Gorakhpur News:जीआईएस सर्वे के टैक्स में फंसे गोरखपुराइट्स... नियम कानून से बेबस
गोरखपुर (ब्यूरो)। 80 वार्डों वाले नगर निगम की पब्लिक अचानक बढ़े टैक्स को देने के मजबूर हैं। कई आपत्तियों के बाद भी उनके हिस्से में सिर्फ आश्वासन ही मिला। यही नहीं पार्षद भी लगातार अपना विरोध जता रहे हैं, लेकिन जल्द निस्तारण की घुट्टी पिलाई जा रही है। सपा पार्षदों का आरोप है कि जीआईएस सर्वे गलत हुआ है। डेढ़ लाख से ऊपर मकान चिन्हित जीआईएस सर्वे कर रही टीम फिलहाल डेढ़ लाख से ऊपर मकान तलाश कर चुकी है। पहले यह संख्या एक लाख से कम थी। इसके साथ ही भवनों के विस्तार के भी हजारों मामले सामने आए हैं। सभी भवनों पर कर लगने के बाद नगर निगम की आय करीब चार गुना बढऩे की उम्मीद है। फिलहाल बताया जा रहा है कि नगर निगम की सीमा में करीब ढाई लाख मकान मिलने के आसार हैं।
बोर्ड की बैठक में सपा ने किया था विरोध अगर किसी का जीआईएस सर्वे से गलत टैक्स का निर्धारण हुआ है तो वह ठीक हो सकता है। पहले और अब की तुलना में काफी बदलाव हुआ है, इससे टैक्स बढ़कर आ रहा है। सभी सुविधाओं को लोगों को मुहैया कराने के लिए टैक्स जरूरी है।
विगत दिनों हुए बोर्ड बैठक में सपा पार्षदों ने जीआईएस सर्वे और बढ़े हुए दर से टैक्स वसूली का विरोध किया था। सपा पार्षद विश्वजीत त्रिपाठी और अशोक यादव ने गलत बताते हुए जनता हित मेंनिर्णय लेने की मांग की थी। क्या है जीआईएस सर्वे?
जीआईएस (जियोग्राफिक इंफामेंशन सिस्टम) एक भू विज्ञान प्रणाली है। यह संरचनात्मक डाटा बेस पर आधारित है। यह भौगोलिक सूचनाओं के आधार पर जानकारी प्रदान करती है। संरचनात्मक डाटाबेस तैयार करने के लिए वीडियो, भौगोलिक फोटोग्राफ और जानकारियां आधार का कार्य करती है। इसके बाद टैक्स की दरों में संशोधन तैयार किया जाता है। इसमें आरसीसी, आरबीसी, पत्थर की छत, सीमेंट या चादर, खुली भूमि सभी जोन की दरें अलग अलग निर्धारित हैं। कैसे होता है टैक्स निर्धारण?नगर निगम क्षेत्र के अलग-अलग इलाके में टैक्स की दर अलग है। मान लीजिए सूर्य विहार कॉलोनी में यह दर प्रति वर्ग फुट 80 पैसे है, वहीं मकान के 10 साल से पुराना होने पर टैक्स निर्धारण में 25 प्रतिशत, 20 साल से ज्यादा पुराना मकान होने पर 32 प्रतिशत और 30 साल से ज्यादा पुराना होने पर टैक्स निर्धारण में 40 प्रतिशत तक छूट मिलती है। प्रति मंजिल के हिसाब से यह टैक्स निर्धारित होता है। सौ करोड़ का राजस्व का लक्ष्य
नगर निगम में अभी गृह, जल और सीवर कर से तकरीबन 25 करोड़ रुपये मिलते हैं। अफसरों को उम्मीद है कि सभी मकानों व दुकानों का सर्वे होने, सीवर लाइन बिछाने के बाद तकरीबन सौ करोड़ का सालाना हो जाएगा। हालांकि नगर निगम सालाना 110 करोड़ रुपये अफसरों और कर्मचारियों को वेतन के मद में दे रहा है। इसके अलावा अन्य खर्चे हैं। पार्षद बोले जीआईएस सर्वे ही गलत हुआ है। कई लोगों ने टैक्स जमा कर दिया है, लेकिन 2021 से टैक्स जोड़कर फिर से भरने के लिए दे दिया गया है। सपा पार्षद लगातार विरोध कर रहे हैं, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही है। अशोक यादव, सपा पार्षद दल के नेता जीआईएस सर्वे की रिपोर्ट आज तक पार्षदों को नहीं दी गई। पुराने मकानों से बढ़ा हुआ टैक्स लिया जा रहा है, वहीं जो नए मकान चिन्हित हुए हैं, उनसे बढ़े दर पर टैक्स की वसूली कब होगी। विरोध पर सिर्फ आश्वासन मिल रहा है। विश्वजीत त्रिपाठी, पार्षद बेतियाहाता जीआईएस सर्वे में तमाम खामियां हैं। शिकायतों का निस्तारण भी किया जा रहा है। निकाय चुनाव के समय बोर्ड बैठक में विरोध पर रोक दिया था, फिर से सर्वे शुरू हुआ तो पब्लिक में ऊहापोह की स्थिति है। ऋषि मोहन वर्मा, पूर्व उपसभापति नगर निगम
धर्मदेव चौहान, उप सभापति नगर निगम जीआईएस सर्वे अभी चल रहा है। जो भी कमियां मिल रही हैं, उसे दुरुस्त किया जा रहा है। जिन लोगों के पहले दो कमरे थे, अब वह कई कमरों में तब्दील हो चुके हैं, किराएदार भी हैं, इससे टैक्स बढ़ा है। साथ ही अन्य कई वजहें हैं। दुर्गेश मिश्र, अपर नगर आयुक्त जीआईएस सर्वे में काफी खामियां हैं। नगर निगम नोटिस देकर पब्लिक को डरा रहा है। इससे महंगाई का भी बोझ पड़ेगा। पब्लिक को राहत मिलनी चाहिए। - चंद्रभूषण त्रिपाठी, संध्या विहार मोगलहा, वार्ड 2 पब्लिक पहले ही टैक्स के बोझ के तले दबी हुई है। उसकी आय बढ़ाने की जगह नगर निगम और टैक्स वसूलने में लगा है। जीआईएस सर्वे के बाद टैक्स ज्यादा बढ़ रहा है। इसे कम होना चाहिए। - सोनी पांडेय, रुस्तमपुर