Gorakhpur News : टीबी पेशेंट्स के ट्रीटमेंट में मददगार बने प्राइवेट डॉक्टर्स
गोरखपुर (ब्यूरो)।पेशेंट्स को सीबीनॉट जांच, एचआईवी, शुगर आदि जांचों की भी सुविधा मिली है। निजी क्षेत्र के प्रयासों से टीबी पेशेंट्स को अब तक 2.29 करोड़ की सहायता निक्षय पोषण स्कीम के तहत दी गई। इतना नहीं नहीं अगर प्राइवेट डॉक्टर सहमति दें तो सारी दवाएं सरकारी अस्पताल से भी पाने का पेशेंट का अधिकार हैं। सिटी के राजघाट एरिया के रहने वाले 22 वर्षीय राहुल (बदला हुआ नाम) की 42 वर्षीय मां को अगस्त 2021 में टीबी हो गया। परिवार के आय का साधन एक छोटी सी दुकान है और घर में तीन मेंबर्स हैं। परिवार ने उनका ट्रीटमेंट प्राइवेट डॉक्टर से कराया। राहुल बताते हैं कि डॉक्टर ने उन्हें जिला क्षय रोग केंद्र भेज कर मां का चल रहे इलाज का पेपर जमा कराया। मां के फेफेड़े की टीबी का आठ माह ट्रीटमेंट चला और इस दौरान प्राइवेट डॉक्टर के नोटिफिकेशन से फायदा यह हुआ कि मां के एकाउंट में 4000 रुपए पोषण के लिए भी मिले, फिर भी प्राइवेट हॉस्पिटल में ट्रीटमेंट कराने में हजारों रुपए खर्च हो गए। उनकी मां को दिसंबर 2022 में दोबारा टीबी की दिक्कत हो गई। मां का वजन काफी कम हो चुका है। अब पैसे नहीं बचे हैं कि प्राइवेट डॉक्टर से इलाज कराएं। ऐसे में डॉक्टर ने बताया कि वह चाहें तो सरकारी अस्पताल में ट्रीटमेंट करा सकते हैं। इसके बाद जिला क्षय रोग केंद्र से उनकी मां की दवा शुरू हो गई है। प्राइवेट नोटिफिकेशन से मिली सहायतावर्ष पेशेंट्स को मिली आर्थिक सहायता 2018 120002019 13.25 लाख2020 83.05 लाख2021 58.13 लाख2022 74.47 लाख (नवंबर अंत तक)निजी चिकित्सा क्षेत्र से नोटिफिकेशनवर्ष नोटिफाइड पेशेंट 2018 779
2019 44992020 39602021 47472022 4425प्राइवेट डॉक्टर्स की ओर से नोटिफिकेशन की व्यवस्था होने से पेशेंट का तो फायदा होता ही है, बीमारी का प्रसार रोकने में भी मदद मिलती है। अब प्राइवेट डॉक्टर नोटिफिकेशन कर देते हैं तो संबंधित पेशेंट के परिवार की भी कांटैक्ट ट्रेसिंग की जाती है। - डॉ। गणेश प्रसाद यादव, जिला क्षय रोग अधिकारी