Gorakhpur News: गोरखपुर और राप्ती डिपो की अधिकांश बसों में फस्र्ट एंड बॉक्स नहीं हैं जरूरी दवाएं
गोरखपुर: दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम ने रोडवेज बसों की पड़ताल, फस्र्ट एड बॉक्स पूरी तरह खाली ।
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गोरखपुर रेलवे रोडवेज बस स्टेशन पर खड़ी बस संख्या यूपी 78 जेएन 9052 में फस्र्ट एड बॉक्स क्षत-विक्षत मिला। उसमें दवा का दर्शन नहीं हुआ। सीन-2
गोरखपुर बस स्टेशन परिसर में खड़ी बस नंबर यूपी 78 केएन 0648 में फस्र्ट एड बाक्स लगा था, लेकिन उसके सामान गायब थे। ड्राइवर से जब बात की गई तो उसने बताया कि वर्कशॉप से ही दवाइयां नहीं मिलती है। सीन-3
बस स्टेशन पर खड़ी बस संख्या यूपी 53 सीटी 9436 के कंडक्टर सवारी भर रहा था। जब फस्र्ट एड बॉक्स के बारे में जानकारी ली गई तो उसने बताया कि जब ग्रुप में नई बस आई थी, तब सबकुछ ठीक था, लेकिन इसके बाद से ही बॉक्स में दवाइयां नहीं रखी गई। खुलेआम उड़ रही धज्जियां
रोडवेज बसों में फस्र्ट एड बॉक्स का मकसद यह है कि सफर में स्वास्थ्य संबंधी कोई परेशानी होने या चोट आदि लगे तो यात्री को तुरंत प्राथमिक उपचार मिल सके। मामला अगर गंभीर हो तो प्राथमिक उपचार के बाद उसे सुरक्षित हॉस्पिटल तक पहुंचाया जा सके। रोडवेज बसों में फस्र्ट एड बॉक्स की सुविधा अमूमन ड्राइवर के पीछे लगे स्टैंड या फिर ऊपर सामान रखने की जगह छोटा बॉक्स बनाकर देने का नियम है। इन बॉक्स में पेट दर्द, सिर दर्द आदि की दवा होती है। साथ ही इसमें मरहम पट्टी की व्यवस्था होती है। खासकर लंबी दूरी की बसों में तो यह व्यवस्था आवश्यक रूप से रखने के आदेश विभाग ने दे रखा हैं, बावजूद इन आदेशों की रोडवेज बसों में खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
रोडवेज बस में सफर करने के दौरान यदि किसी पैसेंजर को प्राथमिक उपचार देने की जरूरत पड़ जाए तो क्या होगा? क्योंकि इन फस्र्ट एड बॉक्स में न तो कोई दर्द निवारक गोली है और न ही कोई मरहम पट्टी की व्यवस्था। ऐसे में पैसेंजर्स को प्राथमिक उपचार मौके पर कैसे मिलेगा? यह एक बड़ा सवाल है। बाक्स हैं खाली
गोरखपुर रीजन के डिपो में करीब 630 से अधिक रोडवेज की बसें हैं। अक्सर हाइवे पर सरकारी बसों के एक्सीडेंट होने पर या फिर सफर करने वाले मुसाफिरों को इलाज की आवश्यकता पड़ी तो यह काफी मददगार साबित हो सकती है। ऐसे में विभाग का दावा रहता है कि रोडवेज बसों में पैसेंजर्स या फिर ड्राइवर और कंडक्टर के लिए फस्र्ट एड बॉक्स की व्यवस्था है, लेकिन यह बहुत ही कम संख्या में दिखाई दे रही है। दैनिक जागरण आइनेक्स्ट ने डिपो के स्थानीय बस अड्डे से सवारियां लेकर निकल रहीं कुछ बसों की पड़ताल तो दावों की पोल खुलकर सच सामने आ गया है।
स्थानीय डिपो के 305 अनुबंधित बसें भी शामिल हैं। जिन्हें करार के तहत चलवाया जा रहा है। सरकारी सेवा से जुड़ी इन बसों में भी कम समस्या देखने को नहीं मिल रही है। ज्यादातर बसों में फस्र्ट एड की सुविधा उपलब्ध नहीं है। ऐसे में अगर किसी मुसाफिर को यात्रा के दौरान मामूली इलाज देने की दरकार पड़ जाए तो इसके लिए कोई उपाय नहीं होगा।
फस्र्ट एड जरूरी चीज है। बस रोड पर चल रही है तो कभी भी दुर्घटना हो सकता है। इसके लिए बस में फस्र्ट एड का होना जरूरी है।
विशाल, यात्री दुर्घटना समय पुछ के नहीं आता है,
अगर फस्र्ट एड बॉक्स है तो उसमे जरूरी दवा, मलहम-पट्टïी तो होना ही चाहिए।
अजय, यात्री
पैसेंजर्स की सुरक्षा को लेकर रोडवेज संजीदा है। बसों में फस्र्ट एंड बॉक्स सेफ जगह पर लगाया गया है। मगर पैसेंजर्स बॉक्स से दवाएं निकला ले जाते हैं। इसलिए ड्राइवर्स को अलग से मेडिसिन का बैग दिया जाता है, जिसमें जरूरत की सभी दवाएं दी जाती है, ताकि सफर के दौरान किसी भी पैसेंजर्स को प्रॉब्लम होती है तो उन्हें दवाएं तत्काल उपलब्ध कराया जा सके।
लव कुमार सिंह, आरएम गोरखपुर रीजन