Gorakhpur News: खेती में 18 से 25 साल की सबसे ज्यादा महिला श्रमिक
गोरखपुर (ब्यूरो)। इसमें समय और ऊर्जा की मांग भी बढ़ जाती है, जिसमें स्वास्थ्य संबंधी खतरे हाइ लेवल के होते हैं। दोषपूर्ण शारीरिक मुद्रा, लंबे समय तक खड़े रहना, गंदे पानी में लंबे समय तक रहना। इस बारे में डॉ। दिव्या रानी के नेतृत्व में डॉ। पूनम प्रजापति ने रोल ऑफ योगा इन प्रिवेंटेशन वर्क ऑफ वर्क रिलेटेड मस्क्यूलेस्केटल डिसॉर्डर इन वुमेन फॉर्मर पर रिसर्च किया है।158 कृषक महिलाएं बुआई, रोपाई और निराई-गुड़ाई के दौरान झुकने और बैठने की मुद्रा का उपयोग कर रही थीं, जो मस्कुलोस्केलेटल विकारों का कारण बनता है।रिसर्च की टेस्टिंग टूलउत्तर प्रदेश के रुद्रपुर तहसील, देवरिया जिले के 12 गांवों में सबसे पहले इन गांवों की 1500 कृषक महिलाओं का स्टेप टूल टेस्ट का यूज करके फिजिकल फिटनेस जांचा गया। इनकी डाटा कांउटिग बीएमआई, बीएमआर, शारीरिक पैरामीटर और भौतिक पैरामीटर का उपयोग करके की गई थी।फिटनेस टेस्ट में ग्रेडिंग
उत्तरदाताओं 28.17 परसेंट शारीरिक फिटनेस के लोवर एवरेज ग्रेड में था। इसके बाद 16.97 परसेंट का एवरेज अच्छा था और 18.6 परसेंट एवरेज और 32.6 परसेंट का उच्च एवरेज और खराब था। इसमें से केवल 6.5 परसेंट महिलाओं का फिटनेस बहुत अच्छे ग्रेड में पाया गया।युवा श्रमिक की संख्या ज्यादा
कृषक महिलाओं की सामाजिक आर्थिक स्थिति पर चर्चा की गई कि 12.34 परसेंट महिला कृषक श्रमिकों में से अधिकांश 18-25 वर्ष की आयु वर्ग की थीं। 35.34 परसेंट उत्तरदाता 25-35 वर्ष की आयु के पाए गए, 27.34 परसेंट 35-45 आयु वर्ग के बीच की थीं। 19 परसेंट में से अधिकांश 45-55 वर्ष के हैं और केवल 6 परसेंट उत्तरदाता 55-65 आयु वर्ग के पाई गई।90.34 परसेंट महिला फार्मरधान की खेती में सबसे अधिक भागीदारी मध्यम एडल्ट महिलाओं की संख्या थी। अधिकांश 66.44 परसेंट उत्तरदाता मीडियम ग्रेड की भागीदारी वाले थीं, जिसमें मीडियम एडल्ट महिलाओं की उच्चतम भागीदारी 75.7 परसेंट थी और 64.08 परसेंट उत्तरदाता प्रारंभिक एडल्ट महिलाएं थीं, जो मध्यम स्तर की भागीदारी में शामिल थीं। कृषि गतिविधियों में केवल 56 परसेंट एलएएफ (देर से वयस्क महिला) की मध्यम स्तर की भागीदारी थी। इसके बाद 14.77 परसेंट उत्तरदाताओं की कृषि भागीदारी उच्च स्तर की थी, जहां 7.31 परसेंट प्रारंभिक वयस्क महिलाएं थीं और 24.4 परसेंट देर से वयस्क महिलाएं थीं। 19 परसेंट निम्न स्तर की भागीदारी में शामिल थीं। जहां 7.13 परसेंट उत्तरदाता प्रारंभिक एडल्ट महिलाएं थीं।महिलाओं में मरस्कुलोस्केलटल डिसऑर्डर
धान की खेती के दौरान शरीर के विभिन्न अंगों में होने वाले दर्द के बारे में पूछने पर यह देखा गया कि 65.77 परसेंट लोगों को पारंपरिक तरीकों से काम करते समय गर्दन में दर्द होता है, 80.44 परसेंट में दोनों कंधों में भी दर्द होता है। अधिकांश 69.77 परसेंट महिलाओं को पैरों में दर्द की शिकायत थी।स्कीन डिसीजमहिलाओं की त्वचा संबंधी बीमारियों में त्वचा पर लाल चकत्ते, खुजली, शुष्क त्वचा, एक्जिमा और फंगल संक्रमण में काफी अंतर था।ये योगा पोज आएंगे कामस्टडी में पाया गया कि महिलाओं मे हो रही शारीरिक और मानसिक बीमारियों को दूर करने के लिए ये योगा पोज काम आ सकते हैं।मरस्कुलोस्केलटल डिसऑर्डरअर्धचक्रासनपादहस्तासनत्रिकोणासन वृक आसनवीरभद्रासनशशांकासनपश्चिमासनभुजंगासनसलभासनऑस्टियोआर्थराइटिस-जेंटल हठ योग, ब्रीथिंग एक्सरसाइज, बॉडी अवेयरनेसलो बैक पेन- हठ योग, मेडिटेशननिचले हिस्से में मांसपेशियों में दर्द-कृपयौष्टिक योग क्रॉनिक लो पेन-डायाफ्रामिक ब्रीथिंग रिलैक्शेसन, स्ट्रेचिंग पोस्चर, सूर्य नमस्कारमरस्कुलोस्केलटल डिसऑर्डर- एक्सरसाइज फॉर ज्वाइंट्स, रेगूलेटेड ब्रीथिंगऑस्टियोपोरोसिस-ब्रीथिंग एक्सरसाइज, वार्म-अप एक्टिविटी, नी ऑस्टो अर्थरिस- माउंटेन पोज, स्टाफ पोज़, सुपाइन माउंटेन पोज़खेत में महिलाओं की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है, जिसमें उन्हे अपने शारीरिक क्षमता से ज्यादा परिश्रम करना पड़ता है, लेकिन इसमें होने वाले दिक्कतों से योगा निजात दिला सकती है।डॉ पूनम प्रजापति, रिसर्चर
पुरूष की तरह हर चीज में महिलाएं भी अपनी भूमिका निभाती है, जिससे उनको ढेरों दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, जो की बहुत चिंता का विषय है, ये रिसर्च में योगा पर भी स्टडी की गई है, जो महिलाओं के लिए यूजफूल साबित हो सकती है।डॉ दिव्या रानी, एच.ओ.डी, होम साइंस