे हैं। यही वजह है कि अब लोगों में आयुष विभाग के प्रति रूझान बढ़़ा है। आयुर्वेदिक दवाओं की रहती है मांग
कोरोना में ज्यादातर लोग अपने घर में आयुर्वेद दवाओं के इस्तेमाल से कोरोना जैसी महामारी जंग से जीत ली। यही वजह है कि आज की डेट में लोग अपने इम्युनिटी को मजबूत करने के लिए आयुर्वेदिक दवाओं की मांग बढ़ गई है। आयुर्वेद के चिकित्साधिकारी डॉ। संजय त्रिपाठी बताते हैैं कि इन दिनों मरीजों की संख्या दोगुनी हो गई है। मरीजों के लिए पर्याप्त मात्रा में दवाएं भी आ चुकी हैैं। जोड़ों में दर्द, बुखार, खांसी, सर दर्द समेत इम्युनिटी पॉवर बढ़ाने के लिए दवाओं की मांग भी बढ़ गई हैैं। सबसे ज्यादा मरीज जोड़ों में दर्द, ताकत और लीवर के मरीज ज्यादा आ रहे हैैं। लोगों में बढ़ा है विश्वास
होमियोपैथिक के चिकित्साधिकारी डॉ। डीपी सिंह बताते हैैं कि मरीजों की संख्या पहले के मुकाबले काफी बढ़ गई है। आयुष विभाग में मिलने वाले उपचार और दवाओं के लिए लोगों का रुझान बढ़ा है। लोगों में विश्वास के साथ इलाज के लिए आते हैैं, किडनी में स्टोन हो या फिर बदलती लाइफ स्टाइल के कारण अनिद्रा की समस्या, इन सबके इलाज के लिए आज की युवा पीढ़ी का रुझान बढ़ा है। यूनानी के प्रति बढ़ी जागरुकतायूनानी चिकित्साधिकारी डॉ। मो। शमी अख्तर बताते हैैं कि यूनानी के प्रति लोगों में जागरुकता आई है। इलाज और दवा दोनों ही मुफ्त हैैं। ऐेसे में मरीजों की संख्या भी बढ़ गई है। दवा वितरण स्टोर में तैनात फार्मासिस्ट राजेंद्र प्रसाद गुप्त व मिथिलेश कुमार बताते हैैं कि दवाएं पर्याप्त मात्रा अब उपलब्ध रहती हैैं, इसलिए मरीजों के आने का सिलसिला सुबह 8 से दोपहर 2 बजे तक कॉन्टीन्यू चलता रहता है। आयुष विभाग के अंतर्गत आने वाले विभाग- आयुर्वेद की ओपीडी - 60-70 - होमियोपैथी की ओपीडी - 60-70 - यूनानी की ओपीडी - 50-60इन दवाओं का रहता है ज्यादा डिमांड - - अर्क, आसव अरिष्ट, भस्म और पिष्टी, चूर्ण, घृत, गुग्गुलु, कषायं, लौह और मंडूर, लेहयम और ïअवलेह, मुरब्बा, थैलम, वटी और गुटिका, शंख भस्म आदि