दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर यूनिवर्सिटी की ओर से छात्रहित में अवकाश में कटौती किए जाने का स्ववित्तपोषित महाविद्यालय प्रबंधक महासभा ने स्वागत किया है.


गोरखपुर ब्यूरो। प्रबंधक महासभा की अध्यक्ष श्रीप्रकाश पांडेय की अध्यक्षता में हुई कार्यकारिणी की बैठक में गोवि प्रशासन द्वारा वार्षिक अवकाश की संख्या 52 से घटाकर 31 करने के निर्णय को छात्र हितैषी बताया है।180 दिन क्लास के लिए बेहतर प्रयास


बैठक में कुलपति प्रो। पूनम टंडन के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया गया कि यूजीसी के मानक अनुसार 180 दिन कक्षाएं संचालित किया जाना बेहतर प्रयास है। छात्रहित को ध्यान में रखकर लिए गए इस निर्णय का सभी को स्वागत करना चाहिए। गत वर्षों में मात्र 80 से 100 दिन ही कक्षाएं चल पाती थीं, जिससे छात्रों का पाठ्यक्रम पूरा नहीं हो पाता था। इसका परिणाम हुआ कि गोरखपुर यूनिवर्सिटी से छात्रों का मोहभंग होने लगा और यहां के छात्र बाहर के यूनिवर्सिटी में प्रवेश लेने लगे। निश्चय ही जब पठन-पाठन का माहौल बनेगा तो यूनिवर्सिटी व महाविद्यालयों में छात्रों की संख्या बढ़ेगी। संचालन महामंत्री डा। सुधीर कुमार राय ने किया। बैठक में हरे कृष्ण ङ्क्षसह, प्रभात राय, अखिलेश पांडेय, भानु प्रताप ङ्क्षसह, रामनरेश यादव, राज श्रीवास्तव व रणविजय चंद आदि प्रबंधक मौजूद रहे।गुआक्टा ने अवकाश में कटौती पर उठाया सवाल

दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय और संबद्ध कालेजों के लिए जारी कैलेंडर पर गुआक्टा ने सवाल उठाया है। अवकाश में कटौती को लेकर शासनादेश और यूजीसी की गाइडलाइन का हवाला देते हुए गुआक्टा का कहना है कि शासनादेशों को देखते हुए कालेजों को अवकाशों की इस परिधि से बाहर रखा जाए। गुआक्टा अध्यक्ष प्रो.केडी तिवारी और महामंत्री प्रो.धीरेंद्र ङ्क्षसह ने कुलसचिव को खुला पत्र लिखकर विसंगतियों का आरोप लगाया है। पत्र में लिखा है कि अनुदानित महाविद्यालयों के लिए इस सूची को लागू करना आपके अधिकार क्षेत्र से बाहर है, क्योंकि अनुदानित महाविद्यालय के लिए विश्वविद्यालय केवल अकादमिक अधिकारी है न कि प्रशासनिक अधिकारी। यूजीसी द्वारा उल्लिखित एवं उप्र शासन द्वारा अनुमोदित दस हफ्ते का अवकाश आपकी सूची में नहीं समाहित है। उच्च शिक्षा निदेशालय द्वारा उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए नवंबर, 2023 में जो एकेडमिक कैलेंडर जारी किया गया है, उसका ध्यान इस अवकाश सूची में नहीं रखा गया है। इसलिए आग्रह किया कि शासनादेशों को देखते हुए कालेजों को अवकाशों की इस परिधि से बाहर रखा जाए।

Posted By: Inextlive