Gorakhpur News: रानीडिहा की रहने वाली सोनल अपने बच्चे से इन दिनों परेशान है. इनके बच्चे की उम्र अभी पांच साल है. राहुल जब स्कुल से आता है उसके बाद फोन में लग जाता है. फिर खाते पीते और सोते केवल मोबाइल देखता है. ज्यादा स्क्रीन टाइम होने की वजह से राहुल की सेहत पर इसका बुरा असर देखने को मिला है. सोनल जब भी राहुल से मोबाइल लेती है या चलाने से मना करती हैै वह गुस्से में सामान फेंकने लगता है. सोनल राहुल की इस आदत से परेशान होकर मनोचिकित्सक से मिलती हैै. मनोचिकित्सक सोनल को डिजिटल डिटॉक्स के बारे में बताती हैं.

गोरखपुर (ब्यूरो)। रानीडिहा की रहने वाली सोनल अपने बच्चे से इन दिनों परेशान है। इनके बच्चे की उम्र अभी पांच साल है। राहुल जब स्कुल से आता है उसके बाद फोन में लग जाता है। फिर खाते, पीते और सोते केवल मोबाइल देखता है। ज्यादा स्क्रीन टाइम होने की वजह से राहुल की सेहत पर इसका बुरा असर देखने को मिला है। सोनल जब भी राहुल से मोबाइल लेती है या चलाने से मना करती हैै वह गुस्से में सामान फेंकने लगता है। सोनल, राहुल की इस आदत से परेशान होकर मनोचिकित्सक से मिलती हैै। मनोचिकित्सक सोनल को डिजिटल डिटॉक्स के बारे में बताती हैं। डिजिटल डिटॉक्स का मतलब है कि हम कुछ समय के लिए सभी डिजिटल डिवाइसों जैसे स्मार्टफोन, कंप्यूटर, टैबलेट और सोशल मीडिया से दूरी बना लें। इसका मुख्य उद्देश्य है मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाना और डिजिटल दुनिया से छुट्टी लेकर अपनी वास्तविक जीवन की गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करना।

बच्चे होते आदी
मनोचिकित्सक सीमा श्रीवास्तव बताती हैैं कि बच्चे अब मोबाइल, कम्पूटर पर ज्यादा समय बीता रहें हैैं, चोहे रिल्स देखना हो या गेम खेलना। पैरेंट भी बच्चों को आसानी से फोन दे देते हैैं। जिसका कारण है कि बच्चे फोन के आदी होते जा रहे हैैं। जिसका बुरा असर देखने को मिलता है। डिजिटल डिटॉक्स एक ऐसा मेथड है जिससे बच्चों की स्क्रीन टाइम कम कराई जा सकती है।

क्या हैं फायदे
1. मेंटलपीस
2. बेहतर नींद
3. रिश्तों में सुधार
4. स्वास्थ्य पर सकारात्मक असर

कैसे करें
- हर दिन कुछ घंटे बिना फोन, लैपटॉप और अन्य डिजिटल उपकरणों के बिताने की कोशिश करें।
- सोशल मीडिया पर समय की सीमा तय करें और बेवजह स्क्रॉल करने से बचें
- प्रकृति के साथ समय बिताएं और बाहरी गतिविधियों में भाग लें।
- भोजन का समय, सोने से पहले, या परिवार के साथ बिताए समय को नो-फोन जोन बनाएं।

स्क्रीन टाइम के नुकसान
1. आंखों की समस्याएं
2. नींद पर असर
3. मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव
4. एकाग्रता में कमी
5. शारीरिक स्वास्थ्य समस्याएं

अब बच्चे बिना फोन के नहीं मानते हैैं। उनसे फोन लो तो रोने लगते हैैं या गुस्से से सामान फेंकने लगते हैैं। बच्चों में चिड़चिड़ापिन बढ़ रहा है।
चंचल

ज्यादा फोन यूज करने से बच्चे को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। डिजिटल डिटॉक्स के माध्यम से बच्चो की स्क्रीन का टाइम कम किया जा सकता है।
उपासना

जो बच्चे फोन के आदी हो गए हैैं उनसे आचानक फोन लेना ठीक नहीं है। इससे बच्चो के अंदर चिड़चिड़ापन बढ़ता है, लेकिन डिजिटल डिटॉक्स के माध्यम से आसानी से बच्चों की स्क्रीन टाइम को कम किया जा सकता है।
सीमा श्रीवास्तव, मनोचिकित्सक

Posted By: Inextlive