सिटी के तिवारीपुर के रहने वाले सामर्थ बेतियाहाता स्थित एक कोचिंग सेंटर में जेईई की तैयारी करते थे लेकिन वह कोचिंग में पढ़ाई पर पूरी तरह से कंसंट्रेट नहीं कर पा रहे हैं.


गोरखपुर (ब्यूरो)। उनका कहना है कि बीच बाजार में कोचिंग सेंटर होने के कारण वहां खूब शोर रहता था, ऐसे में उन्होंने अब एक दूसरे कोचिंग सेंटर में एडमिशन लिया है। ये समस्या सिर्फ एक सामर्थ की नहीं है, सामर्थ जैसे तमाम ऐसे स्टूडेंट्स हैं, जिन्हें कोचिंग सेंटर्स और शहर में मौजूद अन्य इंस्टीट्यूट में पढ़ाई के दौरान शोर और ध्वनि प्रदूषण का सामना करना पड़ता है, लेकिन वे कहीं इसकी शिकायत नहीं कर पा रहे हैं। कोचिंग सेंटर्स का हब बन गया है सिटी


सिटी एजुकेशन हब के तौर पर उभरती जा रही है, लेकिन बढ़ता शोर कानों में न केवल ध्वनि प्रदूषण का जहर घोल रहा है, बल्कि स्टूडेंट्स की पढ़ाई में भी खलल पैदा कर रहा है। सिटी में कुछ ऐसे एरिया हैं, जहां बड़ी मात्रा में कोचिंग सेंटर्स हैं। यह कोचिंग सड़क के किनारे होने के कारण गाडिय़ों का हॉर्न स्टूडेंट्स की पढ़ाई में बाधा बना हुआ है। लेकिन इस समस्या पर जिम्मेदारों का ध्यान नहीं जा रहा।

सिटी के गोलघर एरिया में है। कभी-कभी ध्वनि प्रदूषण का स्तर 80 से 100 डीबी के बीच पहुंच जाती है। विशेषज्ञों की माने तो 80 डीबी से ज्यादा ध्वनि का स्तर स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। वहीं कोचिंग हब कहे जाने वाले सिविल लाइंस में भी ध्वनि प्रदूषण 80 डेसिबल के करीब है।तेज शोर से बचेंईएनटी डॉ। वीरेंद्र गुप्ता ने बताया कि तेज ध्वनि के कारण कानों में बहरापन आ जाता है। लगातार ध्वनि प्रदूषण में रहने के कारण चिड़चिड़ापन आदि समस्याएं भी लोगों को होने लगती है। तेज शोर से सुनने की नस कमजोर हो जाती है। यह लाइलाज है। रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन, गोलघर आदि में रहने वाले अधिक शोर के संपर्क में लगातार रहने वाले कई व्यक्ति धीमी आवाज को समझा नहीं पाता। हेड फोन लगाकर तेज आवाज में म्यूजिक सुनने वालों को भी सुनने संबंधी समस्याएं आती हैं।यहां कर सकते हैं शिकायतपॉल्युशन डिपार्टमेंट के रीजलन ऑफिसर अनिल शर्मा ने बताया कि सिटी में अगर कहीं भी लगे की कहीं मानक से अधिक आवाज आ रही है तो इसकी शिकायत महादेव झरखंडी स्थित पॉल्युशन कंट्रोल के रीजनल ऑफिस या पॉलयुशन डिपार्टमेंट के वेबसाइट क्रह्म्शह्वश्चष्ड्ढञ्चद्दद्वड्डद्बद्य.ष्शद्व पर ऑनलाइन शिकायत दर्ज करा सकते हैं। मानक-10 डेसीबल-प्रतिदिन की शांति, पतंग उड़ाने का ध्वनि, श्वास लेना- 20 डेसीबल- पत्ते खड़कड़ाहट- 30 डेसीबल- बुदबुदाना- 60 डेसीबल- साधारण बातचीत की आवाज- 80 डेसीबल- सिटी एरिया में गाडिय़ों की शोर- 100 डेसीबल-रेलवे स्टेशन या बस स्टेशन का शोर

- 120 डेसिबल-हेलीकॉप्टर का शोर

Posted By: Inextlive