शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणि उद्यान चिडिय़ाघर में एक एकड़ से अधिक जमीन पर दो हाथी के लिए बाड़ा बनया जा रहा है. यह प्रदेश का पहला चिडिय़ाघर होगा जहां पर हाथी के सरंक्षण के लिए प्रदेश सरकार के निर्देश पर बाड़ा बन रहा है. दिसंबंर तक इसके तैयार हो जाने के बाद वन विभगा द्वारा फरवरी 2023 में रेस्क्यू किए गए हाथी गंगाराम को रखा जाएगा. अभी वह विनोद वन में रखा गया है. इसके बाद दूसरे के लाने की व्यवस्था होगी.


Gorakhpur News: शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणि उद्यान (चिडिय़ाघर) में एक एकड़ से अधिक जमीन पर दो हाथी के लिए बाड़ा बनया जा रहा है। यह प्रदेश का पहला चिडिय़ाघर होगा जहां पर हाथी के सरंक्षण के लिए प्रदेश सरकार के निर्देश पर बाड़ा बन रहा है। दिसंबंर तक इसके तैयार हो जाने के बाद वन विभगा द्वारा फरवरी, 2023 में रेस्क्यू किए गए हाथी (गंगाराम) को रखा जाएगा। अभी वह विनोद वन में रखा गया है। इसके बाद दूसरे के लाने की व्यवस्था होगी। चिलुआताल के मोहम्मदपुर माफी में 15 फरवरी, 2023 को यज्ञ की कलश यात्रा में गंगाराम शामिल हुआ था। किसी कारण से वह बिदक गया और फिर दो महिलाओं व चार वर्षीय बच्चे को सूंड से लपेटकर पटक दिया और कुचल दिया। तीनों की मौत के बाद वन विभाग की टीम ने हाथी को रेस्क्यू किया और विनोद वन में रखा। इसके बाद 16 फरवरी से विनोद वन को दर्शकों के लिए बंद कर दिया गया। कुछ दिन बाद जब हाथी का कोई मालिक नहीं आया तो उच्चाधिकारियों ने हाथी को चिडिय़ाघर में रखने का फैसला लिया। केंद्रीय जू अथारटी के नियमानुसार चिडिय़ाघर प्रशासन ने हाथी के दो बाड़े के लिए करीब 18 करोड़ रुपये का प्रस्ताव भेजा। जिसे मंजूर करते हुए पहले चरण में शासन ने करीब 12 करोड़ रुपये भेजा। इसके साथ ही गोरखपुर चिडिय़ाघर प्रदेश का पहला चिडिय़ाघर बन गया, जहां पर हाथी का संरक्षण किया जाएगा।

ढाई ङ्क्षक्वटल की खुराकचिडिय़ाघर के पशु चिकित्सक योगेश प्रताप ङ्क्षसह ने बताया कि एक स्वस्थ हाथी का एक दिन का आहार ढाई ङ्क्षक्वटल से अधिक होता है। हर दिन हाथी को एक ङ्क्षक्वटल चरी, एक ङ्क्षक्वटल हरा पत्ता, 50 किलो गुड़, चना, फल और सब्जी। इसके अलावा 50 किलो हरे पत्ते व छाल भी दिया जाता है।लाखों का खर्चफरवरी, 2023 में जब गंगाराम का रेस्क्यू किया गया तो इसके खाने-पीने और रख रखाव की जिम्मेदारी वन विभाग के पास थी। इसके बाद 15 महीने से चिडिय़ाघर प्रशासन की देखरेख में गंगाराम को रखा जा रहा है। वहीं इसकी देखभाल के लिए राजू समेत तीन से चार महावत 24 घंटे उसके आसपास रहते हैं। सूत्रों की माने तो गंगाराम पर अब तक 30 लाख रुपये से अधिक खर्चा किया जा चुका है। इसमें महावत का वेतन भी शामिल है। इसके अलावा उसके उपचार, पशु चिकित्सकों के आने-जाने और रख-रखाव का खर्च अलग से है।
गोरखपुर चिडिय़ाघर प्रदेश का पहला चिडिय़ाघर है। जहां पर हाथी के संरक्षण के लिए बाड़ा बनाया जा रहा है। मोहम्मदपुर माफी में बिदकने के बाद हाथी का रेस्क्यू किया गया था। विनोद वन में रखने के बाद से चिडिय़ाघर में बाड़ा बनाने का निर्णय लिया गया। जू अथारिटी का नियम है कि चिडिय़ाघर में दो हाथी एक साथ रखे जा सकते हैं। इसलिए एक हेक्टेयर में दो बाड़ा बनना है। शासन से धन मिलने के बाद एक बाड़ा बन रहा है। जो दिसंबर तक बनकर तैयार हो जाएगा। इसके बाद हाथी को विनोद वन से शिफ्ट किया जाएगा।विकास यादव, डीएफओ

Posted By: Inextlive