नगर निगम एरिया में रहने वाले गोरखपुराइट्स टैक्स को कभी-कभी टॉर्चर समझ बैठते हैं पर यहां यह भी जानना जरूरी है कि आपके दिए टैक्स से ही नगर निगम विकास कार्य कराता है. निगम एरिया में 1.50 लाख मकान हंै और औसत रूप से निगम का 62 करोड़ रुपए टैक्स बकाया है.


गोरखपुर (ब्यूरो)। यदि यह टैक्स नगर निगम को मिल जाए तो 80 वार्डों में 77.50 लाख रुपए के सड़क, नाली, स्ट्रीट लाइट और सौंदर्यीकरण के काम हो जाएंगे। नगर निगम के मुख्य कर निर्धारण अधिकारी विनय राय का कहना है कि जीआईएस सर्वे की टैक्स बढ़ोतरी की अदायगी के लिए अभी सिर्फ 10 हजार लोगों को चिन्हित किया गया है, जिसमें आधे से अधिक लोगों ने चुकता भी किया है। पुराने बकायेदारों से सालों से टैक्स भरने के लिए अपील की जा रही है। 31 दिसंबर तक टैक्स में रिबेट भी दी जा रही है। इसके बाद भी टैक्स अदा करने वालों की संख्या कम है। 5 जोन में बंटा शहर


नगर निगम ने पांच जोन में शहर को बांटा है। इसमें जोन एक मोहद्दीपुर है, जिसमें रामगढ़ताल, महादेव झारखंडी समेत तमाम इलाके शामिल हैं। इसी तरह जोन 2 में लालडिग्गी है, जिसमें बेतियाहाता व अन्य मोहल्ले शामिल हैं। जोन तीन सिविल लाइंस, जोन चार सुभाष चंद्र बोसनगर, जोन पांच मेडिकल कॉलेज रोड हैं। पूरे जोन में 1.50 मकान हैं, जिनसे नगर निगम सालों से टैक्स ले रहा है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में 15 जनवरी तक नगर निगम 28 करोड़ वसूली कर सका है। जीआईएस सर्वे बना जरिया

जीआईएस (जियोग्राफिक इंफामेंशन सिस्टम) एक भू विज्ञान प्रणाली है। यह संरचनात्मक डाटा बेस पर आधारित है। यह भौगोलिक सूचनाओं के आधार पर जानकारी प्रदान करती है। संरचनात्मक डाटाबेस तैयार करने के लिए वीडियो, भौगोलिक फोटोग्राफ और जानकारियां आधार का कार्य करती है। इसके बाद टैक्स की दरों में संशोधन तैयार किया जाता है। इसमें आरसीसी, आबीसी, पत्थर की छत, सीमेंट या चादर, खुली भूमि सभी जोन की दरें अलग अलग निर्धारित हैं। 2019 से चल रहा सर्वेवर्ष 2019 से महानगर में जीआईएस सर्वे चल रहा है। मेसर्स आईटीआई को दो साल में सर्वे पूरा करना था। लेकिन बाद में समयसीमा बढ़ा दी गई। सर्वे को लेकर शासन ने सख्ती बढ़ाई तो अफसरों ने बैठक कर पूरी जानकारी लेनी शुरू कर दी। मुख्य कर निर्धारण अधिकारी का कहना है कि कोरोना के चलते काफी महीने प्रॉब्लम रही, अब टीम तेजी से सर्वे में जुटी है। बकाया मिले तो बढ़े डेवलपमेंट

अपर नगर आयुक्त दुर्गेश मिश्र ने बताया, नगर निगम के करोड़ों के बकाए से शहर का विकास भी प्रभावित हो रहा है। अगर समय से टैक्स नगर निगम को हासिल होता तो डेवलपमेंट की गति दूसरी होती। वार्डों में लाइटों, सड़कों के लिए कभी धन की कमी सामने नहीं आती। यही नहीं सौंदर्यीकरण से लेकर गाडिय़ों के रखरखाव व अन्य जरूरतों के बारे में भी सोचना नहीं पड़ता। जिन वार्डों में सीवरलाइन नहीं पहुंची वहां अब तक कार्य पूरे हो गए होते। एक नजर में बकाया 41 करोड़ आवासीय संपत्तियों पर बकाया 21 करोड़ कॉमर्शियल संपत्तियों पर बकाया 1.50 लाख मकान हैं निगम एरिया में निगम ने की टैक्स वसूली साल------ रकम 2022-23 28 करोड़ 2021-22 25 करोड़ 2020-21 21 करोड़ जीआईएस सर्वे में चिह्नित संपत्तियां और वसूली 1.14 लाख मकान चिह्नित 48 हजार प्लॉट 4675 नई संपत्तियों में 1633 से 3 करोड़ टैक्स मिला जीआईएस सर्वे में पुराने टैक्सपेयर 10,815 चिह्नित, 5 हजार लोगों से 3.35 करोड़ टैक्स मिला नगर निगम गोरखपुराइट्स से टैक्स भरने के लिए अपील कर रहा है। टैक्स में छूट भी दे रहा है। जीआईएस सर्वे में आई आपत्तियों का निस्तारण भी किया जा रहा है। इसके बाद भी जो लोग टैक्स नहीं भर रहे हैं, समय सीमा बीतने के बाद कुर्की की कार्रवाई भी की जा सकती है। - दुर्गेश मिश्र, अपर नगर आयुक्त
टैक्स जमा करने के लिए गोरखपुराइट्स को छूट के साथ समयावधि भी बढ़ाई गई है। लोगों की सहूलियत के लिए वार्डों में कैंप भी लगाए जा रहे हैं। तय समय के बाद टैक्स जमा न करने वालों पर सख्त एक्शन लिया जाएगा। गौरव सिंह सोगरवाल, नगर आयुक्त

Posted By: Inextlive