अपने गुनाहों की वजह से जेल गए बंदी अब सुधरना चाहते हैं. उनके अंदर कुछ और भी हुनर है उसे समाज को दिखाना चाहते हैं. ऐेसे बंदियों के हुनर को जेल प्रशासन भी निखार रहा है.


गोरखपुर (अनुराग पांडेय)।जेल के अंदर ही बंदियों को सुबह कंप्युटर चलाने की ट्रेनिंग और शाम को खेल के दाव-पेंच सिखाने कोच आ रहे हैं। यही नहीं कुछ बंदी गोरखपुर ओडीओपी टेराकोटा को देश में अलग पहचान दिलाने के लिए भी काम कर रहे हैं। इन बंदियों ने मोदी-योगी की टेराकोटा की प्रतिमा बनाई है। जिसे देखकर लोग हैरत में पड़ जा रहे हैं।एग्जीबिशन में रखी जाएंगी प्रतिमा


जेल में बंदियों द्वारा महात्मा गांधी, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, डॉ। भीमराव अंबेडकर समेत कई महापुरुषों की प्रतिमा को बनाया गया है। इन प्रतिमाओं को गोरखपुर महोत्सव में भी लगाया गया था। प्रतिमाओं को देखकर लोगों ने खूब सराहना भी की थी। अब इन प्रतिमाओं को प्रदर्शनी में भी लगाने की तैयारी जेल प्रशासन कर रहा है। इन प्रतिमाओं को आम जनता के लिए भी बाजार में अवेलबल कराया जाएगा, ताकि बिक्री से जो पैसे मिलें। वो बंदियों के काम आ सकें।

दूसरे बंदियों को भी दे रहे ट्रेनिंग

ओडीओपी में चयनित टेराकोटा का काम करने के लिए ऐसे बंदियों को सेलेक्ट किया गया है, जो कुम्हार का काम जानते हैं। महापुरुषों की प्रतिमा बनाने का काम जानने के साथ ही ये अन्य बंदियों को भी इसकी ट्रेनिंग दे रहे हैं। इस काम में एक दर्जन से अधिक बंदी लगे हैं। बंदी मिथुन कुमार की देखरेख में यह कार्य हो रहा है। इंडियन ऑयल दे रहा ट्रेनिंगइंडियन ऑयल ने भारत सरकार से टाइअप किया है, जिसके तहत प्रदेश के जेलों में बंदियों के हुनर को बढ़ावा देने के लिए इंडियन ऑयल काम कर रहा है। गोरखपुर जेल में एक फरवरी से बंदियों की कंप्यूटर की क्लास चलाई जा रही है। इसके लिए बाकायदा इंडियन ऑयल की तरफ से ट्रेनर जाते हैं। जो कंप्यूटर की बेसिक जानकारी बंदियों को दे रहे हैं। इस समय कुल 25 बंदी कंप्यूटर चलाने की ट्रेनिंग ले रहे हैं।शाम को होता है खेलकूदइसी तरह इंडियन ऑयल की तरफ से ही खेलकूद भी बंदियों को सिखाया जा रहा है। इस समय वालीवॉल के ट्रेनर डेली जेल में जाकर बंदियों को खेल की बारिकियां सीखा रहे हैं। बंदी बाहर जाकर अच्छा काम कर सकें। इसके लिए उनके हुनर को चमकाया जा रहा है। कंप्यूटर और टेराकोटा से प्रतिमा बनाने की कला सीखकर बंदी बाहर जाकर खुद से कुछ कर सकेंगे। अधिक से अधिक बंदियों को ट्रेनिंग देने का प्रयास किया जा रहा है, ताकि वह अपराध छोड़कर अच्छे काम कर समाज में अपनी अलग पहचान बना सकें। ओमप्रकाश कटियार, जेल अधीक्षक

Posted By: Inextlive