कोविड कॉल के बाद कम उम्र में कार्डिक अरेस्ट के केसेज काफी बढ़ गए हैं. इसे लेकर हुए एक सर्वे के मुताबिक देश में हर साल एक मिलियन लोग सडेन कार्डियक अरेस्ट में अपनी जान गवां देते हैं.


गोरखपुर (ब्यूरो)। इसमें ज्यादातर लोग 25 से 35 साल के बीच की उम्र वाले हैं। ज्यादातर केसेज में देखने को मिला है कि डांस करते-करते गिर गया और दोबारा नहीं उठा। वहीं, कुछ जिम में एक्सरसाइज करते तो अन्य वर्कआउट के दौरान कार्डियक अरेस्ट का शिकार होकर अपनी जान गवां चुके हैं। ऐसे में बढ़ते केसेज को देखते हुए यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (यूजीसी) ने सभी यूनिवर्सिटी और कालेजों में बेसिक लाइफ सपोर्ट (बीएलएस) की ट्रेनिंग कराने के निर्देश दिये गये हैं। इसके लिए सभी कॉलेज और यूनिवर्सिटीज को लेटर जारी कर दिया गया है। यूजीसी की ओर से जारी गाइडलाइंस में यूनिवर्सिटीज के वीसी और डिग्री कॉलेजों के प्रिंसिपल्स को स्टूडेंट्स, फैकल्टी और नान टीचिंग स्टॉफ को बेसिक लाइफ सपोर्टक्र (बीएलएसक्र) टेक्निक ट्रेनिंग कराने को कहा है। जिससे कार्डियक अरेस्ट के मामलों में समय रहते लोगों की जान बचाई जा सके। जानकार एक परसेंट


सडेन कार्डिक अरेस्ट से होने वाली मौतों को लेकर हुए एक रिसर्च के मुताबिक हर साल इसके चलते 10 लाख से अधिक लोगों की जान चली जाती है। यूजीसी ने यूनिवर्सिटी-कॉलेजों को जारी नोटिस में लिखा है कि हार्ट स्पेशलिस्ट मानते हैं, 'कार्डियक अरेस्ट के दौरान शुरुआती तीन से 10 मिनट का समय महत्वपूर्ण होता है। इस समय में अगर चेस्ट को सही तरीके से प्रेस किया जाए तो प्रभावित लोगों की जान बचाई जा सकती है। लेटर में यह भी लिखा है कि अगर लोग ट्रेंड होते तो बीते सालों में ही इससे 3.5 लाख लोगों की जान बचाई जा सकती थी। लेटर में इस बात का भी जिक्र है कि बीएलएस टेक्निक के जानकारों की संख्या 0.1 परसेंट है। ऐसे में यूजीसी की प्लानिंग है कि एजुकेशन सेक्टर में बीएलएस की ट्रेनिंग देकर काफी संख्या में लाइफ सेव की जा सकती है। स्टूडेंट, फैकल्टी और कर्मचारीयूनिवर्सिटी और कालेजों में डॉक्टरों से संपर्क करके बीएलएस टेक्निक ट्रेनिंग दी जाएगी। यह ट्रेनिंग स्टूडेंट, फैकल्टी और कर्मचारियों के लिए होगी। माना जा रहा है कि यूनिवर्सिटी और कालेजों के जरिए इस ट्रेनिंग का प्रचार प्रसार आम पब्लिक में बड़ी संख्या में हो सकेगा।यह स्पेशल टेक्निक

कार्डियक अरेस्ट आने पर व्यक्ति को अस्पताल पहुंचाने से पहले जीवित रखने के लिए हृदय की मांसपेशियों पर दबाव डालने के लिए एक विशेष टेक्निक का उपयोग किया जाता है। इसी को बीएलएस टेक्निक कहते हैं। कार्डियक अरेस्ट होने पर हार्ट, माइंड और लंग्स सहित बॉडी के बाकी हिस्सों में खून पंप नहीं कर सकता है। ऐसी स्थिति में इस टेक्निक से मरीज की जान बचाई जा सकती है। इस टेक्निक में पेशेंट के चेस्ट को एक प्रोसेस से प्रेस किया जाता है।सिटी में यहां ट्रेनिंगयूजीसी की ओर नोटिस जारी होने के बाद डीडीयू, एमएमएमयूटी, गोरखनाथ यूनिवर्सिटी और डीडीयू से एफिलिएटेड 350 से अधिक कॉलेजों के साथ ही एकेटीयू से एफिलिएटेड इंजीनियरिंग कालेजों में इसकी ट्रेनिंग दी जाएगी। ऐसे में ट्रेनिंग लेने वालों की संख्या की बात करें तो वह 5 लाख के आस-पास हो सकती है। एम्स और बीआरडी से करारडीडीयू की वीसी प्रो। पूनम टंडन ने बताया कि बीएलएस की ट्रेनिंग देने के लिए एम्स और बीआरडी मेडिकल कॉलेज से करार किया जाएगा। इस सेशन में यूनिवर्सिटी कैंपस के साथ ही सभी एफिलिएटेड कॉलेजों में बीएलएस की ट्रेनिंग दी जाएगी। इसमें स्टूडेंट्स के साथ ही सभी टीचिंग और नान टीचिंग स्टॉफ को स्पेशलिस्ट ट्रेनिंग देंगे। कोविड कॉल के बाद सडेन कार्डियक अटैक की घटनाएं काफी बढ़ी है। यूजीसी का मानना है कि हर व्यक्ति को सीपीआर की जानकारी होनी चाहिए। खासकर उन लोगों को जो सार्वजनिक स्थानों में कार्यरत हैं। इस सत्र से डीडीयू और एफिलिएटेड कॉलेजों में सडेन कॉर्डियक अरेस्ट से बचाव के लिए बीएलएस की ट्रेनिंग दी जाएगी। इसको लेकर यूजीसी ने गाइडलाइंस जारी की हैं। प्रो। पूनम टंडन, वीसी डीडीयू

बीएलएस ट्रेनिंग सभी के लिए जरूरी है। न्यू सेशन में न्यू स्टूडेंट्स को भी इसकी ट्रेनिंग दी जाएगी। यह ऐसी ट्रेनिंग है, जो कि किसी की जान बचाने के काम आती है। सभी को पर्सनल इंट्रेस्ट लेते हुए ट्रेनिंग में भाग लेना चाहिए। प्रो। जेपी सैनी, वीसी एमएमएमयूटी

Posted By: Inextlive