Gorakhpur News: बीमारी से जूझ रहे मासूम की मौसम से भी 'जंगÓ
गोरखपुर (ब्यूरो)। जिंदगी और मौत से जूझ रहे न्यू बॉर्न बेबी के लिए मौसम का सितम भारी पड़ रहा है। एसएनसीयू (सिक न्यू बार्न केयर यूनिट) में फोटो थिरेपी के लिए जॉन्डिस की चपेट में आए बच्चों को मौसम से जंग लड़कर पेट भरने के लिए जाना पड़ रहा है। हालत यह हो गई है कि पहले से बीमार बच्चों की हालत मौसम की वजह से और खराब हो जा रही है। हर दो घंटे पर फीडिंग के लिए बच्चों को ले जा रहे परिजन बड़ी मुश्किल और मशक्कत से नन्हें-मुन्नों को मां के पास पहुंचा रहे हैं। सबसे ज्यादा दिक्कत सिजेरियन न्यू बॉर्न को हो रही है, क्योंकि मां वहां पहुंच नहीं सकती हैं और बच्चों को ही वहां लाना पड़ रहा है। ऐसे में सर्द मौसम में बीमार होने का खतरा काफी बढ़ा हुआ है। रात जागने को मजबूर
इस कड़ाके ठंड में परिजन जहां एसएनसीयू के बाहर पूरी रात जागने को मजबूर हैैं। ऐसा इसलिए कि बच्चों को फीडिंग के लिए परिजन मां के पास हर दो घंटे में पहुंचा रहे हैं। इसके लिए उन्हें पुराने प्राइवेट वार्ड वाली बिल्डिंग से दूसरी नई बिल्डिंग तक जाना पड़ रहा है। मजबूरी में नन्हें मासूम को बचाते हुए उन्हें रात में एक बिल्डिंग से दूसरी बिल्डिंग की दौड़ लगानी पड़ रही है। जिला महिला अस्पताल के जिम्मेदार एसएनसीयू को न्यू बिल्डिंग शिफ्ट करने या फिर नए एसएनसीयू को चालू करने की जहमत नहीं उठा पा रहे हैैं, जबकि बीआरडी मेडिकल कालेज के गायनी डिपार्टमेंट में डिलीवरी के बाद ही से एसएनसीयू तक पहुंचने की सुविधा सुलभ है। एक जनवरी से शुरुआत एक जनवरी से जिला महिला अस्पताल में 100 शैय्या मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य इकाई, गोरखपुर का संचालन शुरू कर दिया गया है। सात फ्लोर वाले इस बिल्डिंग में जहां ओपीडी, ऑपरेशन थियेटर, पैथोलॉजिकल जांच, प्राइवेट वार्ड समेत जनरल वार्ड तक बनाए गए हैैं। वहीं ग्राउंड फ्लोर से लेकर सेवन फ्लोर पर पहुंचने के लिए लिफ्ट तक की सुविधा दी गई है। सारी सुविधाएं मरीज व परिजनों को रास आ रही है, लेकिन जिन महिलाओं को डिलीवरी के बाद न्यू बॉर्न बेबी को जॉन्डिस की शिकायत आ रही है। उन्हें पुराने प्राइवेट वार्ड वाले बिल्डिंग में ही जाकर एसएनसीयू (सिक न्यू बॉर्न केयर यूनिट) में जाना पड़ रहा है। ताकि मां की मिलती रहे छांव
जिला महिला अस्पताल के जिम्मेदारों का दावा है कि न्यू बार्न बेबी अकेले नहीं रहेंगे। उन्हें ममता की छांव मिलती रहेगी। लेकिन यह छांव सिर्फ उन्हीं न्यू बार्न को मिल पा रही है। जो नार्मल डिलीवरी से हुए हैैं और मां एसएनसीयू तक पहुंचने में सक्षम हैैं, लेकिन सिजेरियन से पैदा हुए न्यू बार्न के लिए बहुत सांसत है। जिसकी सुधि लेने वाले जिम्मेदार अब तक सोए हुए हैैं।एसएनसीयू में रखे जाते हैं न्यू बार्नएसएनसीयू में समय से पहले पैदा हुए, कम वजन, पीलिया या अन्य रोगों से ग्रसित न्यू बार्न को उपचार के लिए रखा जाता है। उनके पास मां केवल दूध पिलाने के लिए जाती है। अब सामान्य वार्ड या प्राइवेट वार्ड में मां के रहने व उपचार की व्यवस्था होती है, ताकि बच्चों को मां की ममता मिलती रहे। इससे उन्हें ऊर्जा मिलती है और वे जल्दी स्वस्थ होते हैैं। यह सबकुछ सिर्फ दावे है। मौके पर हकीकत कुछ और बयां कर रहे हैैं।मेरा बच्चा एसएनसीयू में पिछले चार दिन एडमिट है। उसे फोटो थिरेपी दी जा रही है। लेकिन हर दो घंटे पर फीडिंग के लिए खुद ही उसे वार्ड में मां के पास ले जाना पड़ रहा है। वह भी इस ठंड में, जबकि नई बिल्डिंग में एसएनसीयू होना चाहिए। मो। शारिक, परिजन
मेरी बेटी ने बच्चे को जन्म दिया है। सिजेरियन केस है। उसका वह अपने बेड पर है। उसका ट्रीटमेंट चल रहा है। लेकिन बच्ची एसएनसीयू में एडमिट हैैं, उसे मां के दूध पिलाने के लिए ले जाना और फिर ले आना बेहद कठिन है। सुमित्रा, परिजन मैैंने अपने बच्चे को जन्म दिया है। उसे फोटो थिरेपी के लिए एसएनसीयू में एडमिट किया गया है। वह चार दिन का बच्चा है, लेकिन जिंदगी और मौत से जूझ रहा है। दूध पिलाने के लिए एसएनसीयू के बाहर बैठे उसका इंतजार करती हूं। हर दो घंटे पर उसे दूध पिलाने के लिए पूरी रात जगी रहती हूं। सोमन यादव, परिजन न्यू बॉर्न बेबी के एसएनसीयू में एडमिट होने के बाद पुराने प्राइवेट वॉर्ड वाले बिल्डिंग में ही शिफ्ट कर दिया जाएगा। इसके लिए उपर के बिल्डिंग में मरम्मत का कार्य जारी है। कुछ दिनों की यह समस्या है। आने वाले दिनों यह समस्या दूर हो जाएगी। - डॉ। जय कुमार, एसआईसी, जिला महिला चिकित्सालय