Gorakhpur News: डीडीयूजीयू के बीटेक स्टूडेंट्स का इनोवेशन, 'मेडिको पता लगाएगी आपका स्कीन डिसीज
गोरखपुर (ब्यूरो)। वेब एप्लीकेशन में मॉर्डन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एल्गोरिदम के उपयोग से स्कीन डिसीज का पता लग जाएगा। एप्लीकेशन आपके स्कीन प्रॉब्लम को डिटेक्ट कर लेती है। स्कीन के घावों की इमेज से तुरंत ही उस बीमारी का पता लगा लेती है। इस प्लेटफॉर्म के उपयोग करने वालों को उनके इलाके या आस-पास के विशेषज्ञों से जोड़ता है।किस प्रकार करता है काम इमेज अपलोडिंग - उपयोगकर्ता अपने स्मार्टफोन या कंप्यूटर कैमरे का उपयोग करके आसानी से वेब एप्लीकेशन के माध्यम से अपनी इमेज को अपलोड कर स्कीन प्रॉब्लम को पता कर सकते हैं। एआई करता है, स्कीन इंफेक्शन का एनालाइज इमेज अपलोड होने के बाद, एआई एल्गोरिदम वास्तविक समय में इमेज को एनालाइज करके जांच करता है। फिर स्कीन डिसीज का पता लगाकर अलर्ट करता है।निदान के साथ देता है सुझाव
एआई के आधार पर उपयोगकर्ताओं को स्कीन का निदान देता है। साथ ही आगे की कार्रवाई के लिए सिफारिशें भी करता है। इसमें स्व-देखभाल उपायों, उपचार विकल्पों और पेशेवर चिकित्सा की मांग सलाह शामिल है।स्पेशालिस्ट रेफरल
निदान देने के अलावा, वेब एप्लीकेशन उपयोगकर्ताओं को विकल्प भी देता है। अपने इलाके या आसपास के विशेषज्ञों से जुडऩे पहचाने गए त्वचा रोग के इलाज में विशेषज्ञों का लोकेशन दिखाता है। वेब एप्लीकेशन मे खुराक की सिफारिशें उपयोगकर्ता दवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला के लिए अनुशंसित खुराक की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।दवा के प्रकार की पहचानउपयोगकर्ता तुरंत पहचान सकते हैं कि वे किस प्रकार की दवा ले रहे हैं, चाहे वह टैबलेट, कैप्सूल, सिरप, इंजेक्शन या कोई भी हो। संक्षिप्त उपयोग दिशानिर्देश प्रदान करता है, जिसमें कब और कैसे उपयोग करना शामिल है। दवा, क्या इसे भोजन के साथ लिया जाना चाहिए, किन विशिष्ट सावधानियों के प्रति सचेत रहना चाहिए। इससे उपयोगकर्ताओं को यह सुनिश्चित करने में मदद मिलती है।इन स्टूडेंट्स ने किया कमालडीडीयूजीयू के बीटेक कंप्यूटर साइंस के स्टूडेंट्स रोहन कुमार, आयुष सोनकर, नितिन कुमार तिवारी, ऋषि सोनकर, अनुज तिवारी अपने इनोवेशन में जुटे हुए हैं। रोहन ने बताया कि डेढ़ महीने में वेब एप्लीकेशन बनकर तैयार हो जाएगा। इस एप्लीकेशन से लोगों को काफी राहत होगी। हमारी कोशिश रहती है कि स्टूडेंट्स को जो भी प्रोजेक्ट वर्क दिया जो लोगों के नार्मल लाइफ भी काम आए। वेब एप्लीकेशन बनाने के लिए स्टूडेंट्स का प्रयास काफी सराहनीय है। उमेश यादव, डायरेक्टर, बीटेक डिपार्टमेंट