मां को हाई बीपी से नवजात कमजोर
Gorakhpur News: ब्लड प्रेशर व एनीमिया से पीडि़त मां के बच्चे कमजोर जन्म ले रहे हैं। अधिकांश न्यूबॉर्न बेबी का वजन डेढ़ किलो से कम होता है, जो जन्म लेने के बाद संक्रमण, सांस की बीमारी और पीलिया जैसी बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। यह जानकारी बीआरडी मेडिकल कॉलेज के गायनी विभाग द्वारा 100 महिलाओं पर हो रही स्टडी में सामने आया है।
होते हैं काफी कमजोर
बता दें कि एनीमिया की शिकार सिर्फ महिलाएं ही नहीं होती, बल्कि छोटे बच्चों में भी काफी समय से ये बीमारी देखने को मिल रही है। खासतौर से उन बच्चों में जिनकी डिलेवरी प्रीमेच्योर स्टेज में हो जाती है या फिर वे बच्चे जो पैदा होने के बाद काफी कमजोर होते हैं। एनीमिया की प्रॉब्लम से शरीर में पर्याप्त मात्रा में रेड ब्लड सेल्स नहीं बन पाते। इस बीमारी से उनका इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है। यह उनके सोचने-समझने ओर फोकस करने की क्षमता को भी प्रभावित करता है।
बढ़ती बीपी की समस्या
बीआरडी मेडिकल कॉलेज के गायनी विभाग के एक्सपट्र्स के अनुसार गोरखपुर की महिलाओं में हीमोग्लोबिन खून की कमी आम बात है। जब महिला गर्भवती होती है तो उन्हें एनीमिया हो जाता है। ऐसे में ब्लड प्रेशर बढऩे की समस्या हो जाती है। एनीमिया व ब्लड प्रेशर की वजह से गर्भस्थ शिशु विकसित तो हो जाता है, मगर उसका वजन नहीं बढ़ता। विभाग की स्टडी से पता चला है कि ऐसी महिलाओं के बच्चों का वजन डेढ़ किलो से कम होता है। इनमें से 50 परसेंट न्यू बॉर्न बेबी का वजन 1100 ग्राम से 1200 ग्राम होता है। ऐसे में कम वजन के 74 परसेंट बच्चों में पीलिया व सांस की बीमारी के साथ संक्रमण भी हो जाता है।
- एनीमिया की कमी के चलते इम्यून सिस्टम कमजोर होने लगता है, जिससे बच्चे बार-बार बीमार होते रहते हैं
- एनीमिया के चलते बच्चों में बेचैनी और चिड़चिड़ापन भी देखने को मिलता है
- थोड़ी बहुत एक्टिविटी करने पर भी इनकी सांस फूलने लगती है
- चेहरे और त्वचा का रंग पीला और सफेद होने लगता है। एनीमिया से बचाव
- बच्चों में आयरन की कमी न होने दें
- हरी सब्जियों, शरीफा, दाल, ड्राई फ्रूट्स, अंडे, नॉन वेजिटेरियन फूडस का सेवन
- विटामिन सी से भरपूर नींबू, संतरा, कीनू, सीताफल, टमाटर और स्ट्रॉबेरी खिलाएं
बीमारी के दौरान महिला की डिलेवरी होती है तो बच्चा ग्रोथ नहीं कर पाता है। वह कमजोर होता है और वजन भी कम होता है। हाई वीपी होने पर भी प्राब्लम होती है। मां बच्चे को फीडिंग भी नहीं करा पाती है, जिसके चलते संक्रमण का खतरा रहता है।
डॉ। भूपेंद्र शर्मा, एचओडी, बाल रोग विभाग, मेडिकल कॉलेज
डॉ। रूमा सरकार, एचओडी, स्त्री व प्रसूति विभाग, मेडिकल कॉलेज